Kissa A IPS: तेजतर्रार अफसर को अमित शाह ने दी ‘कंझावला कांड’ की जिम्मेदारी!
नई दिल्ली के मंगोलपुरी की रहने वाली 20 साल की युवती की स्कूटी के कार से टक्कर के बाद उसको करीब 12 किलोमीटर तक घसीटकर मारे जाने की वारदात इन दिनों चर्चा में है। इसे ‘कंझावला कांड’ नाम दिया गया है। पुलिस को इस मामले में कई अहम सुराग मिले हैं। ख़ास यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एजीएमयूटी कैडर की 1996 बैच की तमिलनाडु कैडर की सीनियर आईपीएस अधिकारी शालिनी सिंह को यह केस सौंपा गया है। दिल्ली पुलिस के बीते 42 साल के इतिहास में 1978 में जबसे दिल्ली पुलिस में आईजी सिस्टम हटाकर कमिश्नर सिस्टम लागू हुआ, तब से अब तक के चार दशकों में रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त (सिविल पुलिस पोस्टिंग) के पद पर पुरुष आईपीएस ही तैनात रहे हैं।
बताया जाता है कि गृह मंत्री अमित शाह ने खुद शालिनी सिंह को इस मामले में फोन किया और जांच के निर्देश भी दिए। उन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। किसी पुलिस अधिकारी के लिए यह प्रतिष्ठा की बात होती है, कि उसे देश के गृह मंत्री स्वयं फोन करके कोई मामला सौंपे! दिल्ली के आपराधिक मामलों को हल करने में शालिनी सिंह को महारथ हांसिल है। उन्होंने कई ऐसे पैचीदा मामलों को हल किया जिसका कोई सिर-पैर नहीं था। आईपीएस अधिकारी शालिनी सिंह ने अपने पूरे करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है।
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शालिनी सिंह को काफी तेजतर्रार महिला आईपीएस अफसर माना जाता हैं। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में भी तैनात रही हैं और अंडमान-निकोबार और पुडुचेरी में अहम पदों पर सेवाएं दी हैं। शालिनी सिंह 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल वे दिल्ली पुलिस में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लयू) की स्पेशल कमिश्नर हैं। वे पहले ज्वाइंट सीपी वेस्टर्न रेंज थीं। दिल्ली में 1 जुलाई, 1978 को कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद से शालिनी सिंह पिछले चार दशकों में दिल्ली पुलिस रेंज की प्रमुख बनने वाली पहली महिला अधिकारी हैं।
शालिनी सिंह उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में आईं, जब उन्होंने 2004 में लेफ्टिनेंट जनरल हरनाम सिंह और उनकी पत्नी की डबल मर्डर की गुत्थी को सुलझाया था। उनकी जांच टीम ने मामले से जुड़े सभी आरोपियों को नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था। उनके पति अनिल शुक्ला भी आईपीएस हैं और कुछ महीने पहले वे नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) में तैनात रहे। उनको मुंबई के मशहूर एंटीलिया केस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शालिनी सिंह की दो बेटियां हैं। उनका परिवार हमेशा से उनके कामों में सहयोग करता रहा है।
कोरोना लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 16 से 18 घंटे काम किया। उन्हें काम के दौरान अपने घर जाने की भी चिंता नहीं रहती थी। शालिनी सिंह ने मई 2020 में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘लॉकडाउन के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखना कोई समस्या नहीं है। मैं हमेशा बस ये सुनिश्चित करना चाहती थी कि मेरे अधिकार क्षेत्र में रहने वाला कोई भी व्यक्ति आवश्यक वस्तुओं के बिना न रहे। शालिनी सिंह लॉकडाउन के दौरान हर रोज औसतन 16 से 18 घंटे की ड्यूटी लगाकर पुलिस बल का नेतृत्व करती थीं।
ज्वाइंट सीपी (वेस्टर्न रेंज) पद पर रहते हुए शालिनी सिंह ने किसान आंदोलन के लिए दिल्ली पुलिस की रणनीति बनाई थी। किसान आंदोलन की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी का काम शालिनी सिंह का था। किसान आंदोलन के अलावा दिल्ली के खयाला इलाके में जब सांप्रदायिक तनाव की अफवाह फैली थी तो इसको रोकने के लिए शालिनी सिंह ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया था। उन्होंने खुद इस तनाव को शांत करने का मोर्चा संभाला था। वो सड़कों पर उतरकर लाउडस्पीकर से खुद को लोगों को सच बताते देखी गई।
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शराब माफियाओं पर भारी
कोरोना में अपने अनुभव को लेकर शालिनी सिंह ने कहा था कि 24 साल आईपीएस रहकर अब तक की उम्र में जो सोचा, देखा और सुना नहीं वो सब देख लिया। ‘कोरोना-काल’ के 50-55 दिनों और लॉक डाउन के हालातों से समझा और सिखा। मैं रोज औसतन 16-18 घंटे सिपाही, हवलदार, दारोगा, इंस्पेक्टर, एसीपी, डीसीपी के साथ सूनी पड़ी सड़कों पर घूमती हूं। इन दिनों मेरे तीनों जिलों बाहरी दिल्ली, पश्चिमी और द्वारका में शराब माफियाओं को काबू करना बड़ी चुनौती था, पर अब सब काबू में आ चुका है।
शलिनी सिंह ने बताया कि लॉक डाउन में शराब माफियाओं ने पुलिस को शराब तस्करी के तमाम नए अविश्वसनीय फार्मूलों से भी वाकिफ कराया। द्वारका जिले में हमारी टीमों ने दो-तीन ऐसे शराब तस्करों को पकड़ा, जो एंबुलेंस में रखे डेड बॉडी ‘फ्रीजर’ के अंदर हरियाणा से शराब भरकर ला रहे थे। लॉक डाउन में शराब माफियाओं के खिलाफ किले बंदी मेरे तीनों ही जिलों ने की, सैकड़ों वाहन जब्त किए, मगर सबसे ज्यादा शराब माफियाओं पर भारी पड़ा मेरे तीनों जिलों के थानों में द्वारका जिले का बाबा हरिदास नगर थाना।
सुरेश तिवारी
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