KISSA-A-IAS : टीना डाबी के पति बनकर चर्चित प्रदीप गवांडे!

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KISSA-A-IAS : टीना डाबी के पति बनकर चर्चित प्रदीप गवांडे!

KISSA-A-IAS : टीना डाबी के पति बनकर चर्चित प्रदीप गवांडे!

यदि प्रदीप गवांडे का नाम अकेले लिया जाए, तो सुनने वाले को कुछ देर सोचना पड़ सकता है ये कौन है? लेकिन, यदि इस नाम के साथ टीना डाबी का नाम जोड़ दिया जाए तो पहचानने वाले को आसानी होगी। खूबसूरत आईएएस टीना डाबी के पति प्रदीप गवांडे भी शादी के बंधन में बंधकर चर्चित हस्तियों में शामिल हो गए। इससे पहले ऐसा कोई कारण नहीं था कि कोई उन्हें पहचाने! महाराष्ट्र के रहने वाले प्रदीप गवांडे 2013 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। प्रदीप अपनी दूसरी पत्नी टीना डाबी से प्रशासनिक सेवा में तीन साल सीनियर हैं जबकि, उम्र में वे 13 साल बड़े हैं।

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दोनों की मुलाकात कोविड की दूसरी लहर के दौरान मई 2021 में हुई थी। डॉ प्रदीप और टीना हेल्थ डिपार्टमेंट में साथ थे। उन दोनों ने पहले एक-दूसरे को दोस्त की तरह जाना-पहचाना, फिर एक-दूसरे के परिवारों को जाना। यह सब एक साल तक चला, इसके बाद उन्होंने शादी का फैसला किया। प्रदीप गवांडे मूलतः महाराष्ट्र के लातूर जिले से हैं। वह वहां से आईएएस बनने वाले चुनिंदा लोगों में से एक हैं। उनका परिवार फिलहाल पुणे में रहता है।

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डॉ प्रदीप गवांडे ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, औरंगाबाद से एमबीबीएस किया है। उन्होंने दिल्ली के कई बड़े हॉस्पिटल्स में काम भी किया। इसके बाद दिल्ली में रहकर ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और फिर आईएएस बने।

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प्रदीप गावंडे का जन्म 9 दिसंबर 1980 को लातूर में हुआ था। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम केशव राव गावंडे और माता का नाम सत्यभामा गावंडे है। प्रदीप ने यूपीएससी परीक्षा में 478 रैंक हासिल की थी। वे बचपन से ही काफी मेहनती और मेधावी छात्र थे। उनका सपना बड़े होकर डॉक्टर बनना था। उन्होंने औरंगाबाद से एमबीबीएस किया, फिर दिल्ली के बड़े अस्पतालों में एक डॉक्टर के रूप में अभ्यास किया। कुछ समय काम करने के बाद उन्होंने दिल्ली से ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। प्रदीप ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2012 में 478वीं रैंक हासिल की और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी बन गए। सिविल सेवा परीक्षा में चयन के बाद उन्हें राजस्थान कैडर मिला। आईएएस प्रदीप गावंडे एक डॉक्टर होने के बावजूद हमेशा आईएएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करने का सपना देखते थे।

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प्रदीप गावंडे को ट्रेनिंग के दौरान पहली पोस्टिंग जुलाई 2014 में सहायक कलेक्टर और कार्यकारी मजिस्ट्रेट, बूंदी में मिली। अगस्त 2015 में उन्हें दिल्ली भेज दिया गया जहा पर उन्हें फार्मास्यूटिकल्स विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय में सहायक सचिव के पद पर नियुक्त किया गया। 4 महीने के बाद उन्हें अनुमंडल पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी, धौलपुर बना दिया, जहां उन्होंने एक साल अपनी सेवाएं दी। नवम्बर 2016 में नई जिम्मेदारी के साथ जोधपुर में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद नियुक्त किया गया। इसके बाद इन्हें नगर निगम, बीकानेर का कमिश्नर बनाया गया। फरवरी 2020 में राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड, जयपुर के प्रबंध निदेशक बने। कोरोना के समय उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और निदेशक का अतिरिक्त मिशन निदेशक बनाया गया। जुलाई 2020 में उन्हें चुरू का कलेक्टर बनाया जहां वे सिर्फ 5 महीने रहे। जनवरी 2021 में आईएएस प्रदीप गावंडे को राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम, जयपुर का प्रबंध निदेशक बनाया गया। इस दौरान इन पर भ्रष्टाचारी का आरोप लगा था।

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अक्टूबर 2021 से उन्हें पुरातत्व और संग्रहालय विभाग की ज़िम्मेदारी दी गई, जहां वे डायरेक्टर पद पर रहे। 4 अप्रैल 2022 को पुरातत्व और संग्रहालय विभाग से ट्रांसफर होकर सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग (जयपुर) में संयुक्त शासन सचिव के पद पर तैनात किया है। 4 जुलाई 2022 को प्रदीप गावंडे उदयपुर भेज दिया गया है जहा पर उन्हें प्रबंध निदेशक राज्य खान एवं खनिज निगम लिमिटेड और निदेशक पेट्रोलियम बनाया गया है।


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रिश्वत मामले में भी पूछताछ
प्रदीप गावंडे साल 2021 में कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के प्रबंध निदेशक थे, तब वे एक रिश्वत मामले में जांच के दायरे में थे। आरएसएलडीसी के प्रबंधक राहुल गर्ग और अशोक सांगवान को पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए एसीबी की टीम ने गिरफ्तार किया था। रिश्वत मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनसे पूछताछ की थी। उस समय खबर आई थी कि आईएएस प्रदीप गावंडे एसीबी अधिकारियों को सही जवाब देने में नाकाम रहे थे। सितंबर 2021 में एसीबी के कुछ ऑफिसर ने उनसे 2 घंटे तक पूछताछ की थी। उस समय आईएएस प्रदीप गावंडे के साथ 8 और अधिकारी संदेह के घेरे में थे। आरएसएलडीसी में एमडी रहते हुए रिश्वत मामले में प्रदीप गवांडे का नाम सामने आया था। एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन पर केस भी दर्ज किया था। इसके अलावा 8 अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया था। सितंबर, 2021 में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उनसे दो घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।