Kissa-A-IAS: Vaishnavi Paul: अखबारों से प्रेरणा मिली और एक सवाल के जवाब ने बनाया IAS

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Kissa-A-IAS: Vaishnavi Paul: अखबारों से प्रेरणा मिली और एक सवाल के जवाब ने बनाया IAS

    संघर्ष और कामयाबी के बीच एक सवाल का अंतर होता है। सही जवाब आपके ल‍िए उन सीढ़ियों का रास्‍ता खोल देता है, जो आपको नई ऊंचाईयों तक लेकर जाती हैं। वैष्‍णवी पॉल के जीवन में भी एक ऐसा सवाल आया, जिसने उन्हें IAS अधिकारी बना दिया।

Kissa-A-IAS: Vaishnavi Paul: अखबारों से प्रेरणा मिली और एक सवाल के जवाब ने बनाया IAS

उत्तर प्रदेश के गोंडा की 26 साल की वैष्णवी पॉल ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2022 में 62वीं रैंक हासिल कर इस मुश्किल परीक्षा में कामयाबी हासिल की। संघर्ष के इस सफर में प्रारंभिक परीक्षा से लेकर इंटरव्यू तक कई चरणों को पार करना शामिल है। वैष्णवी ने अपने चौथे प्रयास में यह परीक्षा पास की।

Kissa-A-IAS: Vaishnavi Paul: अखबारों से प्रेरणा मिली और एक सवाल के जवाब ने बनाया IAS

वैष्णवी के पिता बिजनेसमैन हैं और मां टीचर। सिविल सेवा में करियर बनाने की प्रेरणा उन्हें अखबार पढ़ने से मिली। बचपन में को पिता को अकसर अख़बारों में डूबे हुए देखती थी। जब आप अखबार खोलते हैं तो ज्यादातर लोकल न्यूज़ देखते हैं कि कैसे कलेक्टर ने कोई काम किया, एसपी ने यह किया. ऐसे में मेरा मन भी इसी दिशा में चला गया। फिर जब हम बड़े होते हैं और स्थितियों को देखते हैं, तो आपको लगता है कि हमें भी ऐसा कुछ करना चाहिए। यदि आपके पास एक सपोर्ट सिस्टम है, तब आप कड़ी मेहनत करते हैं और प्रशासन का हिस्सा बनने की कोशिश करते हैं। शुक्र है कि मेरे पास एक सपोर्ट सिस्टम है. मेरे माता-पिता, मेरी बहन, मेरे मायके का परिवार, मेरे सभी शिक्षक, मेरे सभी दोस्त मेरे साथ थे।

Kissa-A-IAS: Vaishnavi Paul: अखबारों से प्रेरणा मिली और एक सवाल के जवाब ने बनाया IAS

मुझे अख़बारों से ही अफसरों की भूमिका खासतौर से जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों के काम के बारे में पता चला। IAS अधिकारियों की ताकत और जिम्मेदारियों ने उन्हें ज्यादा प्रेरित किया। उनके सफर में महत्वपूर्ण प्रभाव IAS अधिकारी रोशन जैकब का भी था, जो पहले गोंडा के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में काम कर चुके थे। वैष्णवी ने अपनी स्कूली शिक्षा गोंडा के फातिमा स्कूल से पूरी की। उसके बाद आगे की पढाई के लिए दिल्ली चली गई। उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की और बाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की। जब उन्होंने यूपीएससी क्लियर किया तब वह जेएनयू से मास्टर्स कर रही थीं। अपनी सफलता पर उन्होंने कहा ‘मेरी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 62 आई। मैं बहुत खुश हूं कि मैंने जो करने की योजना बनाई थी उसे करने का मौका मिलेगा।’

वैष्णवी ने यूपीएससी रिजल्ट आने के बाद बताया कि उससे यूपीएससी इंटरव्यू में कई सवाल पूछे गए थे। जिसमें एक सिचुएशन क्वेश्चन बहुत अच्छा था।  यह था कि अगर आप जिला मजिस्ट्रेट बनकर आती हैं और वहां के एसपी के साथ पिछले डीएम की बहुत अच्छी तालमेल नहीं था तो आप यह आइस ब्रेक कैसे करेंगी? इस सवाल के जवाब में वैष्णवी ने कहा ‘मैं पॉजिटिव अप्रोच के साथ उनके साथ एक नई शुरुआत करूंगी!’

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वैष्णवी ने अपने पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी का प्रीलिम्स क्लीयर कर लिया था। लेकिन, मेन्स क्रैक नहीं हो सका। तीसरे प्रयास में प्रीलिम्स और मेन्स दोनों क्रैक कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में रह गईं। इन असफलताओं ने उन्हें हताश करने के बजाए हौसले को बढ़ाया। वह एक-एक स्टेप आगे बढ़ती रही। वैष्णवी बताती हैं कि जब तीन बार यूपीएससी में सक्सेस नहीं मिली तो थोड़ा बुरा लगा लेकिन थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से मेहनत करने में जुट गई। अंततः चौथे प्रयास में वैष्णवी को सफलता मिली।

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वैष्णवी 2023 बैच की IAS अधिकारी है। उन्हें तमिलनाडु कैडर आबंटित हुआ है। वे वर्तमान में मदुरै में सहायक कलेक्टर के रूप में पदस्थ है।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।