Kissa-A-IAS: Missed by One Number: एक नंबर से चूकी, अगली बार नंबर-वन रही!

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Kissa-A-IAS: Missed by One Number: एक नंबर से चूकी, अगली बार नंबर-वन रही!

ये सुनने में अविश्वसनीय लगता है, पर बात सच है। यूपीएससी की परीक्षा में जो परीक्षार्थी इंटरव्यू में एक नंबर से सिलेक्ट होने से चूक जाए, वो अगले प्रयास में ऑल इंडिया रैंकिंग में नंबर-वन रहे! ये जिद से निकला नतीजा है जो श्रुति शर्मा ने हासिल किया। उन्हें यूपीएससी परीक्षा-2020 में पूरा भरोसा था कि वे सिलेक्ट होंगी। लेकिन, शायद किस्मत ने साथ नहीं दिया और वे सिलेक्शन लिस्ट से बाहर रहीं। लेकिन, जीवन की इस असफलता ने उनमें जीतने की जिद इतनी प्रबल कर दी कि बार की परीक्षा (2021) में श्रुति ने सबको पीछे छोड़ दिया।

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अपनी अविश्वसनीय सफलता के बाद श्रुति ने अपने मुश्किल दौर को याद किया कि कैसे वे अपने पहले प्रयास में केवल एक नंबर से यूपीएससी में इंटरव्यू कॉल से चूक गई थी। उन्हें अपनी मुख्य परीक्षा हिंदी में देनी पड़ी थी। लेकिन, अगली कोशिश में श्रुति ने यूपीएससी परीक्षा 2021 में शीर्ष रैंक हासिल की। बेटी को कलेक्टर बनाने का सपना दरअसल श्रुति की नानी ने अपनी बेटी यानी श्रुति की मां रचना के लिए देखा था। लेकिन, उनके ग्रामीण इलाके से कोचिंग सेंटर दूर होने से उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। लेकिन, श्रुति के परीक्षा में टॉप करने से उनका अधूरा सपना पूरा हो गया। श्रुति की इस सफलता से सबसे ज्यादा खुशी उनकी नानी को ही हुई।

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श्रुति के ताऊ डॉ यज्ञ दत्त शर्मा और ताई सीमा शर्मा ने बताया कि श्रुति को बचपन से ही पढ़ाई में बहुत रुचि रही। पहली कोशिश में उसका चयन एक नंबर से रह गया था, तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने और ज्यादा मेहनत की और दूसरे प्रयास में सफलता मिली और वो भी आसमान छूने वाली। यूपीएससी को लेकर अपनी रणनीति के बारे में श्रुति ने खुलासा किया कि उनका ध्यान अपने नोट्स पर ज्यादा रहा। उन्होंने यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लिखने का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास किया। जनरल नॉलेज को वेबसाइट और अख़बारों के माध्यम से पढ़ा और करंट अफेयर्स पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया।

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श्रुति ने अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया आवासीय कोचिंग अकादमी में प्रवेश लिया था। चार साल की तैयारी के बाद उन्हें सफलता मिली। श्रुति शर्मा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व छात्रा हैं। श्रुति की प्रारंभिक शिक्षा सरदार पटेल विद्यालय दिल्ली में हुई। स्कूल के दौरान भी उनका अकादमिक रिकॉर्ड शानदार रहा। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के संत स्टीफन कॉलेज से इतिहास विषय के साथ स्नातक ऑनर्स और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र से परास्नातक किया।

वे मूलतः उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की रहने वाली हैं। जिले के अपने पैतृक गांव बस्ता में उनका परिवार बाल ज्ञान निकेतन स्कूल का प्रबंधन भी संभाल रहा है। उनकी मां रचना शर्मा स्कूल में अध्यापिका रह चुकी हैं। हालांकि उन्होंने भी इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की। उनके छोटे भाई क्रिकेट खिलाड़ी हैं और यूपी से रणजी ट्रॉफी में खेल चुके हैं। उनका परिवार ऐसा रहा जहां सभी की शिक्षा विज्ञान विषय लेकर हुई। परिवार में श्रुति अकेली सदस्य रही, जिन्होंने आर्ट को चुनकर इतिहास पढ़ा। श्रुति के परदादा दया स्वरूप शर्मा जाने माने वैद्य हुआ करते थे, जो मूल रूप से थाना चांदपुर क्षेत्र के गांव अंथाई के रहने वाले थे। दादा डॉ देवेंद्र दत्त शर्मा भी डॉक्टर थे। जबकि, श्रुति के पापा सुनील दत्त शर्मा आर्किटेक्ट इंजीनियर हैं।

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सुनील दत्त शर्मा और रचना शर्मा की बेटी श्रुति शर्मा ने यूपीएससी परीक्षा में टॉप करके परदादा, दादा, पिता के साथ क्षेत्र को भी गौरवान्वित किया। पढाई में श्रुति ने परिवार में सबसे अलग राह चुनी और आर्ट विषय लेकर अपना लक्ष्य तय किया। उन्होंने इतिहास कुरेदकर सिविल सर्विसेज में सफलता की कुंजी को ढूंढ ही निकाला। श्रुति ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार, दोस्तों व शिक्षकों को दिया है। श्रुति ने यह सफलता 12 से 15 घंटे प्रतिदिन पढ़ाई कर हासिल की है।

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श्रुति को कविताओं में भी खासी रुचि है। इसके अलावा नई संस्कृति, नई भाषाओं को सीखने समझने में दिलचस्पी रखने वाली श्रुति शर्मा स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के मामले में हमेशा सबसे आगे रही। उन्हें विश्व सिनेमा बहुत भाता है और इस कड़ी में वह ईरानी और हांगकांग सिनेमा को विशेष रूप से पसंद करती हैं। अपने गृह प्रदेश, उत्तर प्रदेश कैडर में जाकर शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक श्रुति को पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण अपने सपने को पूरा करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर भी मिला है।