Kashmiri Leader Syed Ali Geelani की मौत पर इमरान खान ( Imran Khan) का रंडुए जैसा विलाप !

दो दशक से जम्मू कश्मीर में अलगाव की आग लगा रहा  पाकिस्तान का पिट्ठू,  हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी (Kashmiri Leader Syed Ali Geelani) कल रात मर गया।  गिलानी बीमारी से मरा, 92 साल का था। उसकी मौत पर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री इमरान खान रंडुवे की तरह आंसू बहा रहा है। इमरान खान ने भारत पर निशाना साधा और कहा कि गिलानी पाकिस्तानी था। इमरान ने  गिलानी की मौत पर पाकिस्तान में झंडा आधा झुकाने का ऐलान किया और एक दिन के शोक का भी ऐलान किया। आधा क्या, पूरा झंडा झुका ले पाकिस्तान और एक दिन क्या, हजार दिन शोक मना  ले। हम हिन्दुस्तानी हैं और हम किसी की भी मौत पर खुश नहीं होते, अफसोस जताते हैं।  अल्लाह ताला की तरफ से उन्हें 72 नहीं, पूरी 720 हूरें नसीब हों. ये बात और है कि 92 साल का बुढ्ढा उन हूरों से क्या कबड्डी खेलेगा?

इमरान खान ने ट्वीट किया और कहा कि सैयद अली शाह गिलानी की मौत से मैं दुखी हूं। वे  जिंदगी भर लोगों के लिए लड़ते रहे। यह नहीं कहा कि भारत से लड़ते रहे।  उसने इमरान ने यह भी इल्जाम लगाया कि भारत ने गिलानी को कैद करके रखा और प्रताड़ित किया। इमरान ने कहा कि हम पाकिस्तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं।  पाकिस्तान का झंडा आधा झुका रहेगा और एक  दिन का शौक बनाएंगे।

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गिलानी की मौत पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल  कमर जावेद बाजवा को भी झटका लगा। उन्होंने फरमाया कि गिलानी कश्मीर की आजादी के अगुआ थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी जहरीले बयान दिए। कुरैशी ने गिलानी को कश्मीरी आंदोलन का पथ प्रदर्शक बताया और कहा कि नजरबंद होने के बाद भी वे  संघर्ष करते रहे। । भारत विरोधी बयानों के लिए गिलानी मशहूर था। इसीलिए पाकिस्तान में उसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया।

 

गिलानी का कभी एक दौर था। जब उसके कहने पर कश्मीर बंद हो जाता था, लेकिन 2014 में जनता ने गिलानी को उसकी औकात दिखा दी थी। जब उसने कहा था कि चुनाव का बहिष्कार करो, लेकिन कश्मीर में 65% तक वोटिंग हुआ। ऐसा  25 साल में ऐसा नहीं हुआ था।

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गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता था। 29 सितंबर 1929 को सोपोर में वह पैदा हुआ था और पढ़ाई लाहौर में हुई थी पर तब लाहौर भारत का हिस्सा था। वह सोपोर से तीन बार विधायक भी रहा। 1990 में गिलानी ने हुर्रियत बनाई और अलगाववादी गतिविधियों में  शामिल हुआ। गिलानी मानता था कि कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। उसको भारत से अलग करना चाहिए और वह आतंकी हिंसा की मदद करता था। वह टेरर फंडिंग भी करता था। उसके टेरर फंडिंग की जांच हुई जिसके बाद उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया। एनआईए और ईडी में टेरर फंडिंग मामले में जांच की थी। उसके दामाद सहित कई रिश्तेदारों से पूछताछ की थी। पाकिस्तान से उसको सीधी मदद मिलती थी और वह उस पैसे से आतंकवाद को बढ़ाने की कार्यवाही करता था।

 

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।