खंडवा लोकसभा उपचुनाव: आचार संहिता लागू होते ही बागली जिला बनाओ समिति और नर्मदा योजना के लिए प्रयासरत किसानों में निराशा छाई

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Bagli: मंगलवार को खंडवा लोकसभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा होते ही बागली सहित खंडवा लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में आचार संहिता लागू हो गई। साथ ही यह भी तय हो गया कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अन्य क्षेत्रों में जिस प्रकार से जनदर्शन यात्रा के बहाने सौगातों का पिटारा खोला था वैसा ही कुछ बागली विधानसभा क्षेत्र में नहीं होगा। इसी के साथ लोगों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जिला नहीं तो वोट नहीं और नर्मदा योजना नहीं तो वोट नहीं जैसे नारे लिखने शुरू कर दिए।

सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा के पदाधिकारियों को हुआ अब तक सीएम के बागली विधानसभा क्षेत्र में आने की उम्मीद में वे सभी मांगो के पूर्ण होने की बात कर रहे थे लेकिन आचार संहिता लगने के बाद उनकी बोलती बंद हो गई और लोग सोशल नेटवर्क पर उनके वादे याद करवाने लगे।वैसे क्षेत्र में माना जा रहा था कि उपचुनाव की घोषणा से पहले बागली विधानसभा क्षेत्र में भी मुख्यमंत्री की सभा होगी और नर्मदा-कालीसिंध लिंक परियोजना व अन्य विकास कार्यों की सौगात मिलेगी।लेकिन सोमवार की सुबह हुई चुनावी घोषणा ने कम से कम नर्मदा जल को तो बागली की पहुंच से कुछ समय के लिए दूर कर दिया है। आचार संहिता लगते से ही भाजयुमो को अपनी बैठक का स्थान बदलना पड़ा।

सोमवार को भाजयुमो के विधानसभा प्रभारी जयवर्धन जोशी और सहप्रभारी राम सोनी उदयनगर, सतवास और बागली में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने वाले थे। लेकिन आचार संहिता की घोषणा होने के बाद बागली विश्राम गृह पर होने वाली बैठक का स्थान बदलना पड़ा। साथ ही सोशल मीडिया पर नर्मदा योजना नहीं तो वोट नहीं और बागली जिला नहीं तो वोट नहीं के संदेश आने शुरू हो गए।
बागली भाजपा का गढ़ माना जाता है

बागली स्वतंत्रता के बाद से ही जनसंघ और फिर भाजपा का गढ़ रहा है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी 8 बार विधानसभा पहुंचे और बाद में उनके पुत्र और बागली आरक्षित वर्ग की सीट होने के बाद उनके समर्थक ही विधायक हैं। खण्डवा लोकसभा में भी भाजपा की जीत में बागली विधानसभा का बहुत बड़ा योगदान रहता है। यदि वर्ष 2009 को छोड़ दें तो वर्ष 2014 और 2019 में दिवंगत सांसद नंदकुमारसिंह चौहान की लाखों मतों की विजय में बागली का योगदान हजारों का रहा है। साथ ही बागली सहित शेष 8 विधानसभा क्षेत्रों में चौहान के व्यक्तिगत समर्थकों की कमी भी नहीं है और उनके पुत्र हर्षवर्धन को पृथक से किसी पहचान की जरूरत भी नहीं है।

किसान दे रहे थे धरना
इस वर्ष की शुरुआत में भारतीय किसान संघ के कृषको ने नर्मदा-कालीसिंध लिंक सिंचाई परियोजना को लेकर आंदोलन शुरू किया था। जिसमें वे चापड़ा चौपाटी पर धरना दे रहे रहे थे। क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने गत वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री स्व कैलाश जोशी के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा अनावरण समारोह में 2400 करोड़ रुपए से अधिक लागत की हाटपिपल्या नर्मदा-कालीसिंध उद्वहन परियोजना की मंचीय स्वीकृति दी थी लेकिन प्रदेश में उपचुनावों के बाद भी योजना ठंडे बस्ते में ही पड़ी रही इसलिए किसानों ने आंदोलन की शुरुआत की थी और उनके धरने को जनसमर्थन भी मिलने लगा था लेकिन इस बीच कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हो गई और आंदोलन बन्द करना पड़ा।

इनके बाद कुछ समय पूर्व पाटीदार समाज बाहुल्य ग्राम पंचायत नयापुरा से नर्मदा योजना नहीं तो वोट नहीं और कोई भी राजनेता बिना योजना की प्रशासकीय स्वीकृति के ग्राम में प्रवेश ना करें के नारे के साथ आंदोलन शुरू किया और धीरे-धीरे आंदोलन बागली सेक्टर के लगभग 1 दर्जन गांवों तक फैल गया। साथ ही सतवास क्षेत्र में भी इसकी आंच फैली। जिसमें पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद अरुण यादव को क्षेत्र के अपने दौरे में करनावद और ग्राम पंचायत छतरपुरा का दौरा निरस्त करना पड़ा था। लेकिन यहां पर भाजपा एक मुश्किल में पड़ गई थी।

इस आंदोलन की आग ग्राम पंचायत गुराड़िया कलां तक पहुंच गई थी और उस गांव में भाजपा के संगठन की बैठक पूर्व निर्धारित थी। जिसमें भाजपा के संभागीय संगठन मंत्री और जिला अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों को भी भाग लेना था। गांव के रहवासियों ने इंदौर-नेमावर मार्ग से गांव के पहुंच मार्ग से भाजपा नेताओं का प्रवेश निषेध कर दिया। किसानों को मनाने के प्रयास में भाजपा के एक पदाधिकारी ने किसानों से कुछ दिनों का समय लिया अन्यथा पड़ छोड़ने की बात कह डाली।

आचार संहिता लगने के बाद सोशल नेटवर्क पर एक्टिव हुए आंदोलनकारी
सोमवार को जैसे ही आचार संहिता लगी आंदोलनकारी और किसान सोशल नेटवर्क पर एक्टिव हुए और त्यागपत्र की मांग के साथ वीडियो पोस्ट करने लगे। इस दौरान जिला बनाओ अभियान सहयोग समिति वाले भी पीछे नहीं रहे और जिला नहीं तो वोट नहीं के नारे को बुलंद करने लगे। इस बीच भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी ने अपनी पोस्ट में अपने पिता के समय से लेकर अब तक पार्टी के लिए किए कार्य की बात करके कहा गया कि मुख्यमंत्री ने स्व जोशीजी की प्रतिमा के सामने रामायण की चोपाई के साथ दोनों मांगो के पूर्ण होने का आश्वासन दिया था लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई इसलिए अब क्षेत्र की जनता को छले जाने का सिलसिला बहुत हो गया अब हमारा धैर्य जवाब चुका है।

 

अब जब तक दोनों बेहद जरूरी आवश्यक सौगातें नहीं मिल जाती मैं और मेरा परिवार राजनीति से दूर रहते हुए मतदान से दूर रहेगा।
बहरहाल अब तक दोनों ही दलों ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए है लेकिन उपचुनाव की राह सभी के लिए कांटों भरी है।
देखिए वीडियो, क्या वादों पर अमल हो पाएगा