KISSA-A-IAS: 10वीं और 12वीं में फेल,पहले प्रयास में ही बनी IAS
गुजरात कैडर की 1991 बैच की IAS अधिकारी अंजू शर्मा महज 22 साल की आयु में UPSC की कठिन परीक्षा पास कर IAS अधिकारी बनी।
अंजू की कहानी रोचक है। जहां वे पहले अटेम्प्ट में UPSC जैसी कठिन परीक्षा में सफल होकर IAS बनी वही वे अपनी10वीं और12वीं की परीक्षा में फेल होकर बाद में पास हुई।
अंजू 10वीं और 12वीं में फेल हो गई थी, लेकिन ये असफलताएं उनके हौसले को डिगा नहीं पाईं। उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती रहीं। महज 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा को पास कर ली।
उनका जन्म 1969 में राजस्थान में हुआ था। उन्होंने जयपुर से बीएससी और एमबीए किया और 1991 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। उन्हें गुजरात कैडर मिला। ट्रेनिंग के बाद उन्हें सबसे पहले राजकोट में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला था। वे गांधीनगर में डीएम सहित राज्य में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकी हैं।
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यूपीएससी को लक्ष्य बनाने वाले छात्र अपने संघर्ष से इसमें जरूर सफल हुए। अंजू शर्मा ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा में पास होने के लिए संघर्ष किया। वे 10वीं की प्री बोर्ड परीक्षा में केमिस्ट्री के पेपर में पास नहीं हो पाईं। अंजू शर्मा को 10वीं में केमिस्ट्री के प्री-बोर्ड और 12वीं में इकोनॉमिक्स के पेपर में असफलता हाथ लगी। इन दो विषयों को छोड़ दें तो उन्होंने हर सब्जेक्ट में डिस्टिंक्शन हासिल किया।
इसके बाद 12वीं में भी अर्थशास्त्र के पेपर में फेल हो गईं, हालांकि अन्य विषयों में उन्होंने डिस्टिंक्शन हासिल की थी। अंजू बताती हैं कि प्री बोर्ड परीक्षा में मुझे बहुत सारे पाठ पढ़ने थे, लेकिन परीक्षा से ठीक पहले की रात मुझे घबराहट होने लगी। क्योंकि, मेरी तैयारी अच्छी नहीं थीं।
अंजू शर्मा का कहना है कि असफलता ही आपको सफल बना सकती है। जब उन्हें पढ़ाई के दौरान ये दो असफलता हाथ लगी, तो उनकी मां उनके साथ खड़ी रही। अंजू ने बताया कि इस कठिन दौर में उनकी मां ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा का समय आ जाने पर ही पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। इससे सीख लेते हुए अंजू ने कॉलेज के दिनों में निरंतर पढ़ाई जारी रखी और कॉलेज में अपनी अलग पहचान बनाते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया।
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अंजू शर्मा ने एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष के बारे में बताया। महज 22 साल की अंजू ने सिविल सर्विस की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास कर ली। उन्होंने अपने परिवार के साथ-साथ खुद के लिए भी सफलता हासिल की। यूपीएससी की तैयारी करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई काफी पहले पूरी कर ली और टॉपर्स की लिस्ट में अपना नाम दर्ज किया।
यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद अंजू शर्मा 1991 में सहायक कलेक्टर नियुक्त हुईं। उन्होंने अपनी सर्विस की शुरुआत राजकोट से की। राजकोट के बाद वे गांधीनगर डीएम बनीं, इसके साथ ही वे कई सरकारी पदों पर सेवा दे चुकी हैं। अंजू शर्मा वर्तमान में गांधीनगर में गुजरात सरकार में श्रम, स्किल डेवलपमेंट और रोजगार विभाग की अपर मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
फेल होने से सीखा सबक
अंजू जब 10वीं और 12वीं में फेल हुईं तो उन्होंने समझा कि पढ़ाई करने के लिए सही रणनीति होनी चाहिए। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने सही रणनीति पर काम किया। इसका नतीजा ये हुआ कि वे कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट बनीं। अंजू के मुश्किल सफर में मां ने उनका हमेशा समर्थन किया और कदम-कदम पर उनके साथ खड़ी रहीं। अंजू कहती हैं कि असफलताएं आपको सफलता के लिए तैयार करती हैं। दो असफल घटनाओं ने मेरा जीवन बदल दिया।
अंजू ने जब कॉलेज में गोल्ड मेडल हासिल किया तो उन्होंने आत्मविश्वास के साथ UPSC की तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान उन्होंने जल्दी से जल्दी पाठ्यक्रम पूरा करने पर ध्यान दिया। पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद मॉक टेस्ट और रिवीजन की मदद से पहले की प्रयास में परीक्षा पास कर ली। अंजू ने बताया कि अच्छे नंबर लाने के लिए कोई एक फार्मूला नहीं है। आप नतीजे की चिंता छोड़ कर केवल दृढ़ इच्छाशक्ति और ईमानदारी से पढ़ाई करें।