Kissa-A-IAS: 10 वीं में पासिंग मार्क्स, पहले टीचर अब है कलेक्टर!
ये बात कई बार साबित हो चुकी है कि किसी एक परीक्षा का खराब नतीजा भविष्य के सारे दरवाजे बंद नहीं करता। इसलिए कि परीक्षा के अंक सिर्फ किताबी ज्ञान दर्शाते हैं। इस बात को सच साबित किया है गुजरात कैडर के IAS अफसर तुषार डी सुमेरा ने। उन्हें 10वीं में पासिंग मार्क्स मिले थे। लेकिन, अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने यूपीएससी क्लियर की और IAS बनने में कामयाब रहे। आम तौर पर कहा यही जाता है कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को क्वालीफाई करने वाले पढ़ाई में बेहद तेज-तर्रार होते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है, सफलता किसी की मोहताज नहीं होती है। इस कहावत को सही साबित किया है तुषार दलपतभाई सुमेरा ने।
उन्होंने न केवल यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को क्वालीफाई किया, बल्कि अच्छी रैंक लेकर IAS भी बनकर दिखाया।
यूपीएससी सिविल सेवा को क्रेक करना आसान नहीं है। कुछ युवा सालों तक इस परीक्षा की तैयारी करते हैं, प्रयास करते हैं पर सफल नहीं हो पाते। जबकि, कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनकी स्कूल और कॉलेज की परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आते, पर वे यूपीएससी पास कर लेते हैं। इससे यह भ्रम भी टूटता है कि उनके 10वीं-12वीं या कॉलेज में अच्छे नंबर नहीं आए तो वे वह भविष्य में कुछ अच्छा नहीं कर सकेंगे। लेकिन, तुषार डी सुमेरा ने इस बात को गलत साबित किया।
तुषार दो साल पहले सोशल मीडिया पर 10वीं में मिले बहुत कम अंकों को लेकर वायरल हुए थे। उनकी मार्क लिस्ट उनके एक सीनियर ने पोस्ट करके प्रेरणा दी थी कि कैसे तुषार ने जमकर मेहनत की और सिविल सेवा परीक्षा को पास करके IAS अधिकारी बनने में सफल रहे। इसके बाद लोगों ने उन्हे शुभकामनाएं दीं और इसे मिसाल बताया।
2012 बैच के बैच के IAS अधिकारी तुषार डी सुमेरा 10वीं में प्राप्त हुए अपने अंकों को लेकर वायरल हुए, पर उनके लिए सबक भी बने जो इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं। तुषार सुमेरा की 10वीं की मार्कशीट शेयर करते हुए लिखा था कि उन्हें सिर्फ पासिंग मार्क्स आए थे। उन्हें अंग्रेजी में 100 में से 35, गणित में 36 और विज्ञान में 38 नंबर आए थे। न सिर्फ पूरे गांव में बल्कि उस स्कूल में यह कहा गया कि यह कुछ नहीं कर सकता।
IAS अधिकारी बनने से पहले तुषार ने बीए और बीएड करने के बाद असिस्टेंट टीचर की नौकरी की। नौकरी के दौरान उनके मन में IAS बनने का सपना पल रहा था, जिसके लिए उन्हें मेहनत करने का निर्णय लिया। उन्होंने पारंपरिक पुस्तकों के साथ खुद के नोट्स बनाए और टाइम टेबल के साथ तैयारी की। साल 2012 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने सफलता हासिल करते हुए अपना IAS बनने का सपना पूरा किया।
सहायक शिक्षक के नौकरी करते-करते सुमेरा ने अपना एक लक्ष्य बना लिया और उसकी तैयारी में जी-जान से जुट गए। वह पढ़ाने- पढ़ाने के साथ-साथ ही खुद पढ़कर संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगे और साल 2012 में उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा न केवल पास की बल्कि अच्छी रैंक पाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी बनें।
अपनी सफलता से तुषार सबक सीखा और कहा कि जिंदगी में केवल 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा ही सब कुछ नहीं है। इसके आगे भी लंबी जिंदगी है। इसलिए केवल बोर्ड परीक्षा में मिले नंबरों के आधार पर किसी बच्चे के बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। लिहाजा पैरंट्स को अपने बच्चों पर बोर्ड में ज्यादा नंबर लाने का प्रेशर बनाने के बजाए उनमें कॉन्फिडेंस बिल्ड अप करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। क्योंकि, अभी तक ऐसा कोई मापदंड नहीं बना है जो किसी की काबिलियत तय करे। ये काबिलियत मार्क, ग्रेड या फिर रैंक भी तय नहीं करती। तुषार डी सुमेरा फ़िलहाल गुजरात में भरुच जिले के कलेक्टर हैं।
सुरेश तिवारी
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