खल्क खुद का मुल्क मोदी का और हुकुम मोहन सरकार का…
हर आम ओ खास को इत्तला दी जाती है कि सूबे में बारिश के मौसम में तबादलों की बरसात होने वाली है। इसलिए सब दिल थाम कर बैठ जाएं। क्योंकि इसमें गुड़ गवर्नेन्स के लिए बदलियां होंगी या बदला लेने के लिए। इसमें प्रशासनिक जरूरत के हिसाब से तबादले होंगे या दलाली और कमीशनबाजी के जरिए ट्रांसफर को इंडस्ट्रीज में बदलने की कवायद होगी। खासतौर से स्कूल-कॉलेज, अस्पतालों से लेकर थाने तहसीलों में युक्ति युक्त पदस्थापना और अतिशेष के साथ तर्क संगत न्यायिक निर्णय। इसमें अफसर शाही अहंकारों से मुक्ति और सत्ता की दलालों के साथ जुगलबंदी की तोड़ पर सबकी पैनी नजर रहेगी। सब कुछ सुराज और सुशासन के लिए हुआ तो जय जयकार होने से कोई रोक नही सकता। लिफाफों से निकली सरकार पर सहमति के संतोष की मुहर लगती दिखाई देगी। वरना तबादलों में लेनदेन की बारिश हुई तो अपयश असंतोष और सियासी साजिश की बाढ़ आए तो हैरत नही होगी।
दरअसल यह मध्यप्रदेश की मोहन सरकार के साथ सीएम बनाने की मोदी शाह सिस्टम के इम्तहान का भी वक्त है। कम करप्शन तालियां नही तो…आगे जनता तय करेगी। पिछले साल 2023 के दिसम्बर में सीएम बने डॉ मोहन यादव ने सूबे की सभी 29 लोकसभा सीटें जीत कर एक किला तो फतह कर लिया मगर गुडगवर्नेन्स के मामले में वे और उनकी सरकार कसौटी पर हैं। इस परीक्षा में सबकुछ सीएम मोहन और उनकी सरकार के सिपहसालारों को आग के दरिया से गुजरने जैसे तजुर्बे पर काम करना है। इसमे खास बात यह है कि नीट और यूपीएससी की परीक्षा की तरह पेपर लीक की भी गुंजाइश नही है। पिछले कुछ सालों से करप्शन को लेकर सरकार संगठन और जनता में खासा असंतोष रहा है। मगर पिछले छह महीने में आशातीत सुधार के संकेत नही मिले।कभी कभी अलबत्ता सीएम मोहन यादव की तरफ से चौकाने वाले कठोर निर्णय देखने में आए हैं। लेकिन सरकार की तरफ से मंत्रियों से लेकर मुख्य सचिव व डीजीपी तक और कलेक्टर एसपी से लेकर तहसील के तहसीलदार और थाने के दरोगा तक यह संदेश नहीं गया है कि सरकार में करप्शन को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस का प्लान काम करेगा। सब जगह असमंजस और दुविधा का माहौल है। अभी तक का समय तो डॉक्टर मोहन यादव सरकार के लिए लोकसभा चुनाव की तैयारी और फिर जीत के जश्न और राज्य सरकार के बजट को पास करने तक सिमट गया था। मुख्य सचिव के साथ फिर मंत्रालय के अफसर कोई है बताना कि सरकार की नीति प्रशस्तिक संवेदनशीलता के साथ जनता के बीच लागू की जानी है इसमें विकास भी हो और भ्रष्टाचार की बू भी ना आए। एकदम यही संदेश संभाग आयुक्त कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ संयुक्त बैठकों में साफ तौर पर संवाद के जरिए जाना जरूरी है । ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तो नौकरशाही कन्फ्यूजन में है। पिछले 6 महीने में इस कंफ्यूजन का लाभ करप्शन के जरिए नेता और अफसर में खूब उठाया है। अभी तक प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली में सरकार बनाने में व्यस्त थे जाहिर है कि सरकार आसानी से बन चुकी है और जनता के बीच उनका या तीसरा कार्यकाल भ्रष्टाचार के मामले में पिछले दो कार्यकालों से ज्यादा कठोर और गति से काम करने वाला माना जा रहा है। मोदी कह चुके हैं कि दो कार्यकाल एक तरह से उनके कामकाज का ट्रेलर थे अब पूरी फिल्म इन 5 साल में दिखाई जाएगी। माना जा रहा है कि भाजपा शासित राज्यों में मुख्यमंत्री- मंत्री, विधायक और अफसर पर पैनी नजर होगी। गड़बड़ी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई का संकेत जनता को मोदी जी दे चुके हैं। खल्क खुदा का अर्थात ये सृष्टि ईश्वर की है और अगले पांच साल के लिए प्रधानमंत्री के नाते ये मुल्क मोदी के नेतृत्व में काम करेगा और जनकल्याण के लिए सूबे में हुक्म सीएम डॉ मोहन यादव का चलेगा…
बॉक्स
कांग्रेस में सक्रिय है 75 साल का नौजवान…
कांग्रेस हाई कमान की जो भी नीति हो वह कांग्रेस जाने लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 75 वर्षीय नेता दिग्विजय सिंह खूब सक्रिय हैं। मसाला चाहे थाने में हनुमान चालीसा/सुंदरकांड का हो नर्सिंग घोटाले एफआईआर का हो या फिर पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के मकान के सीमांकन का हो। हर मुद्दे पर दिग्विजयसिंह सक्रिय हैं। कभी वे थाने जा कर प्रदर्शन करते हैं तो कभी अचानक सीएम हाउस जा कर गोविंद सिंह के मकान के मसले पर सीधे चर्चा करते हैं इतना ही दूसरे दिन पीसीसी ऑफिस में पार्टी की मैराथन बैठक में हिस्सा लेते हैं। फिर शनिवार को दोपहर से लेकर करीब आधी रात तक प्रदेश भर से आए नेता, कार्यकर्ता से मुलाकात करते हैं यह सिलसिला रविवार को भी जारी रहता हैं। इस बीच चर्चा में वे साफ संकेत देते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की टीम कब बनती हैं उन्हें नही पता। वे यह भी कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस में कौन पदाधिकारी बने इस सम्बंध में वे अपनी तरफ से कोई नाम नही दे रहे हैं। अर्थात उनकी तरफ से फ्री हैंड है। उनकी कोई पसंद-नापसंद नही है।