
Kissa-A-IPS: IPS Urmi Sinha’s Success Story: 22 वर्ष की उर्मी सिन्हा ने पहले प्रयास में रचा इतिहास
मुंगेर। बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर की शांत गलियों से निकली 22 वर्षीया Urmi Sinha आज पूरे देश में प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी हैं। UPSC सिविल सेवा परीक्षा जैसे कठिन और बहुपरिचित संघर्ष को उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में पार किया और अखिल भारतीय रैंक 170 प्राप्त कर सीधे इंडियन पुलिस सर्विस में चयनित हुईं। सीमित साधनों वाले साधारण परिवार से आकर इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करना उनके अद्भुत आत्मविश्वास, अनुशासन और अथक परिश्रम का प्रमाण है।

▪️शिक्षा का मजबूत आधार
▫️उर्मी का पालन-पोषण एक मध्यमवर्गीय लेकिन शिक्षित वातावरण में हुआ। पिता सरकारी सेवा में और मां गृहिणी थीं। घर में अध्ययन को सर्वोच्च स्थान दिया जाता था और इसी ने उर्मी की सोच, अनुशासन और अध्ययन के प्रति गंभीरता को आकार दिया। स्कूली शिक्षा उन्होंने पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पूरी की। इतिहास, राजनीति और समाज से जुड़े विषयों में उनकी जल्दी रुचि बढ़ी। कक्षा में उनकी विश्लेषणात्मक सोच, तर्कपूर्ण प्रश्न और विषयों को गहराई से समझने की क्षमता ने उन्हें हमेशा अलग पहचान दिलाई। यह वही उम्र थी जब उनके भीतर समाज और देश के लिए कुछ अर्थपूर्ण करने का संकल्प धीरे-धीरे आकार लेने लगा।

▪️कॉलेज में मिली स्पष्ट दिशा
▫️बारहवीं के बाद उर्मी का चयन कोलकाता के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस में BA के लिए हुआ। यह चरण उनके लिए बेहद निर्णायक साबित हुआ। कॉलेज का शैक्षणिक माहौल, शोध आधारित अध्ययन, संविधान और शासन व्यवस्था पर केंद्रित चर्चाएं और सामाजिक मुद्दों पर गहन विश्लेषण की परंपरा ने उर्मी की सोच को और परिपक्व किया।
बहसों, प्रेजेंटेशनों और प्रोजेक्ट कार्यों में सक्रिय रहने से उनकी अकादमिक पकड़ मजबूत होती गई। इसी दौरान उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि उनका लक्ष्य सिविल सेवा है और वे पुलिस सेवा के माध्यम से समाज और प्रशासन दोनों में प्रभावी योगदान देना चाहती हैं।

▪️अनुशासित तैयारी और लक्ष्य के प्रति समर्पण
▫️ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष से ही उर्मी ने UPSC की तैयारी को व्यवस्थित रूप से शुरू कर दिया। उनकी दिनचर्या में प्रत्येक विषय के लिए निश्चित समय निर्धारित था। वे समाचार पत्रों का अध्ययन सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं बल्कि विश्लेषण की दृष्टि से करती थीं। महत्वपूर्ण बिंदुओं के नोट्स तैयार करती थीं ताकि अंतिम चरण में पुनरावृत्ति सहज हो सके। उन्होंने नियमित मॉक टेस्ट दिए जिनसे परीक्षा के पैटर्न, समय प्रबंधन और उत्तर लेखन कौशल में निरंतर सुधार हुआ। पॉलिटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशन को वैकल्पिक विषय चुना, जिसने उनकी अकादमिक पृष्ठभूमि को और मजबूत किया।
तैयारी के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाई और अपने आसपास के किसी भी व्यर्थ व्यवधान को पूरी तरह सीमित किया। कई बार दबाव बढ़ा, कई बार कुछ विषय कमजोर लगे, पर हर बार उन्होंने खुद को लक्ष्य की याद दिलाते हुए आगे बढ़ने का निर्णय किया।

▪️पहले प्रयास में असाधारण उपलब्धि
▫️UPSC परिणाम घोषित होने के साथ ही उर्मी सिन्हा का नाम चर्चा में आ गया। पहले ही प्रयास में AIR 170 प्राप्त करना और सीधे IPS के लिए चयनित हो जाना एक दुर्लभ उपलब्धि मानी जाती है। परिवार, गांव और पूरे जिले में खुशी का माहौल था।
प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद उर्मी को कर्नाटक कैडर प्रदान किया गया, जहां उन्होंने सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में अपनी पहली नियुक्ति संभाली। नई जिम्मेदारियों, नए राज्य और नए माहौल में भी उनकी प्रतिबद्धता, संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा उन्हें एक प्रभावी अधिकारी के रूप में स्थापित कर रही है।
▪️युवाओं के लिए प्रेरक उदाहरण
▫️उर्मी सिन्हा की यात्रा यह संदेश देती है कि UPSC की परीक्षा कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं। यदि लक्ष्य स्पष्ट हो, दिशा सही हो और मेहनत निरंतर हो तो किसी भी युवा के लिए सफलता सिर्फ समय का प्रश्न रह जाती है। मुंगेर की इस युवा अधिकारी ने यह साबित किया है कि सीमित साधन कभी बाधा नहीं बनते, यदि इच्छाशक्ति अडिग हो। उनके अनुशासित अध्ययन, सतत प्रयास और सकारात्मक दृष्टिकोण से हर वह युवा सीख सकता है जो UPSC की चुनौती से भयभीत होकर कदम पीछे कर लेता है।
▪️उर्मी की कहानी बताती है कि सपने कितने भी बड़े हों, ईमानदार प्रयास और धैर्य के साथ तय किया गया हर कदम मंजिल को करीब लाता है। आज वे भारत के अनगिनत युवाओं के लिए न सिर्फ प्रेरणा हैं, बल्कि यह प्रमाण भी कि सफलता हमेशा दृढता का साथ देती है।





