Kissa-A-IAS: IAS Vaishnavi Paul: 3 असफल प्रयासों के बाद चौथा प्रयास और IAS का सफर शुरू 

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Kissa-A-IAS: IAS Vaishnavi Paul: 3 असफल प्रयासों के बाद चौथा प्रयास और IAS का सफर शुरू 

वैष्णवी पॉल का नाम आज युवाओं के हौसले और निरंतर प्रयास का परिचायक बन चुका है। गोंडा के छोटे से शहर से निकलकर दिल्ली और जेएनयू तक पढ़कर उन्होंने अपने सपने को जमीन पर उतारा। चौथे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 62 हासिल कर वह सफलता की पटकथा लिख गईं। यह उपलब्धि केवल अंक या पद का सवाल नहीं है बल्कि उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है जो शुरुआती असफलताओं से निराश होकर रास्ता बदल लेते हैं। वैष्णवी की सफलता का रूटमैप परिवार, शिक्षा, रणनीति और अटल दृढ़ता का मिश्रण है।

Kissa-A-IAS: IAS Vaishnavi Paul: 3 असफल प्रयासों के बाद चौथा प्रयास और IAS का सफर शुरू 

*▪️पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारम्भिक शिक्षा*

▫️वैष्णवी पॉल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की हैं। उनके पारिवारिक परिवेश में पढ़ाई को महत्व दिया गया। उनकी मां शिक्षक हैं और पिता व्यवसाय से जुड़े हैं। पारिवारिक समर्थन ने कठिन समय में भी उन्हें थामे रखा। प्रारम्भिक शिक्षा उन्होंने गोंडा स्थित फातिमा स्कूल से पूरी की। बचपन में ही उन्होंने आईएएस बनने का संकल्प लिया और उसी दृढ़ संकल्प के बल पर आगे बढ़ती रहीं।

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 *▪️उच्च शिक्षा और शैक्षणिक मार्ग*

▫️ग्रेजुएशन के लिए वैष्णवी दिल्ली गईं और लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि लीं। उसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने न सिर्फ उनकी सोच को विस्तारित किया बल्कि यूपीएससी जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए सैद्धांतिक और विश्लेषणात्मक क्षमता भी विकसित की। इन्हीं संस्थानों के अनुभवों ने उनकी बहुआयामी समझ को पल्लवित किया जो सिविल सेवा की चुनौती में काम आया।

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 *▪️तैयारी का क्रम और तीन बार असफलता का सामना*

▫️वैष्णवी की सफलता का सफर सुगम नहीं था। उन्होंने पहले तीन प्रयासों में अपेक्षित सफलता नहीं पाई। कई बार अंक, रणनीति और मानसिक दबाव ने उन्हें झकझोरा। पर उन्होंने हार नहीं मानी। हर असफलता के बाद उन्होंने अपनी कमजोरियों का गंभीर मूल्यांकन किया। रिवीजन के तरीके बदले, टेस्ट सीरीज़ और टाइम मैनेजमेंट पर फोकस बढ़ाया और कमजोर विषयों की तैयारी को प्राथमिकता दी। इसी संशोधित रणनीति और आत्मविश्वास ने चौथे प्रयास में रखने वाली जीत दिलाई। उनकी कहानी यह सिखाती है कि असफलता अस्थायी है जब उसे सीख में बदला जाए।

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▫️UPSC साक्षात्कार में वैष्णवी का आत्मविश्वासी और संतुलित प्रदर्शन उन्हें आगे ले गया। इंटरव्यू में उनसे पूछे गए सिचुएशनल और प्रशासनिक सवालों के जवाबों में उन्होंने सकारात्मकता और तालमेल की भाषा अपनाई। उनके कुछ उत्तर ऐसे रहे जो पैनल सदस्यों पर प्रभाव छोड़ गए। वैष्णवी का मानना रहा है कि इंटरव्यू केवल ज्ञान नहीं बल्कि व्यवहारिक सोच, नेतृत्व क्षमता और संवाद कौशल का मूल्यांकन है।

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 *▪️कैंडीडेट से अफसर तक का संक्रमण और सर्विस कैडर*

▫️वैष्णवी पॉल का चयन 2022 बैच में हुआ और उन्हें तमिलनाडु कैडर आवंटित किया गया। 2023 बैच के रूप में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़ीं। वर्तमान में वे मदुरै में सहायक कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। युवा अफसर के रूप में उनका प्रशासनिक जीवन प्रारम्भिक दौर से ही चुनौतियों से भरा रहा है और उन्होंने स्थानीय समस्याओं के जल्द समाधान पर फोकस रखा है।

*▪️उल्लेखनीय उपलब्धियां और पहचान*

▫️यद्यपि वे अब युवा आईएएस अधिकारी के रूप में अपने करियर के आरम्भिक चरण में हैं पर उनके प्रयास और प्रतिबद्धता ने उन्हें स्थानीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उनकी सफलता का सामाजिक संदेश विशेषकर युवा महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बना है। कई शिक्षण संस्थानों और कोचिंग मंचों ने उनके संघर्ष और टेक्निक पर चर्चा की है और उन्हें अनेक सत्रों में आमंत्रित किया गया है ताकि वे नए परीक्षार्थियों को मार्गदर्शन दे सकें।

Kissa-A-IAS: IAS Vaishnavi Paul: 3 असफल प्रयासों के बाद चौथा प्रयास और IAS का सफर शुरू 

 *▪️प्रेरणा और संदेश*

▫️वैष्णवी पॉल की कहानी का सबसे बड़ा सबक यह है कि निरंतरता, आत्म-विश्लेषण और योजनाबद्ध प्रयास किसी भी लक्ष्य को साकार कर सकते हैं। तीन बार असफलता ने उन्हें नहीं तोड़ा बल्कि उनकी तैयारी को धार दी। परिवार का सहयोग और सही मार्गदर्शन ने भी निर्णायक भूमिका निभाई। यह उदाहरण खासतौर से उन युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो शुरुआती असफलताओं को अंतिम शिकस्त समझ लेते हैं। वैष्णवी यह दिखाती हैं कि सफलता का समय अलग-अलग होता है पर जो मार्ग पर अडिग रहता है वह विजयी होता है।

📍वैष्णवी पॉल की उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं है बल्कि एक सामाजिक संदेश है। यह बताती है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, रणनीति सुदृढ़ हो और हौसला कायम रहे तो असफलताएं भी मार्गदर्शक बन जाती हैं। एक युवा महिला के रूप में आईएएस बनकर वैष्णवी ने यह भी सिद्ध किया कि अवसर बड़े शहरों या पारिवारिक संसाधनों तक सीमित नहीं हैं। प्रेरणा, कड़ी मेहनत और निरंतर कोशिश से हर बाधा पार की जा सकती है। इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक सेवा केवल पद नहीं बल्कि समाज के प्रति योगदान का माध्यम है और ऐसे युवा अफसर उस बदलाव की कड़ी हैं जिनकी देश को जरूरत है।