कविकुलगुरु कालिदास ने संस्कृत साहित्य को सर्वाधिक समृद्ध किया

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कविकुलगुरु कालिदास ने संस्कृत साहित्य को सर्वाधिक समृद्ध किया

कालिदास प्रसंग में नृत्यनाटिका और संस्कृति के विविध रंगों की संस्कृतिक प्रस्तुतियां हुई

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। महाकवि कालिदास अपने साहित्य में संपूर्ण मानव जीवन की अवधारणाओं को अभिव्यक्त कर विश्व साहित्य के शिखर पुरुष बने हैं। उनकी तुलना या उनसे किसी अन्य की तुलना नहीं की जा सकती।

यह विचार वरिष्ठ सांसद श्री सुधीर गुप्ता ने व्यक्त किए। आप कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन के तत्वावधान में कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में कालिदास प्रसंग की उद्घाटन विधि को संबोधित कर रहे थे। आपने कहा कि महाकवि ने प्रत्येक रचना संस्कृत भाषा में ही रची है ।संस्कृत साहित्य को इतनी समृद्धता किसी अन्य कवि ने प्रदान नहीं की। वास्तव में महाकवि कालिदास साहित्य के ही शिखर नहीं वरन संपूर्ण भारतीय संस्कृति के भी पुरोधा थे।

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पूर्व विधायक श्री यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि महाकवि कालिदास ने प्रकृति को परमात्मा के रूप में प्रस्तुत करते हुए जीवन के सभी पहलुओं को अपने साहित्य में समाविष्ट किया है। यह मंदसौर क्षेत्र के लिए बहुत ही बड़ी उपलब्धि है कि ऐसे महान कवि का गहरा संबंध मंदसौर से रहा है और उनके इसी संबंध से इस नगर के साहित्य साधकों के मन में यहां कालिदास समारोह के आयोजन की प्रेरणा जागृत हुई और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदसौर में संस्कृति विभाग के माध्यम से कालिदास समारोह के आयोजन की स्वीकृति दी। विगत 10 वर्षों से कालिदास प्रसंग यहां आयोजित होता है। श्री सिसोदिया ने इस आयोजन को और अधिक भव्यता देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

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आरंभ में स्वागत उद्बोधन देते हुए कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन के निदेशक डॉ. गोविंद दत्तात्रेय गंधे ने स्वागत उद्बोधन दिया व कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन की गतिविधियों से अवगत कराया।

इस अवसर पर जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग ने संबोधित करते हुए कहा कि मंदसौर मंदसौर क्षेत्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि यहां के साहित्य और सांस्कृतिक स्वरूप को भी प्रकट करती है निश्चित ही यहां साहित्य और संस्कृति के ऐसे स्तरीय आयोजन होने चाहिए।उन्होंने आगामी 30 ओर 31 जनवरी तथा 1 फरवरी को सीतामऊ में होने वाले तीन दिवसीय साहित्य महोत्सव की जानकारी दी।

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जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक आनंद और जनपरिषद अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल मंचासीन थे।

उद्घाटन विधि के पश्चात महाकवि कालिदास द्वारा रचित ऋतु संहार पर आधारित ओडीसी भरतनाट्यम, कथक और मणिपुरी शैली में संयोजित नृत्य नाटिका का बड़ा प्रभावी प्रस्तुतीकरण किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर की नृत्यांगना सुश्री शुभदा वराडकर और उनके दल ने नृत्य नाटिका में बड़ी ही प्रभावी शैली में सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। उनके सभी साथी कलाकारों की प्रतिभा को भी सभी ने खूब सराहा।

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इसके बाद लता मंगेशकर संगीत महाविद्यालय शिक्षक एवं ख्यातिप्राप्त तबला प्रशिक्षक निशांत शर्मा व दो साथियों द्वारा तबला वादन की शानदार प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रही । सरस्वती और संगीत के विविध रंगों पर आधारित बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुतियां यहां प्रस्तुत की गई जिन्हें श्रोताओं की खूब दाद मिली।

नृत्य में सन्नाली शर्मा के साथ दल ने, आयुषी देशमुख (गायन) अर्जुन मेढतवाल (गिटार) ऐश्वर्य देशमुख (हारमोनियम) दीपक जजवानी (बांसुरी) नयन चौहान (तबला) माध्यम से प्रस्तुति दी।

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आरंभ में कालिदास अकादमी निदेशक डॉ.गंधे और कार्यक्रम प्रभारी अनिल कुमार बारोड़ ने अतिथियों का स्वागत किया। अतिथियों को अकादमी वृतांत पुस्तिका भेंट की।

मुख्य समारोह संचालन संयोजक वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी ने और सांस्कृतिक समारोह का संचालन लता मंगेशकर संगीत महाविद्यालय जन भागीदारी समिति अध्यक्ष नरेंद्र कुमार त्रिवेदी ने किया

आभार जनपरिषद अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल ने माना।

इस समारोह में विभिन्न वर्गों के सुधी एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। इस मौके पर विबोध स्कूल एवं केटीआरसी ग्रुप द्वारा प्रकाशित आराधना पुस्तिका डॉ बटवाल ने सभी मंचस्थ अतिथियों को भेंट की।