Kissa-A-IAS :Mukesh Kumar Meshram: मां ने मजदूरी कर बेटे को IIT तक पढ़ाया, बेटा बिना कोचिंग IAS बना!

2947

Kissa-A-IAS :Mukesh Kumar Meshram: मां ने मजदूरी कर बेटे को IIT तक पढ़ाया, बेटा बिना कोचिंग IAS बना!

 

इस बार कॉलम में मुकेश कुमार मेश्राम का जिक्र इसलिए कि वे उत्तर प्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति हैं। इसी के साथ वे टूरिज्म और धार्मिक मामलों के डायरेक्टर जनरल भी हैं।

IMG 20250223 WA0130

प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की काफी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर रही। इस ऐतिहासिक महाकुंभ की कार्ययोजना बनाने में इस अधिकारी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रही। उत्तर प्रदेश सरकार में 26 साल से अधिक के केरियर में 1995 बैच के इस IAS अधिकारी ने लखनऊ और प्रयागराज के डिविजनल कमिश्नर, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आयुष विभागों के सचिव, वाणिज्यिक कर आयुक्त, यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक, वीसी एलडीए और एनआरएचएम के मिशन निदेशक के रूप में कार्य किया है। वे कानपुर, आगरा, मेरठ, मऊ, उन्नाव, बांदा और आजमगढ़ जिलों के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर भी थे। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की से मास्टर ऑफ आर्किटेक्चर और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम यूके से मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन किया।

IMG 20250223 WA0131

मुकेश कुमार मेश्राम संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उनकी सफलता की कहानी संघर्ष, मेहनत और मां के बलिदान की मिसाल है। उनकी मां लक्ष्मीबाई अनपढ़ थीं, लेकिन उन्होंने बेटे की शिक्षा के लिए खेतों में मजदूरी की। मुकेश ने गांव के स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और फिर आईआईटी रुड़की पहुंचे। गांव में सरकारी नौकरी वालों का सम्मान देखकर उन्होंने IAS बनने का सपना देखा। बिना कोचिंग के 1995 में UPSC पास की और वे IAS बने।

IMG 20250223 WA0127

जिम्मेदारी के प्रति कर्तव्य परायणता की मिसाल तब दिखी, जब 2005 में मऊ में दंगे के कारण वे मां के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा सके। उन्होंने उनकी याद में एक स्कूल खोला।

IMG 20250223 WA0132

वे अभाव में लक्ष्य तक पहुंचने वालों में से हैं। कहा जाता है कि यदि ठान लिया जाए, तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। ये बात इसलिए सही है कि अभाव में जीने वाले युवा भी UPSC क्रेक करके अफसर बनते हैं। सिर्फ लग्जरी लाइफ जीने वाले और महंगी कोचिंग में पढ़ने वाले ही यदि UPSC पास करते, तो कोई गरीब परीक्षार्थी कभी आईएएस और आईपीएस बन ही नहीं पाता। कड़ी मेहनत से ही सफलता हासिल की जा सकती है, इसे सच कर दिखाया है मुकेश कुमार मेश्राम ने। उनकी मां ने बेहद अभाव के हालात में उन्हें पढ़ाया और उन्होंने उसे सही साबित भी किया। फ़िलहाल मुकेश कुमार मेश्राम पर्यटन एवं संस्कृति उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव हैं।

IMG 20250223 WA0133

*गांव के स्कूल में की थी पढ़ाई*

मुकेश कुमार मेश्राम का जन्म 26 जून 1967 को बालाघाट की लालबर्रा तहसील के बोरी गांव में हुआ। मुकेश कुमार मेश्राम का बचपन बिल्कुल प्राकृतिक वातावरण और पहाड़ों की गोद में बीता। यही कारण है कि उनका प्रकृति के प्रति लगाव है। बचपन से ही मेधावी छात्र रहे मुकेश की शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद इन्होंने बालाघाट के शासकीय बहुउद्देशीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। इंटरमीडिएट करने के बाद मुकेश मेश्राम ने अपनी आगे की पढ़ाई आईआईटी रुड़की से की।

*ऐसे मिली IAS बनने की प्रेरणा*

मुकेश कुमार मेश्राम के गांव में कई लोग सरकारी नौकरियों जैसे लेखपाल, पुलिस आदि बनने लगे, तो उन लोगों का गांव में बहुत नाम हुआ। मुकेश इन सब चीजों से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें भी लगा कि उन्हें अधिकारी बनकर समाज की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने लगन से पढ़ाई शुरू की और बिना कोचिंग के 1995 में UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की।

मुकेश कुमार मेश्राम की मां लक्ष्मीबाई निरक्षर महिला थी। लेकिन, उन्हें शिक्षा का मूल्य पता था। यही कारण रहा कि उन्होंने अपने बेटे मुकेश को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेहद कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण मुकेश मेश्राम की मां को खेतों में भी काम करना पड़ा। लेकिन, उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि उनके बेटे की पढ़ाई में कोई बाधा न आए। उनकी मां ने पाई-पाई जोड़कर उनकी पढ़ाई के खर्च का इंतजाम किया। एक मां की इसी दूरदर्शिता के कारण उनका बेटा देश की सबसे बड़ी परीक्षा UPSC क्रैक कर आईएएस बन गया।

*मां के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सके*

जब मुकेश कुमार मेश्राम 2005 में उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यरत थे, उसी समय मऊ में दंगा भड़क गया। ऐसी स्थिति में जब उनकी मां के देहांत की सूचना मिली, तो उन्होंने अपने कर्तव्य निष्ठा का परिचय देते हुए मां के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल होने का निर्णय लिया। मुकेश कुमार मेश्राम मां के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि के लिए गांव में लक्ष्मीबाई इंग्लिश एकेडमी नामक स्कूल भी खोला है।

मुकेश कुमार मेश्राम ने प्रतियोगी छात्रों से मेहनत व लगन से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यदि व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर ले, तो कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है। इसके साथ ही साथ मुकेश कुमार मेश्राम ने प्रतियोगी छात्रों को यह भी संदेश दिया कि आप मेडिटेशन के माध्यम से अपनी क्षमता एवं एकाग्रता को बढ़ा सकते हैं।