KISSA-A-IAS: IAS नहीं होता तो यह डॉक्टर देश का अग्रणी न्यूरो सर्जन होता!

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KISSA-A-IAS: IAS नहीं होता तो यह डॉक्टर देश का अग्रणी न्यूरो सर्जन होता!

kissa-a-ias;आज इस कॉलम में मैं किसी ऐसे IAS का किस्सा नहीं सुनाऊंगा, जिसने विपरीत परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई की और UPSC की परीक्षा पास की। किसी ऐसे IAS के बारे में भी नहीं बताऊंगा, जिनकी प्रतिभा अद्भुत थी और वे बहुत कम उम्र में IAS बन गए थे। बल्कि, इस बार का कॉलम उस IAS पर केंद्रित है जो डॉक्टर है और IAS नहीं होते तो आज देश के अग्रणी न्यूरो सर्जन होते! उनके बारे में कहा जाता है कि वे जहां भी रहे अपने अनोखे कामकाज की वजह से पहचाने गए।

वे जमीन से जुड़कर रहते हैं और आप लोगों की परेशानियों से सरोकार रखते हैं। ऐसे लोग कुछ ऐसा नहीं करते जो अनोखा हो, पर जो करते हैं उसका तरीका जरूर अनोखा होता है।

KISSA-A-IAS: IAS नहीं होता तो यह डॉक्टर देश का अग्रणी न्यूरो सर्जन होता!

हम यहां बात कर रहे हैं आदिवासी बहुल जिले धार के कलेक्टर डॉ पंकज जैन की, जो 2012 बैच के IAS है। उनके ट्विटर हैंडल पर उन्होंने अपना परिचय कुछ इस अंदाज़ में लिखा है: मेडिकल डॉक्टर, हॉफवे न्यूरो सर्जन बाय एजुकेशन, पब्लिक सर्वेंट बाय प्रोफेशन, मेराथानर बाय इंटरेस्ट।

वे आज भी अपने आपको पहले डॉक्टर मानते हैं और इसलिए माना जा सकता है कि उनमें संवेदनशीलता के गुण अतिरिक्त रूप से है। उन्हे ऐसे लोगों में गिना जा सकता है, जो जमीन से जुड़कर उन लोगों के साथ खड़े होते हैं, जिन्हें मदद की जरुरत है। वे जहां भी रहे, अपने कामकाज के तरीके से लोगों के लिए मिसाल बन गए।

अपनी बेटी का दाखिला किसी बड़े नर्सरी स्कूल की जगह आंगनबाड़ी में करवाना ऐसी ही घटना है। जबकि, इस स्तर के अधिकारियों के बच्चे किसी इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं! लेकिन, डॉ पंकज जैन ने जो किया उस घटना ने सबको चौंकाया तो था!

KISSA-A-IAS: IAS नहीं होता तो यह डॉक्टर देश का अग्रणी न्यूरो सर्जन होता!

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यदि किसी IAS दंपत्ति की बेटी की पढाई आंगनवाड़ी से शुरू हो तो इसे क्या माना जाएगा! पिता और माता दोनो कलेक्टर, अपनी बेटी की पढ़ाई सामान्य तरीके से। उसके लिए अलग से कोई इंतजाम नहीं! वह सामान्य बच्चों के साथ जमीन पर बैठकर पढ़ती है।

उनकी बेटी के साथ आंगनबाड़ी केंद्र में किसी ऑटो चालक का बेटा तो किसी मजदूर का बच्चा भी पढ़ता है। ये किस्सा है IAS डॉ पंकज जैन और उनकी पत्नी डॉ तन्वी सुंद्रियाल (जैन) की बेटी पंखुड़ी का। उस आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों को खुशी तब मिलती है, जब पंखुड़ी के पिता आते तो सभी बच्चों को चॉकलेट बांटते थे। इसलिए बच्चे उन्हें टॉफी वाले अंकल कहते थे। इस बारे में डॉ पंकज जैन का कहना है कि हम पहल करेंगे, तो दूसरे लोग भी सामने आएंगे।

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तन्वी 2010 बैच की IAS हैं, जबकि, डॉ पंकज जैन 2012 बैच के हैं। ये घटना तब की है, जब 2019 में वे कटनी में कलेक्टर बनाए गए थे।

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डॉ पंकज जैन का कहना था कि पंखुड़ी जिस आंगनबाड़ी में पढ़ने जाती है, उस केंद्र के अलावा आसपास के चार-पांच केंद्र किसी प्ले-स्कूल से कम नहीं हैं। जब जिम्मेदार अधिकारी अपने बच्चों को ऐसी जगह भेजेंगे तो वहां के हालात अपने आप सुधर जाते हैं। वहां कोई कमी होती है, तो उसमें जल्दी सुधार भी आ जाता है।

प्रदेश की तत्कालीन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को जब इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने भी डॉ पंकज जैन को बधाई देते हुए उन्हें एक लेटर जारी किया था। राज्यपाल ने लिखा था लोक सेवक समाज में प्रेरणा के केंद्र होते हैं, उनके आचरण का समाज पालन करता है।

कर्तव्यों के प्रति आपकी सहजता ने मुझे काफी ज्यादा प्रभावित किया है, आपके इस प्रयास से शासकीय सेवकों का दायित्व बोध बढ़ेगा! सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी संचालन के प्रति सकारात्मक चेतना का संचार होगा। आशा है लोक सेवक के रूप में इसी निष्ठा और समर्पण के साथ जनसेवा में लगे रहेंगे।

KISSA-A-IAS: IAS नहीं होता तो यह डॉक्टर देश का अग्रणी न्यूरो सर्जन होता!

सिर्फ यही एक घटना नहीं है, जिसने डॉ पंकज जैन को सबसे अलग खड़ा किया! वे जब मार्च 2019 में कटनी के कलेक्टर बनाए गए थे, तब कटनी में ट्रेन से उतरकर स्टेशन से सर्किट हाउस तक ऑटो से पहुंचे थे।

वे पेशेवर डॉक्टर हैं और कई साल तक दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) नई दिल्ली में न्यूरो सर्जन रहे। डॉ पंकज ने 2006 में न्यूरो सर्जन के रूप में देश के इस सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान में ज्वाइन किया। लेकिन, वे शीघ्र ही चिकित्सा क्षेत्र के कर्मशलाइजेशन से फेड अप हो गए। उन्हें लगा कि इस प्रोफेशन के माध्यम से वे जनता की और ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा नहीं कर पाएंगे जो वह चाहते हैं और जो उनकी भावना है। उन्हें यह महसूस हुआ कि इस कार्य के लिए IAS ही एक मात्र माध्यम है।

उन्होंने 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी। पहले अटेम्प्ट में 594 रैंक आने पर उस साल IAS में चयन नहीं हो सका। उन्होंने फिर प्रयास किया और अगले साल 2012 में वे कामयाब हुए। UPSC में 15वीं रैंक मिली और इस प्रकार वे देश की सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित सेवा के अंग बन गए।

KISSA-A-IAS: IAS नहीं होता तो यह डॉक्टर देश का अग्रणी न्यूरो सर्जन होता!

फ़िलहाल वे धार कलेक्टर हैं और यहां भी उनकी नवाचार की गतिविधियां जारी हैं। एक मंगलवार को जनसुनवाई में गुहार लेकर आए एक वृद्ध की नब्ज जांच ली। अनारद गांव के ये वृद्ध बीमारी को लेकर आर्थिक सहायता मांगने आए थे। कलेक्टर डॉ पंकज जैन जो खुद ही न्यूरो सर्जन हैं, उन्होंने वृद्ध से बीमारी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि हाथ में दिक्कत है।

कलेक्टर ने सुनवाई के बीच ही वृद्ध के हाथ को चेक किया और कहा कि आपको कोई बीमारी नहीं है, सिर्फ फिजियोथैरेपी की जरूरत है। फिर उन्होंने जिला अस्पताल के डॉक्टर को बुलाकर कहा कि इनकी फिजियोथेरेपी के इंतजाम किए जाएं।

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डॉ पंकज जैन जब विदिशा में कलेक्टर थे, तब भी उन्होंने लीक से हटकर कई काम किए। एक बार जब वे सिरोंज तहसील के अथाईखेड़ा गए थे, तो एक किसान गंगाराम यादव ने कलेक्टर के सामने कुछ ऐसा कर दिया कि कलेक्टर से देखा नहीं गया! जहां किसान गंगाराम यादव झुककर कलेक्टर के सामने झुककर हाथ जोड़े नजर आए तो जवाब में कलेक्टर ने भी ऐसा किया। यह नज़ारा देखकर हर कोई हैरान था। उनकी यह तस्वीर भी सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खी बनी थी।

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दरअसल, किसान गंगाराम को बहुत बड़ा नुकसान हुआ था। उसका घर गिर गया था और खाने, पीने, पहनने, बिछाने सहित घर का सारा सामान ख़राब हो गया था। सारा सामान मिट्टी में दब गया था।

कलेक्टर खुद किसान की समस्या हल करने पहुंचे थे। इससे किसान बहुत भावुक हो गया। उसने कलेक्टर को अपनी समस्याएं बताई और उनसे मदद की गुहार की। किसान ने कलेक्टर से घर, खाने-पीने और अनाज आदि की व्यवस्था के लिए कहा। इतना कहने के बाद किसान कलेक्टर के आगे झुकने लगा, तो डॉ पंकज जैन भी किसान के आगे हाथ जोड़कर पूरा झुक गए।

उन्होंने किसान से ऐसा न करने के लिए कहा और किसान को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि हम आपकी समस्या सुनने और उनका निराकरण करने के लिए ही आए हैं। धैर्य से काम लें, आपकी सरकार सारी मदद करेगी।

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प्रशासनिक अधिकारी के रूप में डॉक्टर पंकज जैन की छवि बिना पक्षपात किए ईमानदारी से कार्य करने की रही है। इसलिए जब विदिशा में रहे तो स्थानीय नेताओं से उनकी पटरी लंबे समय तक नहीं बैठ सकी। लेकिन, मुख्यमंत्री उनके काम से खुश थे इसलिए उनका तबादला नहीं हो सका।

जब बहुत दबाव आया तो मुख्यमंत्री ने उन्हें आदिवासी बहुल धार जिले का कलेक्टर बनाकर भेजा, ताकि वे समाज के पिछड़े और गरीब तबके के लोगों की सेवा कर सकें।

डॉक्टर जैन के व्यक्तित्व का एक पहलू अधूरा रह जाएगा अगर उसका ज़िक्र ना हो। IAS करने की मंशा के साथ ही उनके साथ विषय चयन की सबसे बड़ी चुनौती थी।

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डॉक्टरी किए कई साल हो गए थे फिर भी मेडिकल साइंस एक ऑप्शनल ले लिया। दूसरा कौन सा लें, दुविधा में थे, इतिहास, समांजशास्त्र, मानवशास्त्र सबकी प्राथमिक पढ़ाई की लेकिन संतुष्ट नहीं हुए। अंततः पाली भाषा का चयन किया। ये वो भाषा है जिसका इस्तेमाल बौद्ध करते हैं और उनका साहित्य भी पाली भाषा में ही है। लेकिन अगर अब कोई पाली भाषा विषय लेना चाहे तो नहीं ले सकता क्योंकि केंद्र सरकार ने UPSC परीक्षा में इस विषय को अब समाप्त कर दिया है।

सरकार की इसके पीछे क्या मंशा रही होगी यह तो वही जाने लेकिन उन्होंने पाली भाषा विषय डिलीट करके UPSC के परीक्षार्थियों का एक विषय जरूर कम कर दिया।

बहरहाल हम यह कह सकते हैं कि मेडिकल साइंस और पाली भाषा जैसे कठिन विषय लेकर UPSC क्रैक करने वाले डॉक्टर पंकज जैन बिरले ही होंगे। उन्होंने इन विषयों के साथ पूरी ताकत और जुनून के साथ पढ़ाई कर सफलता पाई।