Kissa-A-IAS:Not only IPS,It’s IAS Also:12th फेल IPS ही नहीं, IAS भी है!
इन दिनों मध्यप्रदेश के रहने वाले और महाराष्ट्र कैडर के IPS ऑफिसर मनोज कुमार शर्मा के जीवन संघर्ष की कहानी खासी चर्चा में है। उनके जीवन संघर्ष पर ही ’12वीं फेल’ नाम से बनी फिल्म ने कामयाबी का रिकॉर्ड बना दिया। लेकिन, इस IPS जैसी कहानी के दूसरे अफसरों की कमी नहीं है। ऐसे ही 12वीं फेल नारायण कोंवर भी हैं जिन्होंने UPSC क्लियर की और IAS अफसर बने। उनका 12वीं में फेल होना उनकी सफलता में आड़े नहीं आया। नारायण कोंवर की कहानी वास्तव में दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की मिसाल है। गरीबी से परेशान जिस परिवार में दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल था, वहां नारायण कोंवर ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और अंततः अपनी मंजिल हांसिल की।
नारायण कोंवर का जन्म असम के मोरीगांव जिले में हुआ था। परिवार को गरीबी विरासत में मिली थी। पिता ज्यादा कमाते नहीं थे। क्योंकि, वे टीचर थे। ऐसी स्थिति में कोंवर के लिए पढ़ाई जारी रखना बहुत मुश्किल भी था। ये परेशानी जब और बढ़ी जब बहुत छोटी उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया। सारी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। मां को भी काफी संघर्ष करना पड़ा। पिता के निधन के बाद मां को मजदूरी करना पड़ी। जो समय मिलता उसमें वे सब्जियां बेचती। मां के इस काम में नारायण भी मां की मदद करते रहे। किसी तरह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए समय निकाला। लेकिन, सारी कोशिशों के बावजूद वे 12वीं की परीक्षा में सफल नहीं हो सके। गरीबी उनकी पढ़ाई के बीच मुख्य अड़चन थी।
नारायण जिस इलाके के रहने वाले थे, वहां यूएलएफए (ULFA) का दबदबा था। वहां उल्फा के सदस्य खुले आम हथियार लेकर घूमते थे। नारायण की इच्छा भी उल्फा में शामिल होने की होने लगी। इसलिए कि एक दोस्त उल्फा में शामिल हो हुआ था। लेकिन, नारायण कोंवर की किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। वे उल्फा से जुड़ना चाहते थे, पर बाद में किस्मत ने ऐसा पलटा खाया कि आज वे असम सचिवालय में सचिव स्तर के IAS अधिकारी बने। दरअसल, कोंवर की कहानी धैर्य, बलिदान और बाधाओं के बावजूद सफलता की खोज में आगे बढ़ने वालों के लिए मिसाल है।
जब नारायण नागांव ने एडीपी कॉलेज में एडमिशन लिया, तब तक उनकी मां फुटपाथ पर सब्जी बेचती रही। लेकिन, नारायण बचपन से ही धैर्य और दृढ़ इच्छा शक्ति से भरे थे। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के सामने घुटने नहीं टेके, बल्कि उन्होंने अपनी कमाई और शिक्षा जारी रखने का फैसला किया। सड़क के किनारे तला पापड़, चना आदि बेचना शुरू किया और परिवार का सहारा बने। साथ ही उन्होंने अपना ज्यादातर समय पढ़ाई में लगाया। अंततः वे 12वीं कक्षा की परीक्षा में पास हो गए।
इसके बाद द्वितीय श्रेणी में स्नातक की परीक्षा पास की। फिर गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से फर्स्ट डिवीजन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और एडीपी कॉलेज नागांव में लेक्चरर बन गए। इसके साथ ही उन्होंने यूपीएससी के बारे में सोचा और तैयारी शुरू कर दी। लेकिन, पहली कोशिश में सफल नहीं हो सके। दूसरी कोशिश में 2010 में नारायण कोंवर ने 119 रैंक के साथ UPSC क्रेक किया और उन्हें असम कैडर मिला। फ़िलहाल वे असम सरकार में उच्च शिक्षा विभाग में सचिव हैं।