जिंदगी में कभी-कभी कुछ ऐसा अजूबा होता है, कि सहज विश्वास नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता है? जीवन में मेहनत सब करते हैं, पर मुकाम सबको नहीं मिलता। लेकिन, यदि कोई ऐसी छलांग लगाए कि जमीन से शिखर पर पहुंच जाए, तो आश्चर्य होता है। IPS एन अंबिका (N Ambika) की सफलता का किस्सा कुछ ऐसा ही है, जो उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर खुद बनाया है। एन अंबिका के IPS बनने की कहानी रोचक, रोमांचक होने के साथ बहुत परिश्रम से भरी हुई है। साथ ही उनका यह सफ़र भी मुश्किलों से भरा रहा। पर, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और मुकाम पाने के लिए मेहनत करती रहीं। वास्तव में तो यह कोई फ़िल्मी कथानक लगता है, जिसका अंत खुशियों से भरा होता है, पर ये फ़िल्मी नहीं सच्ची कहानी है।
आईपीएस एन अंबिका (IPS N Ambika) तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी थी। परिवार ने अंबिका का विवाह भी 14 साल की उम्र में कर दिया। उनकी शादी एक पुलिस कांस्टेबल से कर दी गई थी। कुछ साल बाद जब वे 18 साल की थीं, तब दो बच्चों की माँ बन गईं। उनकी जिंदगी सामान्य रूप से गुजर भी रही थी। लेकिन, तभी एक ऐसी घटना घटी, जिसने अंबिका को IPS बनने के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। न सिर्फ सोचने बल्कि उसे अपनी कोशिशों से सफल भी बनाया। अंबिका के लिए पहाड़ सा लगने वाला सपना पूरा करना किसी भी स्थिति में संभव नहीं था। जो महिला 10वीं भी पास नहीं थी, उसने IPS बनने का न केवल सपना देखा, बल्कि उसे पूरा भी किया।
एन अंबिका की माने तो एक बार वे अपने पति के साथ गणतंत्र दिवस की परेड देखने गई थी। यहाँ उन्होंने देखा कि उनके पति कई बड़े पुलिस अधिकारियों को सैल्यूट मार रहे थे। पति को सैल्यूट मारते देखकर अंबिका ने उनसे पूछा था कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रहे हैं! …और वे लोग कौन हैं! उनके पति ने उनसे कहा कि वे बड़े पुलिस अधिकारी हैं। ये सभी आईपीएस हैं और इस स्तर का अधिकारी बनने के लिए सिविल सर्विस परीक्षा पास करना पड़ता है। अंबिका ने उस वक्त सिविल सर्विस परीक्षा देने की बात अपने पति से कही भी थी। लेकिन, एक स्कूल ड्रॉपर रही छात्रा और दो बच्चों की मां के लिए यह विचार भी फिजूल बात ही कही जाएगी। पर, अंबिका ने इस बात को अपने दिलो-दिमाग में रख लिया।
अंबिका ने पति से IPS बनने के बारे में जानकारी लेना शुरू किया। इसकी परीक्षा से लेकर इसके साथ मिलने वाली सम्मानों के बारे में भी जानकारी ली। पति से सारी जानकारी लेने के बाद अंबिका ने यूपीएससी की परीक्षा देने का मन बनाया। उनके लिए ये सब आसान नहीं था। क्योंकि, उनकी पढाई छूटे सालों बीत गए थे। पढाई भी अधूरी ही रही थी। इसलिए उन्होंने फिर अपनी पढ़ाई शुरू की। सबसे पहले अंबिका ने एक कोचिंग की मदद से 10वीं पास किया। इसके बाद 12वीं और फिर डिस्टेंस लर्निंग से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था। इसलिए कि IPS बनने का लक्ष्य सामने था। शायद यह पहला उदाहरण होगा, जब किसी प्रतियोगी ने IPS बनने के लिए छूटी पढाई पूरी की हो! लेकिन, जो भी था वो बेहद रोमांचक था।
UPSC की अहर्ता के लिए जरुरी पढ़ाई पूरी करने के बाद अंबिका ने यूपीएससी (UPSC) की तैयारी शुरू की। लेकिन, यहाँ उनके सामने पढ़ाई के लिए कोचिंग न मिल पाना बड़ी समस्या थी! अंबिका तमिलनाडु के जिस डिंडीगुल नाम के एक छोटे कस्बे में निवास करती थीं, वहां आस पास कोई कोचिंग का इंतजाम नहीं था, जहां UPSC की तैयारी की जा सके। एक ही रास्ता था कि चेन्नई जाकर तैयारी की जाए। लेकिन, ये आसान नहीं था, पर लगन और जुनून ने उन्हें इसके लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद अंबिका ने चेन्नई आकर तैयारी शुरू कर दी। पारिवारिक और आर्थिक रूप से ये सब आसान नहीं था! लेकिन, पति के सहयोग ने इसे आसान जरूर बना दिया था। चेन्नई में अंबिका कोचिंग लेने लगी और पति ने बच्चों की देखभाल के साथ नौकरी भी की।
यूपीएससी के लिए जी-जान लगाने के बावजूद भी शुरुआत कोशिश में सफल नहीं हो सकीं। पर, वे निराश नहीं हुई और पति ने भी साथ बनाए रखा। जब लगातार तीन कोशिशों के बाद भी अंबिका को सफलता नहीं मिली, तो पति ने उन्हें वापस घर आने के लिए कहा। इसलिए कि उम्मीद की भी एक सीमा होती है, जो पार हो चुकी थी।
इसके बाद भी अंबिका ने हिम्मत नहीं छोड़ी और पति से आखिरी बार UPSC देने के लिए कहा। पति भी इसके लिए मान गए। अंबिका ने सारी हिम्मत जुटाकर चौथा प्रयास किया और यह सफल हुआ। 2008 में अंबिका ने UPSC परीक्षा क्लियर की और उन्हें ऑल इंडिया में 112वीं रैंक हासिल हुई। उन्हें महाराष्ट्र कैडर में पहली पोस्टिंग मिली। अभी वे मुंबई में जोन-4 की डीसीपी हैं।
आज एन. अंबिका को महाराष्ट्र की तेज तर्रार अफसरों में गिना जाता है। अपनी धाकड़ कार्यप्रणाली से वे जल्द लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई। मुंबई पुलिस में उनका नाम और रूतबा इस कदर बढ़ा कि लोग उन्हें लेडी सिंघम के तौर पर जानने व पुकारने लगे।