Khandwa राजस्व उप निरीक्षक को तीन वर्ष का सश्रम कारावास:रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए थे 

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Khandwa राजस्व उप निरीक्षक को तीन वर्ष का सश्रम कारावास:रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए थे 

Khandwa: भ्रष्टाचार के विरुद्ध न्यायपालिका की सख्ती एक बार फिर सामने आई है। आम नागरिक को उसके वैध अधिकारों से वंचित कर काम के बदले रिश्वत मांगने की प्रवृत्ति पर विशेष न्यायालय ने कड़ा संदेश दिया है। प्लाट नामांतरण और मकान निर्माण अनुमति के नाम पर रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के गंभीर आरोप सिद्ध होने पर नगर परिषद छनेरा नया हरसूद के राजस्व उप निरीक्षक को दोषी ठहराते हुए अदालत ने सश्रम कारावास और अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। यह फैसला न केवल लोकसेवकों की जवाबदेही तय करता है बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी कानूनी लड़ाई को भी मजबूती देता है।

विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम खण्डवा अरविन्द सिंह टेकाम की अदालत ने अभियुक्त किशनलाल चेतमल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 क के तहत दोषी पाते हुए तीन वर्ष का सश्रम कारावास और 20,000 रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।

अभियोजन के अनुसार फरियादी आत्माराम निवासी श्रीकृष्णपुरम कॉलोनी खण्डवा ने वर्ष 2007 में ग्राम छनेरा नया हरसूद में 400 वर्गफिट का एक भूखण्ड क्रय किया था। इसके बाद वर्ष 2014 में उसी भूखण्ड से लगा हुआ 280 वर्गफिट का एक अन्य प्लाट भी खरीदा गया। दोनों भूखण्डों का तहसील स्तर से नामांतरण पूर्व में ही हो चुका था। उक्त भूखण्डों पर मकान निर्माण के लिए जनपद परिषद छनेरा से नामांतरण की स्वीकृति और निर्माण अनुमति आवश्यक थी। इसी प्रक्रिया के तहत फरियादी ने 27 मार्च 2018 को दोपहर में जनपद परिषद छनेरा पहुंचकर आवेदन प्रस्तुत किया और नामांतरण स्वीकृति की निर्धारित राशि की रसीद भी परिषद द्वारा काटी गई।

इसके बावजूद कार्य में लगातार विलंब होता रहा। फरियादी अपने आवेदन की स्थिति जानने के लिए नगर परिषद छनेरा नया हरसूद में पदस्थ राजस्व उप निरीक्षक किशनलाल चेतमल से बार बार मिलता रहा। काम आगे न बढ़ने पर फरियादी ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई और कलेक्टर खण्डवा को भी शिकायत भेजी। अभियोजन के मुताबिक अभियुक्त ने फरियादी से कहा कि यदि सीएम हेल्पलाइन की शिकायत वापस ले ली जाए तभी उसका काम किया जाएगा।

आरोप है कि इसके बाद अभियुक्त ने प्लाट नामांतरण और मकान निर्माण अनुमति के एवज में खर्चा लगने की बात कही और फरियादी से कुल 23,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। रिश्वत की यह मांग लगातार दोहराई जाती रही। इससे परेशान होकर फरियादी ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

शिकायत पर पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त इंदौर के निर्देश पर निरीक्षक राहुल गजभिये के नेतृत्व में ट्रैप दल का गठन किया गया। योजना के अनुसार 11 जून 2018 को फरियादी नगर परिषद छनेरा नया हरसूद के राजस्व विभाग के कक्ष में अभियुक्त से मिला। वहां अभियुक्त ने फरियादी से 15,000 रुपये की रिश्वत राशि ली और उसे अपने पेंट की पीछे की दाहिनी जेब में रख लिया। इसी दौरान लोकायुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर अभियुक्त को रंगेहाथ पकड़ लिया और रिश्वत की राशि जप्त की गई।

न्यायालय ने अभियुक्त द्वारा रिश्वत की मांग करने और स्वीकार करने से जुड़े साक्ष्यों को विश्वसनीय और प्रमाणित मानते हुए दोष सिद्ध पाया। विवेचना पूर्ण होने के बाद लोकायुक्त पुलिस द्वारा अभियोग पत्र विशेष न्यायालय लोकायुक्त खण्डवा में प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण की पैरवी लोकायुक्त की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी खण्डवा विनोद कुमार पटेल ने की। वहीं साक्षियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने में लोकायुक्त इंदौर के पुलिस अधीक्षक डॉ. राजेश सहाय के निर्देश पर आरक्षक पवन पटोरिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही।