

Kissa-A-IAS : IAS Ajit Kumar Yadav: देख नहीं सकते – सिस्टम से लड़कर हासिल की कुर्सी! आज है कमिश्नर
सुरेश तिवारी
ये ऐसे IAS अफसर हैं, जो दोनों आंखों से देख नहीं सकते। लेकिन, उनकी कार्यप्रणाली और मेहनत सबको चौंकाने वाली है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट धाम, बांदा मंडल के कमिश्नर अजीत कुमार यादव की पहचान सख्त और कर्मठ अफसर के रूप में होती है। वे जहां भी तैनात हुए, वहां के अफसरों की नींद उड़ा देते हैं। वे आंखों से देख नहीं सकते, लेकिन उन्होंने इसे कभी कमजोरी नहीं माना। उनका मानना है कि काम तो दिमाग करता है। आंखें केवल सूचना देती हैं। वे ब्रेल लिपि के जरिए प्रशासनिक काम करते हैं और टेक्नोलॉजी का बेहतरीन इस्तेमाल करते हैं।
अजीत यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खेरी गांव से ताल्लुक रखते हैं। वे जन्म से दृष्टिहीन नहीं थे। पांच साल की उम्र में उन्हें क्रोनिक डायरिया हो गया, इसके बाद उनकी हालत इतनी बिगड़ी कि उनकी आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन अजीत ने अपनी इस कमजोरी को कभी बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी शुरुआती पढाई करोल बाग़ के स्प्रिंगडेल्स स्कूल से की।
यहां से 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में टॉप किया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद एमए में जूनियर रिसर्च स्कॉलरशिप हासिल हुई। फिर उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्यामलाल कॉलेज में भी पढ़ाने का मौका भी मिला।
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अजीत यादव देश के दूसरे दृष्टिहीन IAS अफसर हैं। लेकिन, यह पद उन्हें आसानी से नहीं मिला। उन्होंने अपनी लड़ाई खुद लड़ी, जो शारीरिक अक्षमता से नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम से थी।
अजीत का कहना है कि 2005 में एक कार्यक्रम में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहते हुए सुना था कि IAS के दरवाजे दृष्टिहीन नागरिकों के लिए भी खोले जाने चाहिए। बस इस पल के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मुझे क्या करना है। यहां से मैंने सिविल सर्विसेज में जाने की ठानी। फिर उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू की। अजीत यादव ने 2008 में सिविल सेवा परीक्षा दी। इस साल 791 में से 208 वीं रैंक हासिल की, लेकिन फिर भी उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में कोई पद ऑफर न करके भारतीय रेलवे में बतौर अधिकारी पद ऑफर किया गया। लेकिन,उन्हें ये गवारा नहीं था। इसलिए उन्होंने इसके खिलाफ कदम उठाया. उन्होंने केस फाइल किया।
उनका मामला केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में पहुंच गया। एक लंबी लड़ाई के बाद साल 2010 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया। प्राधिकरण ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को आठ सप्ताह के भीतर उनके रैंक के मुताबिक पद ऑफर करने के निर्देश दिए। 14 फरवरी, 2012 को आखिरकार उनका कॉल लेटर आ गया।

अरुण कुमार यादव वर्तमान में चित्रकूट के संभागीय आयुक्त हैं। इसके पहले वे उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि विभाग के सचिव रहे। IAS में प्रवेश के बाद यादव सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे और कई विभागों के विशेष सचिव रहे।
*दिन में करीब 14 घंटे काम*
वे सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक ऑफिस में काम करते हैं। कभी-कभी घर जाकर लंच करते हैं और रात में 1 बजे सोते हैं। सुबह 5 बजे उठ जाते हैं दिनभर में करीब 14 घंटे से ज़्यादा काम करते हैं। आम जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देते हैं और तेज़ी से समाधान करते हैं। किसी भी शिकायती पत्र पर तीन दिन में रिपोर्ट मांगते हैं और अफसरों से सीधे जवाब लेते हैं। उनके काम करने की शैली इतनी प्रभावशाली है कि उनके ऑफिस में आम लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है।
वे कोर्ट के मामलों का सबसे ज्यादा निराकरण करने वाले अफसरों में शामिल हैं। तेजी से काम करने का उनका तरीका यही है कि एक काम जल्दी खत्म हो, ताकि अगला शुरू किया जा सके। अजीत यादव का मानना है कि कुछ सालों में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में बहुत बदलाव आया। यहां की लोकल चीजों जैसे कठिया गेहूं, शजर स्टोन, बकरी के दूध आदि का इस्तेमाल कर लोगों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। उनका मानना है, कि समाज में बदलाव लाना है तो युवाओं के जरिए लाना होगा। उन्होंने कई सेमिनार में हिस्सा लिया है ताकि युवाओं को प्रेरित कर सकें। उनका मानना है कि सकारात्मक सोच और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।