
Kissa-A-IAS: IAS Vishakha Yadav: PM मोदी के स्वागत से चर्चा में आईं ASI की बेटी IAS विशाखा यादव
सुरेश तिवारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 22 सितंबर 2025 को अरुणाचल प्रदेश के पापुम पारे जिले में स्वागत करने वाली IAS अधिकारी विशाखा यादव अचानक चर्चा में आ गईं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हुईं और लोगों ने उनके प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व क्षमता की सराहना की।

यह स्वागत एक क्षण की चर्चा नहीं है। इसके लिए हम आपको सीधे उनकी प्रशासनिक यात्रा और UPSC सफलता की प्रेरक कहानी से जोड़ते है। एक इंजीनियर से IAS बनने वाली एक सहायक पुलिस निरीक्षक (ASI) की बेटी IAS अधिकारी विशाखा कठिनाइयों, असफलताओं और समर्पण के जरिए प्रशासन में अपनी छवि बना रही हैं और लगातार विकासात्मक पहलों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

**IAS विशाखा यादव**
नाम: विशाखा यादव
बैच: IAS 2020
कैडर: AGMUT (Arunachal Pradesh, Goa, Mizoram and Union Territories)
वर्तमान पद: Deputy Commissioner (जिलाधिकारी), पापुम पारे जिला, अरुणाचल प्रदेश
शैक्षिक पृष्ठभूमि: बी.टेक (Electronics & Communication), दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU)
UPSC उपलब्धि: AIR-6, UPSC CSE 2019
प्रथम पोस्टिंग: Deputy Commissioner (जिलाधिकारी), कुरुंग कुमे, अरुणाचल प्रदेश
प्रमुख पहल: DigiKaksha प्रोजेक्ट (डिजिटल शिक्षा), निर्वाचन सुधार
*पुरस्कार/सम्मान:*
Prime Minister’s Award for Excellence in Public Administration (2024) – DigiKaksha Project
राज्य निर्वाचन आयोग पुरस्कार
प्रशिक्षण अवधि में Best Probationer Award

**प्रारंभिक जीवन और शिक्षा**
दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में जन्मी विशाखा यादव का बचपन और शिक्षा ने उनके दृढ़ निश्चय की नींव रखी। उन्होंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक किया और फिर बेंगलुरु स्थित सिस्को में एक उच्च वेतन वाली नौकरी की।

यहां तक कि नौकरी की स्थिरता और लाखों का पैकेज उनके लिए एक बड़े आकर्षण का स्रोत था ,लेकिन उनका सपना देश की सेवा करना था। इसी संकल्प ने उन्हें UPSC की तैयारी की राह पर कदम रखने के लिए प्रेरित किया।
*बीटेक के बाद मिली लाखों के पैकेज वाली नौकरी*
स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद विशाखा यादव ने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से बीटेक किया था. फिर उन्हें सिसको कंपनी में लाखों के पैकेज वाली नौकरी मिल गई थी. दो साल तक बेंगलुरु में जॉब करने के बाद उनकी दिलचस्पी सरकारी नौकरी की तरफ हो गई और वह यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में जुट गईं. उनके पिता राजकुमार यादव पुलिस विभाग में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर और मां होममेकर हैं.
**UPSC में संघर्ष और सफलता**
विशाखा यादव ने UPSC परीक्षा में तीन प्रयास किए। पहले दो प्रयास में असफल रहने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत की। तीसरे प्रयास में 2019 में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 6 (AIR-6) हासिल की और IAS अधिकारी बनीं।
यह सफलता उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण का परिणाम थी। यही समर्पण उनकी प्रशासनिक यात्रा की नींव बना और उन्हें AGMUT कैडर (2020 बैच) आवंटित हुआ।
**प्रशासनिक यात्रा: पहली पोस्टिंग**
विशाखा यादव की प्रथम पोस्टिंग कुरुंग कुमे जिले, अरुणाचल प्रदेश में उपायुक्त (Deputy Commissioner / जिलाधिकारी) के रूप में हुई। यहां उन्होंने प्रशासनिक सुधारों और विकासात्मक पहलों में सक्रिय भूमिका निभाई।
डिजीकक्षा परियोजना: शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की गई।
निर्वाचन सुधार: चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए विशेष पहल और कार्यक्रम आयोजित किए।
इन पहलों के लिए उन्हें Prime Minister’s Award for Excellence in Public Administration 2024 (Innovation- District category) के तहत Project “DigiKaksha” के लिए सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके नेतृत्व और सीमावर्ती इलाकों में नवीन समाधान लागू करने की क्षमता का राष्ट्रीय मान्यता-चिह्न है।
**पापुम पारे जिलाधिकारी: मोदी जी का दौरा**
प्रथम पोस्टिंग में उल्लेखनीय उपलब्धि के बाद, विशाखा यादव को पापुम पारे जिले में Deputy Commissioner (जिलाधिकारी) के पद पर तैनात किया गया। उन्होंने इस पद का कार्यभार 9 जून 2025 को संभाला। इस दौरान उन्होंने स्थानीय प्रशासन, विकास परियोजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं में सक्रिय भागीदारी दिखाई।
यहीं उनके नेतृत्व में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे का आयोजन हुआ, जिसमें उन्होंने प्रसन्नचित भाव में गर्मजोशी के साथ मोदी जी का स्वागत किया, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इस अवसर पर राज्य में लगभग ₹5,100 करोड़ से अधिक के विकास-परियोजनाओं की शुरुआत/शिलान्यास किया गया।
**प्रेरक संदेश**
विशाखा यादव की कहानी यह दिखाती है कि कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद समर्पण और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनका जीवन UPSC उम्मीदवारों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उनकी प्रशासनिक यात्रा यह सिद्ध करती है कि सफलता केवल परीक्षा में ही नहीं, बल्कि जनता की सेवा और प्रशासनिक सुधार में भी मापी जाती है।





