Kissa-A-IPS: Dr Kumar Ashish: संघर्ष की आंच में तपकर निकला एक IPS अधिकारी!

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Kissa-A-IPS: Dr Kumar Ashish: संघर्ष की आंच में तपकर निकला एक IPS अधिकारी!

Kissa-A-IPS: Dr Kumar Ashish: संघर्ष की आंच में तपकर निकला एक IPS अधिकारी!

यह कहानी बिहार के साधारण परिवार के लड़के की है। जमुई के एक छोटे से गांव सिकंदरा पले-बढे IPS अधिकारी डॉ कुमार आशीष की सफलता की कहानी दिलचस्प होने के साथ प्रेरक भी है। उन्होंने 9वीं की पढाई मुंगेर के संग्रामपुर के सरकारी स्कूल से की। एक किलोमीटर तक पैदल स्कूल जाना, वहां सबसे पहले झाड़ू लगाना, फिर बस्ते से वो बोरा निकालकर बिछाना उसके बाद पढाई करना। यह सब उन्हें आज भी याद है। बताते हैं कि तकलीफ तो थी, लेकिन मास्टर जी अच्छे थे। इसलिए बोरे पर बैठने वाली बात पर आज भी इन्हें गुस्सा नहीं आता। आशय यह कि हालात से समझौता करना और अभाव इन्हें आता है।

Kissa-A-IPS: Dr Kumar Ashish: संघर्ष की आंच में तपकर निकला एक IPS अधिकारी!

डॉ कुमार की पढाई के उस दौर में बिजली तो मानो सपने जैसा था। गांव में लालटेन युग था। 10वीं की पढाई श्री कृष्ण विद्यालय सिकंदरा व 12वीं की पढाई धनराज सिंह कॉलेज सिकंदरा से पूरी की। पिता ब्रजनंदन प्रसाद सिंचाई विभाग में क्लर्क थे। माँ स्व मुद्रिका देवी, तीन भाई व तीन बहन का भरा पूरा परिवार था। सभी भाइयों ने संघर्ष के दौर को देखा था। बड़े भैया संजय कुमार रेलवे में, मंझले भैया डॉ मुकेश कुमार आर्मी हॉस्पिटल में पोस्टेड हैं। मैं छोटा था इसलिए सभी का सहयोग भी काफी मिला। फिर आगे की पढाई के लिए बाहर जाने की सोचता रहा। उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली जाने की जुगाड़ में लगा रहा।

Kissa-A-IPS: Dr Kumar Ashish: संघर्ष की आंच में तपकर निकला एक IPS अधिकारी!

2001 में जेएनयू के एंट्रेंस एग्जाम में आल इंडिया टॉपर रहा। स्कालरशिप मिली और मैंने फ्रेंच विषय में नामांकन लिया। 1200 रुपए में दिल्ली में जिंदगी कैसे कटती इसलिए मैंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। 4 साल ऑल इंडिया रेडियो में काम किया। वे आर्थिक तंगी को लेकर कभी मै विचलित नहीं हुए, बल्कि हालात से लड़कर परिस्थितियों को अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश की। वे डरे नहीं, लड़े और संघर्ष दौर देखा।

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आज इनकी लोकप्रियता इस बात पर है कि अगर आप पुलिस अच्छे हैं, तो समाज भी अच्छा होगा। कहा जाता है कि अगर इंसान में संघर्ष और कठिन मेहनत करने की क्षमता है तो दुनिया में ऐसा कोई मुकाम नहीं जिसे हासिल नहीं किया जा सके। डॉ आशीष बताते हैं कि प्लस टू के बाद आगे की पढाई के लिए उन्होंने अपना कदम दिल्ली की तरफ बढ़ाया। जेएनयू में दाखिला लिया। फ्रेंच भाषा में बीए, एमए और एमफिल करने के बाद पीएचडी की। जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिला, फ्रेंच की पढाई की।

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डॉ कुमार आशीष ने जेएनयू में एमफिल की पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। सेल्फ स्टडी के जरिए चौथे प्रयास में यूपीएससी पास कर ली और ऑल इंडिया 363 रैंक हासिल की। डॉ कुमार आशीष 2012 बैच के बिहार कैडर के IPS अधिकारी हैं। उन्होंने मधेपुरा, नालंदा, किशनगंज और मोतिहारी में एसपी के रूप में काम किया। डॉ कुमार आशीष को कोढ़ी बाडी (किशनगंज) के एक सामूहिक दुष्कर्म मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट से कठोरतम सजा दिलाने, पीड़िता को दस लाख मुआवजा और अपराधियों को पुनर्वास सजा दिलवाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री पदक से भी सम्मानित किया गया।

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डॉ कुमार आशीष ने हाल ही में मुजफ्फरपुर जंक्शन पर ‘रेल पुलिस पाठशाला’ की शुरुआत की। इसमें कचरा बीनने वालों, परित्यक्त और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इसकी शुरुआत मुजफ्फरपुर से की गई है। इसकी शुरुआत दो दर्जन बच्चों को अज्ञानता और अपराध की संभावित दुनिया से मुक्त कराने के लिए की गई थी। IPS डॉ कुमार आशीष की कहानी प्रेरणादायक है और यह साबित करती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी अपना सपना पूरा कर सकता है। डॉ आशीष फ़िलहाल पुलिस अधीक्षक, रेल (मुजफ्फरपुर) के पद पर तैनात हैं।