

Kissa-A-IAS : IAS Rukmani Riar: 6ठी में फेल लेकिन UPSC में पहली बार में दूसरी रैंक!
सुरेश तिवारी
यह कहानी IAS अधिकारी रुक्मिणी रियार की है, जिन्होंने ऐसी मिसाल कायम की, कि अगर स्कूल में कभी कोई फेल हो जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो जीवन में भी फेल हो गया। जीवन के रास्ते कभी भी बंद नहीं होते और यह लगातार आगे बढ़ते रहने की प्रक्रिया का नाम है। रुक्मिणी रियार चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। उनके पिता बलजिंदर सिंह रियार होशियारपुर के रिटायर्ड डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हैं। मां तकदीर कौर घरेलू महिला है।
रुक्मिणी रियार पढाई में बचपन से ज्यादा होशियार नहीं थीं। उनका पढ़ाई-लिखाई में मन कम ही लगता था। उनके परिजनों ने उन्हें चौथी क्लास में डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल भेज दिया था, जो कि एक बोर्डिंग स्कूल है. वहां रुक्मिणी 6वीं क्लास में फेल हो गई थीं. इस असफलता से आहत होकर वह काफी परेशान रहने लगी। कई महीनों तक तनाव में रहने के बाद उन्होंने ठान लिया कि वह होनहार बनकर दिखाएंगी। उन्होंने अपनी इस असफलता से सबक लेकर अपने करियर को एक नई दिशा दी और सफलता का शिखर छू लिया।
रुक्मिणी ने कक्षा 12वीं पास करने के बाद अमृतसर की गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से सोशल साइंस में ग्रेजुएशन किया। फिर रुक्मणी ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) मुंबई से मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, मैसूर के आशोदा और मुंबई के अन्नपूर्णा महिला मंडल जैसे गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के साथ इंटर्नशिप की। एनजीओ में अपने समय के दौरान, उन्हें सिविल सेवा में रुचि पैदा हुई और उन्होंने UPSC परीक्षा देने का फैसला किया।
यूपीएससी परीक्षा के लिए रुक्मिणी रियार ने सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया और 6ठी से 12वीं कक्षा तक की एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई शुरू की। इंटरव्यू के लिए रोजाना कई अखबार पढ़े। रुक्मिणी कई मॉक टेस्ट में शामिल हुईं और पिछले सालों के प्रश्न पत्र भी हल किए। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और UPSC CSE 2011 परीक्षा में वह दूसरे स्थान पर रहीं। IAS होने के बाद रुक्मिणी रियार को राजस्थान कैडर (बैच 2012) मिला। वे श्रीगंगानगर के कलेक्टर पद रहने के बाद फ़िलहाल जयपुर ग्रेटर नगर निगम के कमिश्नर पद पर तैनात हैं। उन्होंने हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले आईएएस सिद्धार्थ सिहाग से शादी की। IAS ऑफिसर बनने से पहले सिद्धार्थ सिहाग दिल्ली में मेट्रोपॉलिटन जज थे। साल 2010 में उन्होंने UPSC दी परीक्षा में 148वीं रैंक हासिल कर वे आईपीएस बने थे। फिर 2011 में 42वीं रैंक पाकर IAS ऑफिसर बन गए।
असफलता को सफलता में बदलने का रुक्मणि रियार का अपना अलग ही फार्मूला है। वे कहती हैं कि यदि ठान लें तो असफलताएं हमारा रास्ता कभी नहीं रोक सकतीं। धैर्य और योजना के साथ तैयारी की जाए तो दुनिया की किसी भी परीक्षा में पास होना संभव है। असफलता ने उन्हें इतना मजबूत बना दिया कि वे हर काम पूरी तैयारी के साथ करने लगी। UPSC परीक्षा में शामिल होने से पहले उन्होंने कई एनजीओ के साथ काम किया, ताकि देश की हालत को बेहतर समझ सकें। उन्होंने कभी पढ़ाई छोड़ने या कोई गलत कदम उठाने के बारे में नहीं सोचा। सफल होने की जिद ही व्यक्ति को लक्ष्य की तरफ ले जाती है। स्कूल-कॉलेज या किसी कॉम्पिटीटिव एग्जाम में फेल होने का असर करियर पर नहीं होता। देश और दुनिया में ऐसे कई लोग है जो फेल होने के बाद भी सफल हुए हैं।