Keeping Physical Distance from Wife is Not Crime : पत्नी से शारीरिक संबंध न बनाना कोई अपराध नहीं!

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में Hindu Marriage Act को भी स्पष्ट किया!

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Keeping Physical Distance from Wife is Not Crime : पत्नी से शारीरिक संबंध न बनाना कोई अपराध नहीं!

 

Bengaluru : पति द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना हिंदू विवाह अधिनियम -1955 के तहत क्रूरता माना गया है। लेकिन, आईपीसी की धारा 498 ए के तहत यह अपराध नहीं है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में यह बात कही। कोर्ट ने यह कहते हुए एक व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ 2020 में उसकी पत्नी द्वारा दर्ज किए आपराधिक मामले में कार्रवाई को रद्द कर दिया।

पति ने अपने और अपने माता-पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 498A (IPC 498 A) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 (Dowry Prohibition Act, Section 4) के तहत दायर चार्जशीट को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एकमात्र आरोप यह था कि वह एक निश्चित आध्यात्मिक आदेश का अनुयायी था। उसका मानना था कि प्रेम कभी भी भौतिक नहीं होता, यह आत्मा से आत्मा का होना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि उसका अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का कभी इरादा नहीं था, जो निस्संदेह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 (1) (ए) के तहत विवाह करने के कारण क्रूरता होगी लेकिन, यह आईपीसी की धारा 498 ए के तहत परिभाषित क्रूरता के दायरे में नहीं आता।

इस युगल की 18 दिसंबर 2019 को शादी हुई थी। पत्नी सिर्फ 28 दिन ससुराल में रही। उसने 5 फरवरी, 2020 को धारा 498 ए और दहेज अधिनियम के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) की धारा 12 (1) (ए) के तहत पारिवारिक अदालत के समक्ष भी एक मामला दायर किया, जिसमें क्रूरता के आधार पर विवाह को रद्द करने की मांग की गई। इसमें कहा गया कि विवाह संपन्न नहीं हुआ था।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने पति और उसके माता-पिता द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और शादी के 28 दिन बाद पत्नी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई शिकायत रद्द कर दी। 16 नवंबर, 2022 को दोनों की शादी रद्द कर दी गई थी। पत्नी ने आपराधिक मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया। हाई कोर्ट ने कहा कि आपराधिक कार्रवाई को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है अन्यथा यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और न्याय का गर्भपात होगा।