कुं राजेंद्रपालसिंह सेंगर की विशेष रिपोर्ट
Bagli: विगत दिनों बागली जिला बनाओ अभियान समिति ने नगर में सर्वदलीय बैठक करके महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए खुला एलान किया कि यदि बागली ज़िला नहीं तो किसी भी पार्टी का चुनाव कार्यालय भी नहीं खोला जाएगा। पहले ही बागली विधानसभा के अधिसंख्यक ग्रामीण इलाकों में नर्मदा योजना नहीं तो वोट नहीं और गांवों में राजनेताओं का प्रवेश निषेध आंदोलन चल रहा है। जिसकी आंच कन्नौद तहसील के सतवास और कांटाफोड़ क्षेत्र में भी है।
ऐसे में बागली ज़िला बनाओ आन्दोलन के नवीन निर्णयों से उपचुनाव बहुत हद तक प्रभावित होने के आसार है। क्योंकि बैठक के बाद सोमवार को संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने बागली का भ्रमण किया। लेकिन दोनों ही दलों के बागली निवासी आम कार्यकर्तों और पदाधिकारियों ने दूरी बनाई। जानकारी के अनुसार मुख्य बाजार में स्थित श्री छत्रपति हनुमानजी मंदिर में आयोजित बैठक में भारी हंगामे के मध्य सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि बागली नगर का कोई भी व्यक्ति किसी भी नेता के साथ नही घूमेगा और ना ही राजनीतिक पार्टी के लिए काम भी नही करेगा।
बागली में दोनो राजनीतिक दल के चुनाव कार्यालय नही खुलेंगे और मतदान के दिन पोलिंग एजेंटों की टेबलें भी लगने नहीं दी जाएगी। साथ ही उक्त निर्णयों को मूर्त रूप देने के लिए नगर के वरिष्ठ और सर्वमान्य नागरिकों की 11 सदस्यी समन्वय समिति का गठन भी होगा। बैठक में नगर के सामूहिक निर्णय के विरुद्ध जाने वालों के सामाजिक बहिष्कार का प्रावधान भी किया गया।
उक्त निर्णय लेने के बाद 7 दिनों की समय सीमा तय कर आगामी बैठक में समीक्षा की जाएगी।बैठक में पूर्व नप अध्यक्ष अमोल राठौर, पूर्व मंडल महामंत्री देवेंद्र गोस्वामी, भाजपा नेता महेश सोनी, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मोतीलाल पटेल, कांग्रेस नेता ओमप्रकाश शर्मा, अधिवक्ता विजय यादव, कांग्रेस ज़िला उपाध्यक्ष कमल सोनी, पूर्व भाजपा मंडल मीडिया प्रभारी मुकेश गुप्ता, हिन्दू जागरण मंच के देवेंद्र उपाध्याय, शिवाजी यादव, रजत बजाज, मुकेश बम, शिव शर्मा, मोनू अजमेरा व संदीप उदावत सहित बड़ी संख्या में नागराजन उपस्थित थे।
चर्चा करते हुए आंदोलन से जुड़े अधिवक्ता मुकेश गुर्जर,सुभाष कारपेंटर व सोमेश उपाध्याय ने बताया कि लगभग 10 वर्ष से लगातार आंदोलन किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी भी चाहते थे कि बागली जिला बने लेकिन हर बार आश्वासन से अधिक कुछ नहीं मिला। मुख्यमंत्रीजी ने हाटपिपल्या में स्व जोशी की प्रतिमा अनावरण समारोह में रामायण की चौपाइयां दोहरा कर बागली को जिला बनाने की बात कही थी लेकिन अब 1 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। घोषणा ने धरातल पर आकार नहीं लिया इसलिए यह समय नगर के लिए खुद्दार बनने का है गद्दारी का नहीं।
नेताओं ने बनाई दूरी
बैठक के बाद प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने बागली का भ्रमण किया। लेकिन बागली के स्थानीय कार्यकर्ता व पदाधिकारी दूरी बनाते हुए नजर आए। ठाकुर ने भी माहौल भांपकर भाजपा के वशिष्ठ नेताओं से उनके घर जाकर ही मुलाकात की। वहीं पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी बागली आए लेकिन राजपरिवार के निवास गढ़ी में जाने के बाद पुंजापुरा में आयोजित ब्लॉक,मंडल और सेक्टर प्रभारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर कांटाफोड़ निकल गए।वहीं भाकिसं प्रचार-प्रसार प्रमुख शांतिलाल सोलिया ने बताया कि यदि योजना की प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिलती है तो मतदान का बहिष्कार भी होगा।