Changing Face of Khaki : बच्चे भी पुलिस वालों से दोस्ती करने लगे! 

दो घटनाओं ने बताया इंदौर पुलिस का संवेदनशील चेहरा 

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Changing Face of Khaki

Indore : इन दिनों पुलिस (Police) का चेहरा बदल रहा है। अब पुलिस सिर्फ अपराधियों को पकड़ने तक ही सीमित नहीं है, वो खोए बच्चों  ढूंढ रही है और बच्चे भी उनसे दोस्ती करके खुश हो रहे हैं। हाल ही में दो ऐसी घटनाएं हुई, जिन्होंने पुलिसवालों के अंदर छुपी इंसानियत को दिखा दिया।

एक बच्चा घर से निकलकर रास्ता भटक गया। जब लोगों ने और पुलिस वालों ने पता पूछने की कोशिश की तो वो कुछ बता नहीं सका। उससे जानकारी लेने के लिए पुलिस वालों ने पहले उससे दोस्ती, उसे थाने ले जाकर पोहे खिलाए, तब उसने घर के बारे में बताया। लेकिन, एक मुसीबत ये हो गई कि बच्चा पुलिस वालों के साथ ही रहने की जिद करने लगा। उसका कहना था कि उसे घर नहीं थाने में पुलिसवालों के साथ ही रहना है।

ये सिर्फ एक घटना नहीं, इंदौर पुलिस की बदली पहचान है। अब बच्चों को खाकी वर्दी से डर नहीं लगता, वे खाकी वर्दी पहनने वालों से दोस्ती करने लगे हैं। घटना यह है कि विजय नगर क्षेत्र में शनिवार सुबह एक बच्चा रोता हुआ एक व्यक्ति को मिला। उसने पुलिस की  सूचना दी। पुलिस उस बच्चे को थाने ले आई और उससे घर का पता पूछा! लेकिन, घबराहट में बच्चा कुछ बता नहीं सका। बच्चे का घर ढूंढने की सारी कोशिश बेकार होने लगी। पांच से ज्यादा थाना क्षेत्रों में पुलिस उसे लेकर घूमती रही, पर हुआ कुछ नहीं।

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बच्चे के घर की जानकारी नहीं मिली, तो पुलिसवाले बच्चे को विजय नगर थाने ले आए। उससे दोस्ती करने की कोशिश की। नाश्ते में उसे पोहे और जलेबी खिलाई। जब बच्चा सामान्य हुआ तो उसने अपना नाम और तब जाकर उसने अपना नाम और पता बताया। लेकिन इसके बाद एक बड़ी दिक्कत आन खड़ी हई। दरअसल, पोहा खाने के बाद बच्चा घर नहीं जाना चाह रहा था। किसी तरह मनाकर उसे घर भेजा गया।

SP आशुतोष बागरी मुताबिक, बच्चा इतना घबराया था कि उसे सामान्य करना आसान नहीं था। पर, जवानों ने उसे नाश्ता कराकर उससे दोस्ती की, फिर जानकारी निकाली। बच्चे को जब गाड़ी में बैठाया, तब वह घबराया और डरा हुआ था। उससे दोस्ती की तो बच्चे ने अपना नाम आर्य डाबोरे बताया। फिर वह हमसे घुल-मिल गया। इसके बाद हमने उसका घर खोज लिया और उसे छोड़ने गए। लेकिन, वो हमारे साथ चलने के लिए रोने लगा। बड़ी मुश्किल से उसे घरवालों ने समझाया। घर वालों ने बताया कि आर्य के पिता गोलू डाबोरे जब सुबह नौकरी के लिए घर से निकले, तो बच्चा भी दरवाजा खुला देख पिता के पीछे निकल गया। पिता को इसका पता भी नहीं चला। कुछ दूर जाकर वह रास्ता भटक गया और रोने लगा।

खेलते हुए रास्ता भटकी बच्ची
ढाई साल की बच्ची भी खेलते हुए रास्ता भटक कर घर से दूर निकल गई। कई घंटे बाद पुलिस बच्ची को लेकर घर आई तो परिवार भी हैरान रह गया। उन्हें जानकारी ही नहीं थी की बच्ची लापता हो गई। बाणगंगा इलाके में सरकारी स्कूल के पास दोपहर ढाई साल की बच्ची सड़क पर अकेली घूमती दिखी। बच्ची को अकेला देख लोगों ने पुलिस को जानकारी दी। थाना प्रभारी राजेंद्र सोनी ने बच्ची के परिवार को ढूंढने की जिम्मेदारी महिला उप निरीक्षक श्रद्धा पंवार को सौंपी। बच्ची काफी छोटी थी और अपने घर के बारे कुछ बता नहीं पा रही थी।
श्रद्धा पंवार ने बच्ची को बिस्किट खिलाए और खिलौने दिलवाए। बच्ची का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किया। जिस जगह पर बच्ची घूमते हुई मिली, वहां आसपास करीब एक दर्जन CCTV फुटेज देखें। आखिर कई घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस को सोशल मीडिया के जरिए बच्ची के घर मिला। जब पुलिस बच्ची को लेकर घर गई। पुलिस के साथ बच्ची को देखकर परिवार के लोग भी हैरान थे कि वो कहाँ भटक गई थी!