KISSA-A-IAS:दृष्टिबाधित ने वो कारनामा किया, जो आंख वाले नहीं कर सके!

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KISSA-A-IAS: दृष्टिबाधित ने वो कारनामा किया, जो आंख वाले नहीं कर सके!

कोई इस बात की कल्पना कर सकता है कि ऐसा कोई ऐसा परीक्षार्थी UPSC में 7वीं रैंक हासिल करे, जिसे आंखों से दिखाई नहीं देता हो! लेकिन, यह सच है। इसलिए कि कोई तब तक नहीं हारता, जब तक वो खुद को हारा हुआ महसूस न करे। फिर वो शारीरिक रूप से अक्षम हो या आर्थिक रूप से। यदि उसमें योग्यता है, तो फिर उसे लक्ष्य पाने से कोई नहीं रोक सकता।

KISS-A-IAS: दृष्टिबाधित ने वो कारनामा किया, जो आंख वाले नहीं कर सके!

दिल्ली के सम्यक जैन के जीवन की सच्चाई कुछ ऐसी ही है। यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा-2021 परीक्षा में 7वीं रैंक पाने वाले सम्यक जैन देख नहीं सकते। फिर भी वो आंख वालों के सामने यूपीएससी के टॉपर लिस्ट में हैं। उनकी आंखों की रोशनी ग्रेजुएशन के दौरान चली गई थी, इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में सफलता पा ली।

KISSA-A-IAS: दृष्टिबाधित ने वो कारनामा किया, जो आंख वाले नहीं कर सके!

सिविल सर्विसेज परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। यह परीक्षा मेहनत, लगन के अलावा प्रतिभा से पास की जाती है। सम्यक जैन ने भी अपनी मेहनत से यह परीक्षा पास की और AIR 7वीं रैंक हासिल की। शुरू से ही सम्यक जैन ने बताया कि वह बचपन से पढ़ाई में अच्छे थे। उनकी शुरुआती स्कूलिंग सामान्य रही। जब देश में मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा हुई, तब सम्यक के मन में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने का विचार आया। वह कोरोना का ही समय था जब सभी अपने घरों में कैद हो गए थे और स्कूल-कॉलेजों पर भी ताला लग गया था। ऐसे में सम्यक रोज 7-8 घंटो तक पढ़ने का मौका मिल गया और इसके साथ ही उन्होंने अपनी यूपीएससी की पढाई की शुरुआत की। लेकिन, वे पहले प्रयास में असफल रहे। दूसरे प्रयास में सफलता पाकर वे बेहद खुश हैं। सम्यक मानते हैं कि मैंने सोचा नहीं था कि मेरी सिंगल डिजिट में इतनी अच्छी रैंक आएगी। परीक्षा के बारे में मैंने जितना सोचा था, मुझे उससे ज्यादा मिला।

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दिल्ली के शाहदरा में जन्मे सम्यक ने 12वीं के बाद ग्रेजुएशन में बीटेक (कंप्यूटर साइंस) में दाखिला लिया। फर्स्ट ईयर के दौरान उनकी आंख में परेशानी हुई। जांच कराई तो मैकुलर डिजनरेशन का पता चला। वास्तव में यह एक जैनेटिक बीमारी है, हालांकि मेरे परिवार में दूर-दूर तक किसी को नहीं था। ख़ास बात तो यह कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। जब समस्या बढ़ी, तो पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लिया गया। कॉलेज भी इतना सपोर्टिंग नहीं था, इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में ओपन से इंग्लिश ऑनर्स से बीए किया।

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JNU ने दिया IAS बनने का हौंसला
ग्रेजुएशन के दौरान कुछ दोस्तों ने बताया कि अगर पढ़ने-लिखने में रुचि है, तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पत्रकारिता कर लो। फिर सम्यक इंग्लिश जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया। IIMC से पढ़ाई के बाद वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से इंटरनेशनल रिलेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने चले गए। यहीं से UPSC का सफर शुरू हुआ। उन्होंने यूपीएससी में राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में लिया।

KISS-A-IAS: दृष्टिबाधित ने वो कारनामा किया, जो आंख वाले नहीं कर सके!

साथ मिला और सपना साकार हुआ
आंख से मेहरूम सम्यक के माता-पिता एयर इंडिया के लिए काम करते हैं। वे अपनी मां के साथ रहते हैं। पिता फ्रांस में कंट्री मैनेजर हैं और पेरिस में पोस्टेड हैं। उनकी दीदी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गईं, तो पिता का कहना था कि तुम भी वहीं चले जाओ। अमेरिका में तुम्हारे लिए अच्छे स्कोप मिलेंगे। शुरुआती दिनों में सम्यक ठीक थे। उन्होंने देखा कि देश में करने के लिए बहुत कुछ है। देश के लोगों के लिए अच्छी सुविधाओं की जरूरत है। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह देश में ही रहेंगे और जो कुछ भी करेंगे यही से करेंगे।


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मां और दोस्त ने पेपर लिखा
सम्यक दृष्टि बाधित होने के कारण पीडब्ल्यूडी श्रेणी में आते हैं, जिन्हें कॉपी लिखने के लिए सहायक उपलब्ध कराया जाता है। सम्यक ने बताया कि मेरी कॉपी लिखने के लिए एक राइटर की जरूरत होती थी। ऐसे में मां ने साथ दिया। ग्रेजुएशन से लेकर यूपीएससी तक की परीक्षा मेरी मां ने लिखा है। UPSC प्रीलिम्स परीक्षा में राइटर मेरी मां बनी थी और मेंस में मेरी एक दोस्त ने पेपर लिखा था।

KISSA-A-IAS: दृष्टिबाधित ने वो कारनामा किया, जो आंख वाले नहीं कर सके!

सम्यक की सलाह
यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को सलाह देते हुए सम्यक कहते हैं कि सबसे पहले पॉज़िटिव रहना सीखें। कोई भी अपने आप में कम नहीं है। हमेशा विश्वास रखें कि आपके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। ध्यान रहे कि उसमें निरंतरता बनाए रखें। हमेशा अपना खुद मूल्यांकन करते रहना चाहिए। मॉक टेस्ट का भी विकल्प चुनें। लोगों को लगता है कि यूपीएससी के बहुत सारे अटेम्प्ट हैं, सामान्य वर्ग के लिए भी 6 अटेम्प्ट हैं। लोग हमेशा इस ख्याल में रहते हैं कि इस बार नहीं तो अगली बार जरूर पास कर लेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि पेंच यहीं फंस रहा है। जबकि, सोचना चाहिए कि यही के एक मात्र प्रयास है, इसी में मुझे लक्ष्य को हासिल करना है।

सम्यक का कहना है कि हमारे देश में विकास और सुधार के लिए जो भी पॉलिसी बन रही है, वह काफी बढ़िया है। लेकिन, मुझे महसूस होता है कि पॉलिसी को ढंग से इम्प्लीमेंट नहीं किया जाता। मैं इस मुद्दे पर फोकस करना चाहूंगा। इसके साथ- साथ मैं गर्ल चाइल्ड एजुकेशन और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर काम करना चाहूंगा।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।