
कर्नाटक में VIP मूवमेंट पर सायरन बजाने पर रोक: आमजन की सहूलियत और सुरक्षा प्राथमिकता
रुचि बागड़देव की रिपोर्ट
कर्नाटक में अब वीआईपी मूवमेंट के दौरान एस्कॉर्ट गाड़ियों में सायरन बजाना बीते दिनों की बात हो गई। राज्य के पुलिस महानिदेशक एमए सलीम के ताजा आदेश ने न सिर्फ सड़कों पर चलने वाले आम लोगों को राहत देने की पहल की, बल्कि प्रशासन की सोच में आमूलचूल बदलाव का संदेश भी दिया है। इस फैसले को सरकार की जनता-हित और सुरक्षा में पारदर्शिता बढ़ाने वाली कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश के मुताबिक, जब वीआईपी मूवमेंट होता है, तब सायरन बजाने से न केवल पूरे रूट पर लोगों को असुविधा होती है, बल्कि बहुत बार असामाजिक तत्वों को वीआईपी काफिले की जानकारी भी मिल जाती है, जिससे सुरक्षा में सेंध लग सकती है। साथ ही, ट्रैफिक में फंसे लोगों को सायरन की आवाज से तनाव और असहजता होती है।

अभी तक यह आम चलन था कि जैसे ही किसी मंत्री, ऑफिसर या अन्य उच्च पदस्थ व्यक्ति का काफिला निकलता, सायरन बोलते-बजाते काफिलों की लाइन लग जाती थी। इससे कई बार सड़कों पर ट्रैफिक जाम, दुर्घटनाओं और ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ी। कई लोगों ने शिकायत की कि सुबह-शाम के समय सायरन से विद्यार्थियों, मरीजों और बुजुर्गों की दिनचर्या असर होती है।
डीजीपी एमए सलीम ने निर्देश दिए हैं कि “अब केवल इमरजेंसी या बहुत ज़रूरी अवसरों पर ही सायरन या हूटर का इस्तेमाल हो। सामान्य वीआईपी मूवमेंट के दौरान वायरलेस कम्युनिकेशन और ट्रैफिक सिस्टमैटिक मैनेजमेंट से काफिलों को सुरक्षित और गुप्त रुप से मूव कराया जाएगा।”

इस निर्णय की मंशा साफ है- एक तरफ सुरक्षा एजेंसियां वीआईपी की सुरक्षा के लिए अधिक स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करें, वहीं आम नागरिकों को बेहतर यातायात अनुभव और शांति मिले।
आदर्श मंशा:
– वीआईपी कल्चर में अनुशासन लाकर, सभी के लिए सड़कों की समानता सुनिश्चित करना
– ट्रैफिक बाधा और ध्वनि प्रदूषण घटाना
– सुरक्षा के दृष्टिकोण से रूट की गोपनीयता बनाए रखना
– कानून व्यवस्था में ज्यादा पारदर्शिता और नागरिकों का सम्मान
यह फैसला न सिर्फ आमजन के लिए सुकून लाने वाला है, बल्कि वीआईपी संस्कृति में विनम्रता, आधुनिक सोच और जवाबदेही की मिसाल भी बन जाएगा। उम्मीद है कि देश के दूसरे राज्यों में भी इसी तरह के सामाजिक-हितैषी फैसलों की शुरुआत होगी।





