Kissa-A-IAS: Deepesh Kumari: सड़क पर 25 साल तक ठेले पर पकौड़े बेचने वाले की बेटी है IAS अधिकारी 

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Kissa-A-IAS: Deepesh Kumari: सड़क पर 25 साल तक ठेले पर पकौड़े बेचने वाले की बेटी है IAS अधिकारी 

 

Deepesh Kumari: राजस्थान के भरतपुर जिले के छोटे से गांव में 25 साल तक पकौड़े-नमकीन बेचने वाले की बेटी आज IAS अधिकारी हैं।

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राजस्थान में भरतपुर के अटल बांध इलाके की दीपेश कुमारी एक ऐसी मिसाल हैं जो दिखाती हैं कि कितनी भी गरीबी हो, अगर मन में हौसला सच्चा हो तो कोई मंजिल दूर नहीं। छोटे से कमरे में सात लोगों के परिवार में पलकर भी दीपेश ने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा कर दिखाया।

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Deepesh Kumari: दीपेश के पिता गोविंद कुमार ने 25 साल तक पकौड़े-नमकीन बेचकर परिवार का पालन-पोषण किया और बच्चों की शिक्षा पर कभी समझौता नहीं किया।

दीपेश कुमारी अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। उन्होंने शिशु आदर्श विद्या मंदिर में पढ़ाई की। 10वीं में उन्होंने 98 प्रतिशत और 12वीं में 89 प्रतिशत अंक हासिल किए। इस परिवार की मेहनत और संघर्ष ने हमेशा आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी। दीपेश ने MBM इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर से सिविल इंजीनियरिंग में B.Tech किया। फिर IIT बॉम्बे से M.Tech किया। शुरुआत में दीपेश ने एक साल तक प्राइवेट नौकरी की, लेकिन अपना सपना पूरा करने के लिए उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। पहली बार प्रयास में सफलता न मिलने पर भी हार नहीं मानी और अगले साल 2021 में टॉप 100 में जगह बनाई। उन्होंने EWS कैटेगरी में देशभर में चौथी रैंक पाकर IAS अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया।

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अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद दीपेश कुमारी को झारखंड कैडर आवंटित हुआ। भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2022 बैच की IAS अधिकारी दीपेश कुमारी पहले खूंटी जिले में SDM बनी। बाद में कुछ समय के लिए भारत सरकार में रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज मंत्रालय में असिस्टेंट सेक्रेटरी के पद पर भी पदस्थ रही। वर्तमान में वे झारखंड सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में पदस्थ हैं।

साल 2021 में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास करने के बाद दीपेश कुमारी अपने छोटे भाई-बहनों के लिए मिसाल बन गईं. यह उनकी अच्छी शख्सियत का ही असर था कि उनकी देखा-देखी उनके भाई बहनों ने भी करियर के लिए ऊंचे सपने देखे और उन्हें हासिल किया. दीपेश कुमारी खुद आईएएस अफसर बन गईं, उनकी एक बहन डॉक्टर बन गई और 2 भाई-बहन एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. इस पूरे परिवार ने साबित कर दिया कि इरादे मजबूत हों तो कोई भी रुकावट आपके हौसले डगमगा नहीं सकती है.

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दीपेश कुमारी की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है लेकिन परिस्थिति उसे रोक रही हो। यह दिखाती है कि निराशा में भी उम्मीद की किरण होती है, बस ढूंढ़ने वाला होना चाहिए।