
Kissa-A-IAS : Kanishak Kataria:1 करोड़ की नौकरी ठुकराई और पहली बार में UPSC में टॉप किया!
Kissa-A-IAS : Kanishak Kataria
1 करोड़ की नौकरी ठुकराई और पहली बार में UPSC में टॉप किया!
यूपीएससी के कई उम्मीदवारों को IAS अधिकारी कनिष्क कटारिया की जीवन यात्रा प्रभावित करती है। आईआईटी शिक्षा से लेकर उनकी वर्तमान भूमिका तक की यात्रा बेहद प्रेरणा देती है। सिविल सेवा में आने के अपने सपने को पूरा करने के लिए अच्छी तनख्वाह वाली सैमसंग की एक करोड़ की नौकरी से इस्तीफा देने का उनका असाधारण फैसला रंग लाया। क्योंकि, वह 2018 में ऑल इंडिया रैंक-1 हासिल करने में सक्षम हुए।
कनिष्क की शिक्षा सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुई। उनकी शुरुआती सफलता आईआईटी जेईई-2010 परीक्षा के नतीजे से स्पष्ट हुई, जहां उन्होंने उल्लेखनीय 44वीं रेंक पायी। इसने उन्हें एप्लाइड स्टैटिस्टिक्स में माइनर्स के साथ कंप्यूटर साइंस में बी-टेक ऑनर्स करने के लिए आईआईटी-मुंबई में दाखिला लिया। कनिष्क ने अपने करियर की शुरुआत डेटा साइंस के बारे में सीखकर की। कैलिफोर्निया के स्टार्टअप में जाने से पहले उन्होंने सबसे पहले दक्षिण कोरिया में सैमसंग कंपनी के लिए काम किया। उन्होंने अपना कॉर्पोरेट पद छोड़कर जोखिम लेने का फैसला किया। पैसा कमाना सिविल सेवा परीक्षा का एकमात्र लक्ष्य नहीं है। इसका बेहतरीन उदाहरण है राजस्थान कैडर के IAS अफसर कनिष्क कटारिया। उन्होंने UPSC क्रैक करने के लिए 1 करोड़ की नौकरी भी छोड़ी और ख़ास बात ये कि पहले ही प्रयास में वे UPSC-2018 के टॉपर बन गए।
इस मुश्किल परीक्षा पास करने का श्रेय कनिष्क ने अपने माता-पिता और परिवार के अलावा गर्लफ्रेंड को भी दिया। कनिष्क के इस बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। कनिष्क को राजस्थान कैडर मिला और अभी वो राज्य सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त हैं।
उनके पिता और ताऊ सिविल सर्विस में थे, इसलिए उन्होंने UPSC के बजाए IIT में अपना भविष्य चुना। UPSC की तैयारी शुरू करने से पहले तक तो उन्हें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच का अंतर भी नहीं पता था। वो नहीं जानते थे कि भारत में चुनाव कैसे होते हैं। मगर दो साल की तैयारी ने उन्हें काफी कुछ सिखाया, नतीजा ये हुआ कि महज 2 साल में कनिष्क उसी सिविल सेवा परीक्षा के टॉपर बने, जिसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था।
IIT से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की और नौकरी के सिलसिले में दक्षिण कोरिया चले गए। दक्षिण कोरिया की कंपनी में उन्हें 1 करोड़ का पैकेज मिला। मगर पैसा होने के बावजूद कनिष्क को सुकून नहीं मिला। कनिष्क का कहना है, कि वो अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे, इसलिए विदेश में 1 साल बिताने के बाद कनिष्क भारत लौट आए और उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा देने का मन बनाया।
कनिष्क अपनी सफलता का राज मेहनत बताते हैं। उन्होंने 2 साल पहले अखबार पढ़ना शुरू किया, जिससे उन्हें करंट अफेयर्स की जानकारी रहे। अखबार के साथ वो ऑनलाइन खबरें और मैग्जीन भी पढ़ा करते थे। UPSC के पैटर्न को समझने के लिए कनिष्क ने कोचिंग ज्वाइन की और 11-12 महीने बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी पर फोकस करना शुरू कर दिया। कनिष्क कटारिया हर रोज 10 घंटे की पढ़ाई करते थे। वहीं जब UPSC में वैकल्पिक विषय चुनने की बारी आई, तो उन्होंने अपने फेवरेट विषय गणित चुना। ये जानने के बावजूद की गणित का सेलेबस काफी बड़ा है, कनिष्क ने 13-14 घंटो की पढ़ाई शुरू कर दी। उन्होंने परीक्षा से 2 महीने पहले सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली। परीक्षा के 2 महीने पहले उन्होंने फेसबुक और ट्विटर को पूरी तरह से डिलीट कर दिया था। इंस्टाग्राम का इस्तेमाल भी न के बराबर था और व्हाट्सएप पर मौजूद कुछ स्टडी ग्रुप में ही कनिष्क एक्टिव रहते थे।