Kissa-A-IAS-IRS: फ़िल्मी कथानक जैसी 2 बहनों की असली कहानी!

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Kissa-A-IAS-IRS: फ़िल्मी कथानक जैसी 2 बहनों की असली कहानी!

हाल ही में उत्तर प्रदेश की IAS अधिकारी किंजल सिंह का नाम खूब चर्चा में आया। उन्होंने एक यूट्यूबर के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवाई। क्योंकि, इस यूट्यूबर ने अपने ब्लॉग में इस IAS के माता-पिता के बारे में कई अनर्गल बातें की, जो गलत थी। अपने माता-पिता के प्रति इस तरह की भावना स्वाभाविक है। किंजल सिंह की जगह कोई और भी होता, तो यही करता। लेकिन, इस IAS का उसके माता-पिता से रिश्ता कुछ अलग ही रहा।

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उत्तर प्रदेश के बलिया की दो बहनों किंजल और प्रांजल की कहानी किसी फिल्मी कथानक जैसी ही है। किंजल IAS है और प्रांजल IRS। लेकिन, उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। पिता पुलिस में थे, जिन्हें एक घटना में उन्हीं की टीम के साथियों ने गोली मार दी थी। जब ये घटना हुई किंजल दो साल की थी और प्रांजल तो पेट में ही थी। उसके पिता की हत्या तब कर दी गई, जब मुख्य साजिशकर्ता सरोज को लगा कि एक पुलिस अधिकारी के रूप में उसके कुकर्मों को केपी सिंह उजागर कर सकते हैं। किंजल के पिता ईमानदार पुलिस अफसर थे और भ्रष्टाचार के खिलाफ थे। दोषी पुलिस अधिकारी, जिसके खिलाफ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के कई मामले लंबित थे उन लोगों ने केपी सिंह को आपराधिक गतिविधियों की निगरानी के बहाने माधवपुर जाने के लिए मजबूर किया। वहां पहुंचने पर, जब केपी सिंह ने दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन वहां कोई नहीं आया, तो वे पीछे हट गए और सरोज की ओर देखने लगे। तभी फिर सरोज ने उनकी छाती पर अचानक कई गोलियां चला दी। इसके बाद केपी सिंह को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। इस फर्जी मुठभेड़ में करीब 12 अन्य ग्रामीणों की भी हत्या कर दी गई थी।

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इसके बाद किंजल की मां की परीक्षा शुरू हुई। उन्होंने भटक कर न्याय की कोशिश की। संघर्ष इतना विकट था कि इसी दौरान मां की भी कैंसर से मौत हो गई। दो अकेली बहनें, पूरी जिंदगी सामने और पिता को न्याय दिलाने की जुगत। लेकिन, धीरे-धीरे सारे रास्ते खुलते गए। मां की मौत के बाद दोनों बहनों ने अपने दम पर पढ़ाई पूरी की। यूपीएससी परीक्षा पास की और सरकारी अफसर बनकर पिता की मौत का बदला लेकर उन्हें न्याय दिलाया। IAS किंजल सिंह और IRS प्रांजल सिंह की संघर्ष से भरी दास्तां किसी को भी ऐसी स्थिति से निकलने प्रोत्साहित कर सकती है।

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*पिता की हत्या ने जीवन बदल दिया*
किंजल के पिता केपी सिंह गोंडा के डीएसपी थे। 12 मार्च 1982 को उनके ही साथी पुलिसकर्मियों ने उनकी मुठभेड़ दर्शाकर हत्‍या कर दी थी। वे सामूहिक झड़प के एक मामले की जांच करने माधवपुर गांव गए थे। उस समय उनकी पत्नी विभा सिंह अपनी दूसरी बेटी के साथ गर्भवती थीं। तब उनकी बड़ी बेटी किंजल सिंह सिर्फ 2 साल की थीं। डिलीवरी के बाद विभा सिंह अपने पति को न्याय दिलाने के लिए पुलिस थानों और कोर्ट के चक्कर काटती रही। मामला चलता रहा। लेकिन, ये अच्छा रहा कि किंजल की मां विभा सिंह को पति की जगह पर वाराणसी के ट्रेजरी ऑफिस में नौकरी मिल गई। मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया जा चुका था। विभा सिंह दोनों बेटियों को गोद में लेकर दिल्ली के सीबीआई कोर्ट जाती थीं। उनकी सैलरी का बड़ा हिस्सा ऐसे ही सफर और वकील की फीस में खर्च होने लगा। तभी उन्होंने ठान लिया था कि वे अपनी बेटियों को सरकारी अफसर बनाएंगी।

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*मां ने भी सफर से पहले ही साथ छोड़ दिया*
12वीं के बाद किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज में दाखिला लिया। पहले सेमेस्टर में ही उन्हें पता चला कि उनकी मां को कैंसर है। जब उनकी मां, विभा सिंह की तबीयत ज्यादा खराब रहने लगी तो किंजल ने उनसे वादा किया कि वह IAS अफसर भी बनेंगी और पिता के हत्यारों को सजा दिलाएंगी। 2004 में उनकी मां की इसी कैंसर के कारण मौत हो गई। जिस साल किंजल की मां का निधन हुआ, उसी साल किंजल ने दिल्ली विश्वविद्यालय में टॉप किया था।

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*दोनों बहनों ने यूपीएससी क्रेक की*
इस घटना के बाद किंजल ने छोटी बहन प्रांजल को भी दिल्ली बुला लिया। दोनों बहनों ने पढ़ाई के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने ईमानदारी से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी पर अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ किंजल 2008 में अपने दूसरे प्रयास में 25वीं रैंक के साथ आईएएस अफसर बन गईं। उसी साल छोटी बहन प्रांजल का चयन 252 वीं रैंक के साथ आईआरएस के लिए गया। सरकारी नौकरी मिलने के बाद दोनों बहनें अपने पिता को न्याय दिलाने में जुट गईं।

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*31 साल बाद पिता को न्याय दिलाया*
इसके बाद किंजल सिंह ने अपना ध्यान पिता को न्याय दिलाने पर केंद्रित कर दिया। दोनों बहनों ने मजबूती से मुकदमा लड़ा। उनके दृढ़ निश्चय ने न्याय प्रणाली को भी हिलाकर रख दिया। आखिरकार 31 साल बाद 5 जून 2013 को लखनऊ सीबीआई की विशेष कोर्ट ने डीएसपी केपी सिंह की हत्या में 18 पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई, तब किंजल सिंह बहराइच की कलेक्टर थीं। किंजल अभी तक लखीमपुर खीरी और सीतापुर की डीएम रह चुकी हैं। अब उन्हें उत्तर प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट का डीजी नियुक्त किया गया है। उनके पति अनिल कुमार सागर भी आईएएस हैं और प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, उत्तर प्रदेश सरकार में पदस्थ हैं।