Kissa-A-IAS: गरीबी से संघर्ष और विकलांगता के बावजूद IAS बनकर दिखाया

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Kissa-A-IAS: गरीबी से संघर्ष और विकलांगता के बावजूद IAS बनकर दिखाया

यदि किसी में प्रतिभा है और अपने लक्ष्य को पाने की लगन है, तो उसे मुकाम हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि, प्रतिभा कहीं भी हो उसकी चमक एक दिन सामने जरूर आती है। रमेश घोलप उसी प्रतिभाशाली शख्स का नाम है, जो महाराष्ट्र के एक बहुत छोटे से गांव के गरीब परिवार से निकलकर कलेक्टर जैसी ऊंची कुर्सी तक पहुंचे। पिता की शराब पीने की आदत ने परिवार को कभी मुसीबतों से उबरने नहीं दिया। मां चूड़ियां बेचकर किसी तरह घर चलाती रही। बचपन में वे भी मां के साथ चूड़ियां बेचते थे। रमेश घोलप ने गरीबी और समस्याओं को बहुत करीब से देखा है।

Kissa-A-IAS: गरीबी से संघर्ष और विकलांगता के बावजूद IAS बनकर दिखाया

खुद रमेश के पैर में भी पोलियो होने से वो अलग संकट था। फिर भी उनकी प्रतिभा एक दिन सामने आई और सारी मुसीबतों को पार करके रमेश ने यूपीएससी क्लियर की। इस समय वे झारखंड कैडर में आईएएस हैं। उनमें सहजता और सरलता इतनी है कि सालभर पहले रमेश घोलप की एक फोटो काफी वायरल हुई। यह फोटो उनके गांव में खींची गई थी। एक IAS ऑफिसर को सड़क के किनारे ज़मीन पर एक बुज़ुर्ग के बैठकर बात करते और हंसते हुए देखना लोगों को बेहद पसंद आया था। सोशल मीडिया पर भी इसे जनता ने काफी सराहा।

रमेश घोलप महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित महागांव के रहने वाले हैं। उनके पिता गोरख घोलप की साइकल की छोटी थी, जहां वे साईकल के पंचर बनाते थे। लेकिन, रमेश के पिता को शराब पीने की बुरी आदत थी। इस कारण उनका पूरा परिवार बहुत परेशान रहा। रमेश की मां विमल देवी सड़कों पर चूड़ियां बेचती थीं। रमेश कभी अपनी मां तो कभी पिता के काम में हाथ बंटाते। पोलियो होने के बावजूद रमेश अपनी मां और भाई के साथ चूड़ियां बेचने तक गए। घर की आर्थिक हालात भी खराब थी, इसके बावजूद उनका लक्ष्य सामने था। वे सफलता के उस मुकाम तक पहुंचना चाहते थे, जहां से वे अपने घर और समाज के काम आ सकें।

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ज्यादा शराब पीने की वजह से एक दिन उनके पिता की तबियत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। ऐसे हालात में अब घर और परिवार का पूरा भार रमेश की मां पर आ गया। जब उनके पिता का निधन हुआ तब रमेश 12वीं में पढाई कर रहे थे। पिता के निधन की खबर मिलने के बाद रमेश का घर पहुंचना बेहद जरूरी था। चाचा के घर से अपने घर तक का किराया केवल 7 रुपए लगते थे, रमेश विकलांग थे तो उनको केवल 2 रुपए लगते थे। लेकिन हालत ऐसे थे कि उनके पास किराया देने के लिए 2 रुपए भी नहीं थे। पिता के अंतिम संस्कार के लिए मां को अपनी चूड़ी बेचना पड़ी थी।

Kissa-A-IAS: गरीबी से संघर्ष और विकलांगता के बावजूद IAS बनकर दिखाया

उनकी शुरूआती शिक्षा गांव के एक स्कूल में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वे चाचा के गांव बरसी चले गए। इतने अभाव के बावजूद 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उन्हें 88.50% अंक हासिल किए। एजुकेशन में डिप्लोमा करने के बाद रमेश गांव के ही एक स्कूल में पढ़ाने लगे। डिप्लोमा के साथ ही उन्होंने बीए की डिग्री भी ली। उनकी मां को सामूहिक ऋण योजना के तहत गाय खरीदने के लिए 18 हजार रुपए का कर्ज मिला था। इसमें से कुछ पैसे बचाकर रमेश ने अपनी पढ़ाई पूरी की।

Kissa-A-IAS: गरीबी से संघर्ष और विकलांगता के बावजूद IAS बनकर दिखाया

यूपीएससी की तैयारी करने के लिए रमेश ने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी और पूरी मेहनत से तैयारी में लग गए। उन्होंने 2010 में पहली बार यूपीएससी की कोशिश की। लेकिन, इसमें वे सफल नहीं हो सके। इसके बाद उनकी मां ने गांव वालों से कुछ पैसे उधार लेकर रमेश को पढाई के लिए बाहर भेज दिया। पुणे जाने के बाद रमेश ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। कड़ी मेहनत, लगन और परिश्रम के बाद आखिरकार उन्होंने 2012 में सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक कर 287 रैंक हासिल की। विकलांग कोटे के तहत रमेश घोलप आईएएस ऑफिसर बन गए। उन्हें झारखंड कैडर मिला और फ़िलहाल वे एक जिले के कलेक्टर हैं।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।