Lok Sabha Elections: चुनाव सामने हैं और कांग्रेस से खंडवा, ग्वालियर- मुरैना सीट पर पेंच नहीं सुलझा, जानिये कहाँ फंसा पेंच !
भोपाल / मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की 29 सीटों में से कांग्रेस ने 25 सीटों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। प्रदेश की तीन सीटों खंडवा,ग्वालियर और मुरैना की सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा अभी तक नहीं हो पाई है जबकि लोकसभा चुनाव सामने हैं। बता दे की 29 में से एक सीट खजुराहो की समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने समझौते के तहत दी है।ग्वालियर मुरैना लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवार का चयन अब तक नहीं कर सकी है। इन दोनों सीट पर सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को लेकर पेंच फंसा हुआ है, जो सुलझ नहीं पा रहा है।इधर कांग्रेस एक बार फिर खंडवा से अरुण यादव को चुनावी मैदान में उतारने का प्रयास कर रही है लेकिन वह यहां से लड़ने को राजी नहीं हो रहे हैं।
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इधर खजुराहो सीट से भी समाजवादी पार्टी ने अब तक अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है मुरैना संसदीय कार्य क्षेत्र से कांग्रेस से दो नाम पर भी चर्चाएं केंद्रित हैं। इसमें एक नाम जौरा विधायक पंकज उपाध्याय का है, जबकि दूसरा नाम सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू का है। इन दोनों नाम से पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि किसे टिकट दिया जाए।
केंद्रीय चुनाव समिति ने सीट पर प्रदेश संगठन के नेताओं को सिंगल नाम तय करने को कहा है लेकिन सीआईसी के खाने के बाद भी अब तक इस सीट से सिंगल नाम ते नहीं हो सके हैं ऐसे में पार्टी अब तक यहां पर उम्मीदवार का चयन नहीं कर सकी है।
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इसी तरह ग्वालियर से भी पार्टी उम्मीदवार नहीं तय कर पाई है। यहां से तीन नामों पर चर्चा है। जिसमें पूर्व सांसद रामसेवक गुर्जर पूर्व विधायक प्रवीण पाठक और सत्यपाल सिंह सिकरवार शुक्रवार को यदि मुरैना से टिकट नहीं दिया गया तो उन्हें ग्वालियर से उतारा जा सकता है हालांकि ग्वालियर में उनके बड़े भाई विधायक हैं और उनकी भाभी महापौर ऐसे में ग्वालियर के स्थानीय नेता सत्यपाल सिंह सिकरवार को यहां से नहीं चाहते हैं। इसके चलते सीट पर भी पेंच फंसा हुआ है।साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़े अंतर से हारने के बाद अरुण यादव खंडवा से लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। वह यहां से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं।
अरुण यादव गुर्जर समाज के नेता नरेंद्र पटेल को यहां से टिकट दिलाना चाहते हैं। वही अरुण यादव के विरोधी गुटके माने जाने वाले राजनारायण सिंह पूरणी और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा नहीं चाहते कि यहां से अरुण यादव या उनके गुट से जुड़े किसी नेता को टिकट मिले। यहां पर एक राय नेताओं के बीच में नहीं बन पा रही है यहां से शेरा और पूरणी भी टिकट की दावेदारी कर रहे है।