Kissa-A-IAS:पिता की मौत,मां ने बकरी-भैंस पालकर पढ़ाया, बेटे ने ऐसे क्रैक की UPSC परीक्षा
यह कहानी उस बेहद गरीब घर के छोटे से गांव के लड़के की कहानी है, जिसने देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करके अपना नाम रोशन किया। UPSC में सफलता पाने वाले विशाल कुमार गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता की 2008 में मौत हो गई थी। वे मजदूरी करके अपने घर का पालन-पोषण करते थे। उनके जाने के बाद घर के हालात बेहद खराब हो गए थे। इसके बाद विशाल की मां रीना देवी ने बकरी और भैंस पालकर अपने परिवार का भरण पोषण किया।
विशाल के स्वर्गीय पिता बिकाऊ प्रसाद कहा करते थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनेगा। विशाल ने आखिरकार उनका सपना सच कर दिया है। विशाल ने साल 2011 में मैट्रिक में टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने साल 2013 में आईआईटी कानपुर में प्रवेश लिया। यहां से पास आउट होने के बाद विशाल ने रिलायंस कंपनी में जॉब की। लेकिन, जब UPSC की धुन सवार हुई तो नौकरी छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की और पिता का सपना साकार कर दिया।
विशाल के टीचर की माने तो वह शुरू से ही पढ़ने में काफी अच्छा था। पिता की मौत के बाद उसने और अधिक मेहनत करनी शुरू की और आज जब सफलता के इस मुकाम को हासिल किया।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले विशाल ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा-2021 में 484 वां रैंक प्राप्त की। उनकी इस सफलता के बाद मीनापुर प्रखंड स्थित उनके गांव मकसूदपुर में जश्न का माहौल बन गया था। आज सभी उनकी मिसाल देते हैं, तो कोई उनसे प्रेरणा ले रहा है। विशाल अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने परिवार और अपने अध्यापक गौरीशंकर प्रसाद को देते हैं। विशाल के अनुसार गौरीशंकर ने मुश्किल हालात में उनकी बहुत मदद की है। उन्होंने विशाल के पढ़ाई की फीस तक दी। पैसों की तंगी के समय अपने ही घर में रखा। जब विशाल नौकरी करने लगे तब अध्यापक ने ही उन्हें नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी करने को प्रोत्साहित किया। इस दौरान भी अध्यापक गौरी शंकर ने उनकी आर्थिक मदद की।
विशाल की मां बकरी पालकर भी इतना नहीं कमा पाती थीं कि वो विशाल की पढ़ाई का खर्च उठा पाएं। ऐसे में विशाल के अंदर छिपी प्रतिभा को देखते हुए उनके शिक्षक ने उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। विशाल ने मैट्रिक की परीक्षा में अपने जिले में टॉप किया। इसके बाद IIT कानपुर में दाखिला लिया और साथ ही पैसों की कमी को पूरा करने के लिए नौकरी भी की। जिसके बाद गांव के शिक्षक गौरीशंकर ने विशाल को UPSC की परीक्षा के लिए प्रेरित किया। इनके मार्गदर्शन में विशाल ने दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहकर UPSC की तैयारी की।
विशाल के पिता अपने बेटे को आश्वस्त किया करते थे, कि पढाई उसे एक मजबूत इंसान बनने में मदद करेगी। विशाल ने अपने पिता की इच्छा पूरी की। 2011 में विशाल ने मैट्रिक की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया। उसके बाद IIT कानपुर में एडमिशन लिया। विशाल ने कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद रिलायंस में नौकरी प्राप्त की। विशाल के शिक्षक गौरीशंकर ने दावा किया कि विशाल ने छोटी उम्र से ही कक्षा में शानदार प्रदर्शन किया।
विशाल की मां बताती हैं कि विशाल बचपन से ही काफी तेज रहा है। उसने मैट्रिक की परीक्षा में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। वहीं, विशाल के छोटे भाई राहुल बताते हैं कि उनके बड़े भाई विशाल ने काफी संघर्ष करके इस मुकाम को पाया है। पैसे की कमी की वजह से उन्होंने कई जॉब किया।
पिता के निधन के बाद मां रीना देवी पर तीन बच्चों का बोझ आ गया था। जीवन की राह मुश्किल थी, मगर बच्चों की पढ़ाई के प्रति लगन देख समाज आगे आया। उसकी मदद से परिवार की गाड़ी आगे बढ़ी। गांव के शिक्षक गौरीशंकर का विशेष स्नेह परिवार से रहा जो पास के गांव शाहपुर के शिक्षक थे। पढ़ाई के दौरान आर्थिक परेशानियों से लेकर विशाल का मार्गदर्शन करने में उनकी ख़ास भूमिका रही है। उन्होंने ही रिलायंस व निजी कोचिंग संस्थान की नौकरी छोड़ कर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कराई। विशाल का कहना था कि गौरीशंकर सर और उसकी मां की प्रेरणा से वह इस मुकाम तक पहुंचा है। उसे अनुमान था कि इस बार वह UPSC क्रैक करेगा, वही हुआ भी।