Badwani News: 50 किलोमीटर से दूर आई आक्रोशित महिलाओं को कलेक्टर ने आवास योजना में नाम दिखा कर संतुष्ट लौटाया

786

Badwani News: 50 किलोमीटर से दूर आई आक्रोशित महिलाओं को कलेक्टर ने आवास योजना में नाम दिखा कर संतुष्ट लौटाया

 

बड़वानी : मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के राजपुर सबडिवीजन के वासवी पंचायत की 100 से अधिक महिलाओं ने आवास योजना में अपने नाम नहीं होने को लेकर कलेक्ट्रेट के अंदर प्रवेश कर प्रदर्शन किया। लेकिन जैसे ही जिला कलेक्टर ने उनके नाम सूची में बताये, वह संतुष्ट होकर वापस लौट गयीं।

वासवी ग्राम पंचायत की 100 से अधिक महिलाएं पैदल 50 किलोमीटर दूर जिला कलेक्टर कार्यालय के लिये निकली थी। करीब 5 किलोमीटर के बाद वे वाहनों में सवार होकर कलेक्ट्रेट में पहुंची। अपर कलेक्टर और अन्य अधिकारियों ने टाइम लिमिट बैठक का हवाला देते हुए उन्हें इंतजार करने को कहा। लेकिन वह थोड़ी देर बाद कलेक्टर कार्यालय के हाल में पहुंच गई। उन्होंने कहा कि वह केवल जिला कलेक्टर से ही मिलना चाहती हैं।

उन्होंने बताया कि आवास योजना में अधिकांश परिवारों के नाम नहीं होने से वे कच्चे मकान में ही रहती हैं ,और मेहमान भी आने में कतराते हैं। इसके अलावा मांगलिक भवन, नल जल योजना और पंचायत सचिव को लेकर भी उनकी दिक्कतें थीं। उन्होंने कहा करीब 1500 की आबादी वाले गांव में 350 कच्चे मकान है लेकिन 2011 से केवल चुनिंदा लोगों को ही आवास योजना का लाभ मिला है।

मंगलवार को निर्धारित टाइम लिमिट बैठक में विभिन्न विभागीय अधिकारियों के साथ व्यस्त प्रभारी जिला कलेक्टर काजल जावला ने मीटिंग स्थगित कर दी, और महिलाओं के साथ चर्चा को तरजीह दी। उन्होंने प्रत्येक महिलाओं की बातों को ध्यान से सुना और इसके बाद ग्राम पंचायत वासवी से संबंधित दस्तावेज मंगाये।

उन्होंने बताया कि 2017 के सर्वे में आवास योजना कुटीर में शेष रहे पात्र हितग्राहियों को लेटेस्ट सर्वे में जोड़ लिया गया है। उन्होंने महिलाओं को आश्वस्त किया कि 2 सितंबर को ग्राम वासवी में एक कैंप लगाया जाएगा उसमें 100% पात्र हितग्राहियों के नाम भी वाचन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं की शेष अन्य समस्याओं को भी मौके पर सुनकर निराकृत किया जाएगा।

अपनी मूल समस्या का निराकरण पाकर संतुष्ट हुई महिलाएं देर शाम अपने घरों को लौट गई।

बड़वानी और खरगोन जिलों में अपनी समस्याओं को कलेक्टर तक पहुंचाने का अलग ही ट्रेंड चलन में आया है। पहले हॉस्टल के छात्र-छात्राओं के अचानक आक्रोशित होकर पैदल मार्च करने की घटनाएं सामने आई थीं, अब ग्रामीणों ने भी इस युक्ति को अपना लिया है। हालांकि नाम गोपनीय रखने की शर्त पर अधिकारी और नेता बताते हैं कि इसके पीछे इन्हें क्षेत्रीय संगठन भी उकसाते हैं।