

Kissa-A-IAS : Satyendra Kumar jha: देश के सबसे महत्वपूर्ण जिले के कलेक्टर,चर्चा में है नाम!
यूपीएससी में IAS के रूप में हर साल कई प्रशासनिक अधिकारियों को चुना जाता है। लेकिन, कुछ साल की सेवा के बाद कुछ ही ऐसे अफसर होते हैं, जो समाज में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब होते हैं। जहां तक प्रशासनिक कामकाज और सख्ती का सवाल है, तो वो इस पद की अपनी कार्यशैली है। लेकिन, अलग छाप उसी अफसर की बनती है, जो अपने नए प्रयोगों से समाज को कोई नई दिशा देता है या समाज जिसे अपना समझता है। ऐसे चंद अधिकारियों में सत्येंद्र कुमार झा को भी गिना जाता है, जो हाल ही में वाराणसी के नए कलेक्टर बनाए गए। यूपीएससी परीक्षा में सत्येन्द्र कुमार को 71वीं रैंक हासिल हुई थी। अब उनका नाम इसलिए चर्चा में आया कि वे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कलेक्टर बनाए गए हैं।
2013 बैच के आईएएस अधिकारी सत्येन्द्र कुमार को उनके कुशल प्रशासनिक कौशल और जनसेवा के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है। अभी तक वे जिस जिले में कलेक्टर या जिस भी विभाग में प्रभारी रहे, उन्होंने वहां नए प्रयोग किए जिनके अच्छे नतीजे सामने आए। सत्येन्द्र कुमार ने अपने 12 साल के करियर में कई चुनौती वाले पदों पर अपनी योग्यता साबित की। उन्होंने देवरिया और जौनपुर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने प्रशासनिक दक्षता और जनसंपर्क में अपनी छाप छोड़ी। इसके बाद, बरेली में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में उन्होंने विकास कार्यों को गति दी। लखनऊ में विशेष सचिव (बेसिक शिक्षा विभाग) के पद पर रहते हुए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए।
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IAS बनने से पहले वे भारतीय राजस्व सेवा में चयनित हुए थे। बतौर IRS वे कोलकाता में असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम एंड एक्साइज और सर्विस टैक्स के पद पर तैनात थे। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने बीई की डिग्री हासिल की और 2013 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में कदम रखा। उन्होंने महोबा, महाराजगंज और बाराबंकी में कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दीं, जहां उनके कार्यों की सराहना हुई। खास तौर पर महोबा और महाराजगंज में उन्होंने स्थानीय समस्याओं को हल करने और विकास परियोजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण काम किया। वे उत्तर प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के रूप में कार्यरत रहे, जहां उन्होंने नीति निर्माण और प्रशासनिक समन्वय में अहम भूमिका निभाई।
सत्येन्द्र कुमार का जन्म 30 अप्रैल 1987 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ। इनके माता जी का नाम कमला रानी झा और पिता जी का नाम राधा रमण झा है। इनकी शुरुआती पढ़ाई पैतृक गांव के ही सरकारी प्राथमिक विद्यालय में हुई। यही कारण है कि ये समय मिलते ही अक्सर छोटे-छोटे बच्चों को खुद पढ़ाने सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पहुंच जाते हैं। जब वे बरेली में सीडीओ के पद पर थे, तब प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उन्होंने अनूठी पहल शुरू की थी। बच्चों को पढ़ाने के लिए लोगों से भी अपील की कि वे बच्चों को पढ़ाने आएं। वे खुद भी सप्ताह में तीन बार प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने जाते थे। सीडीओ की इस मुहीम से बाद में करीब 40 लोग जुड़ गए थे।
यह प्रयोग उन्होंने इसलिए किया कि स्कूल में तैनात शिक्षक छुट्टी पर थे और बच्चों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही पढ़ा रहा था। इस स्कूल में 34 बच्चों का एडमिशन था, जबकि पढ़ने के लिए उस दिन सिर्फ 9 बच्चे ही थे। सत्येंद्र कुमार ने जब बच्चों से नाम लिखवाया, तो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में महज एक बच्चा ही अपना नाम लिख पाया। जिस पर सीडीओ ने खुद ही बच्चों पढ़ाने की ठानी और स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया। सीडीओ की पढ़ाई का असर भी दिखने लगा है पहले जो बच्चे अपना नाम नहीं लिख पाते थे, वे बच्चे हिंदी और अंग्रेजी में अपना नाम लिखने लगे है। सीडीओ सप्ताह में तीन बार कार्यालय जाने से पहले बच्चों को पढ़ाने पहुंचते थे।