
Kissa-A-IAS: IAS Neha Meena : प्रशासन में नवाचार की मिसाल: 2 बार राष्ट्रपति और एक बार प्रधानमंत्री से सम्मानित
सुरेश तिवारी
इस बार जिनके बारे में बताने जा रहा हूँ,वे शायद देश की बिरली महिला कलेक्टर है जो अपने नवाचार के लिए दो बार राष्ट्रपति और एक बार प्रधानमंत्री के हाथों सम्मानित हुई। हम बात कर रहे हैं 2014 बैच की IAS अधिकारी नेहा मीना की, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की कलेक्टर है। देश के 710 कलेक्टर्स में सिर्फ 16 को नवाचारों के लिए प्रधानमंत्री के हाथों एक्सीलेंस अवॉर्ड से अलंकृत किया गया जिसमें एक नेहा मीना भी है । नेहा मीना को पहले भी अच्छे कामों के लिए दो बार राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड मिल चुके है।

“मोटी-आई” नवाचार, मातृधरा अभियान और शिक्षा से लेकर जन-स्वास्थ्य तक नेहा मीना के संकल्पों ने जनजातीय बहुल झाबुआ को देश का मॉडल जिला बना दिया है
राजस्थान के करौली गांव की नेहा मीना ने इकॉनोमिक्स में MA किया। उन्होंने दिल्ली में नीति आयोग में भी काम किया, जिससे उन्हें नीति निर्माण और प्रशासनिक सोच को गहराई मिली। उनके प्रशासनिक नेतृत्व में झाबुआ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, जड़ी बूटी, कुपोषण उन्मूलन, जल प्रबंधन और डिजिटल लैंड रिकॉर्ड्स जैसे क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

*कुपोषण मुक्ति के लिए “मोटी-आई” मॉडल*
नेहा मीना की सबसे बड़ी उपलब्धि “कुपोषण मुक्त झाबुआ अभियान” है, जिसके तहत उन्होंने ‘मोटी-आई’ मॉडल शुरू किया। इस मॉडल में गांव की बुजुर्ग महिलाओं को ‘मोटी-आई’ बनाकर, कुपोषित बच्चों की देखभाल, पोषण और निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। हर कुपोषित बच्चे के लिए पर्सनल केयर कार्ड बनाया गया और उनकी प्रगति की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की गई। स्थानीय भीली बोली में ‘मोटी आई’ का अर्थ ‘बड़ी मां’ होता है। इन बुजुर्ग महिलाओं ने बच्चों को आयुर्वेदिक तेल से मालिश, पौष्टिक आहार और प्यार देकर उन्हें गंभीर कुपोषण से बाहर निकाला। खास बात यह रही कि जिन बच्चों के माता-पिता पलायन कर जाते थे, उनके लिए ये ‘मोटी आई’ किसी वरदान से कम नहीं रहीं। इस नवाचार से छह महीने में जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 10,691 से घटकर 6,240 और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या 1,613 से घटकर सिर्फ 81 रह गई।

*”ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य में नवाचार”*
नेहा मीना ने “हर घर जल योजना” के तहत जिले के हर घर तक स्वच्छ जल पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या काफी हद तक दूर हुई। प्रधानमंत्री आवास योजना को भी उन्होंने तेजी से लागू किया, जिससे हजारों गरीब परिवारों को पक्के घर मिले। किसानों को 100% मृदा कार्ड वितरण, 3000 से अधिक स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, और पोषण सखियों को ट्रेनिंग देने जैसे नवाचारों से झाबुआ का ग्रामीण जीवन स्तर बेहतर हुआ।

*”शिक्षा, तकनीक और राष्ट्रीय पहचान”*
नेहा मीना के नेतृत्व में झाबुआ में शिक्षा, स्वास्थ्य, जल प्रबंधन और डिजिटल लैंड रिकॉर्ड्स में भी उल्लेखनीय सुधार हुए हैं। वे खुद स्कूलों में पढ़ाने जाती हैं, जिससे बच्चों में उनका खास लगाव है।
उनके प्रशासनिक काल में जिले में मातृधरा अभियान भी शुरू किया गया, जिसमें “नारी शक्ति से प्रकृति को शक्ति” के संदेश को अपनाते हुए महिलाओं और बेटियों की सक्रिय भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और हरियाली का विस्तार किया गया। झाबुआ की महिलाओं ने भजनों, समूह गतिविधियों और “गिफ्ट ए प्लांट” जैसे आयोजनों से गांव-गांव हरियाली की चेतना जगाई और मां प्रकृति को बचाने का नया समाजिक उत्सव शुरू किया।
नेहा मीना को प्रशासनिक क्षेत्र में इन्ही नवाचारों के लिए “लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार-2024” मिला। इसी साल 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं दिल्ली में उन्हें ट्रॉफी, सम्मान-पत्र और 20 लाख रुपये की राशि प्रदान की, और झाबुआ जिले के समग्र विकास की सराहना की।
कलेक्टर नेहा मीना को इसके पहले इसी साल 25 जनवरी को दिल्ली में आयोजित 15वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस कार्यक्रम में बेस्ट इलेक्टोरल प्रैक्टिसेस के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से दिया जाने वाला यह अवार्ड देश भर के केवल 9 कलेक्टर्स और दो पुलिस अधीक्षक को प्राप्त हुआ। मध्य प्रदेश से एकलौती कलेक्टर नेहा मीना का नाम इस सूची में था।

झाबुआ में जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में नेहा मीना को उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य ने उन्हें इस सम्मान का पात्र बनाया। निर्वाचन आयोग ने चुनावों के संचालन में आईटी पहल, सुरक्षा प्रबंधन, चुनाव प्रबंधन, सुलभ चुनाव, मतदाता सूची और मतदाता जागरूकता अभियान में उनके योगदान और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया।

इससे पहले नीमच में अपर कलेक्टर रहते हुए 18 जुलाई 2023 को राष्ट्रपति ने उन्हें ‘भूमि समान प्लैटिनम अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। इस दौरान नेहा ने भू-अभिलेख के आधुनिकीकरण, ग्राम नक्शों के डिजिटाइजेशन, अभिलेखागार के मॉर्डनाइजेशन और लैंड रिकॉर्ड्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किए।

नेहा मीना का प्रशासनिक दृष्टिकोण दूरदर्शिता, सामाजिक न्याय और मानवीय संवेदना की मिसाल है। उन्होंने शासन को केवल सरकारी आदेशों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उनकी नेतृत्व शैली में जमीनी सतही सत्य, पारदर्शिता और सामुदायिक भागीदारी को सर्वोपरि स्थान दिया।
यह भी पढ़े -Kissa-A-IAS: IAS Anurag Verma: निरंतर आगे बढ़ने और नई चुनौतियों से जूझने का जज्बा

‘मोटी-आई’ एवं मातृ धरा जैसे मौलिक नवाचार न केवल झाबुआ की तस्वीर बदलने वाले साबित हुए हैं, बल्कि उन्होंने प्रशासनिक सेवा के लिए भी नए मानक प्रस्तुत किए हैं। उनका समर्पित, प्रयोगशील और संवेदनशील नेतृत्व निस्संदेह देशभर के अफसरों और युवा नेतृत्व के लिए प्रेरणा की तरह है, जो दिखाता है कि गहरी समझ, जनसंपर्क और नवाचार से समाज की तस्वीर को बुनियादी स्तर पर बदला जा सकता है।
11 मार्च 2024 से झाबुआ में कलेक्टर के रूप में पदस्थ नेहा मीना ने इस जनजाति बहुल पिछड़े जिले में बदलाव की जो मिसाल पेश की है, वह अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।

सुरेश तिवारी,भोपाल





