Kissa-A-IRS:20 रूपए रोज की मजदूरी करने वाले रामभजन ने UPSC क्रैक की,बने IRS, अब IAS की तैयारी!
राजस्थान के दौसा जिले के छोटे से गांव बापी के रहने वाले रामभजन कुम्हार उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें आठ बार में सफलता हाथ लगी है। रामभजन दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हैं और उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 667वी रैंक हिंदी माध्यम से हासिल की। आर्थिक रूप से कमजोर रामभजन ने पहले मजदूरी करके अपने आपको संभाला, फिर परिवार को सहारा दिया। उसके बाद पुलिस की नौकरी पाई और अब सिविल सेवा परीक्षा में कामयाबी मिली। रामभजन बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके माता-पिता मजदूर वर्ग से है। 2020 में उनके पिता की अस्थमा अटैक से मौत हो गई।
एक सितंबर 1988 को कन्हैया लाल कुम्हार और धापा देवी के घर जन्मे राम भजन कुमार ने गांव में चूना पत्थर तोड़ने से लेकर दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल बनने और फिर यूपीएससी परीक्षा क्रैक करने तक का सफर तय किया है। उनकी शुरूआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से हुई। पढ़ाई के दौरान भी रामभजन का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। ऐसे में रामभजन स्थानीय बापी औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी करने भी जाता थे। इससे उसकी पढ़ाई के पैसे मिलते थे।
2003 तक वे चूना पत्थर तोड़ने का काम करते रहे। उन्हें 25 टोकरी चूना पत्थर तोड़ने पर 10 रुपए मिलते थे। उनके पिताजी पहले शहर से आइसक्रीम लेकर खरीदकर गांव में बेचते थे, लेकिन इससे गुजारा नहीं हो पा रहा था तो बापी इंडस्ट्रियल एरिया में चूना पत्थर तोड़ने लगे। उस वक्त रामभजन की उम्र पांच-छह साल रही होगी। 1998 में राम भजन कुमार के पिता को अस्थमा हो गया और कुछ समय बाद उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। इसके चलते उन्हें पत्थर तोड़ने का काम छोड़ना पड़ा। फिर राम भजन अपनी मां के साथ यही काम करने लगे।
12वीं पास करने के बाद जब रामभजन दौसा के सरकारी कॉलेज में ग्रेजुएशन की सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहे थे, तभी 2009 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई। इसके बाद वे साल 2022 में हेड कांस्टेबल बने। रामभजन ने पुलिस की नौकरी के दौरान 2015 से अपने सीनियर ऑफिसर्स से प्रेरित होकर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। दिल्ली में गाइडेंस के लिए उन्होंने कोचिंग भी ली। इसके बाद उन्होंने अपनी तैयारी सेल्फ स्टडी के रूप में जारी रखी।
पहली बार 2018 में प्री-पास करके मेंस में शामिल हुए, पर इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और परिश्रम के साथ तैयारी करते रहे। पुलिस की नौकरी में पढ़ाई के लिए समय निकालना आसान नहीं था। इस नौकरी को समय के मामले में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जाता है। जवानों को कई घंटे तक बिना छुट्टी के ड्यूटी करना पड़ती है। रामभजन भी उनमें से एक रहे। वे पुलिस की कठिन नौकरी के साथ पढ़ाई के लिए भी समय निकालते। जब भी खाली समय मिलता, पढ़ने बैठ जाते थे। हर दिन नौकरी के साथ 7 से 8 घंटे अनुशासन के साथ पढ़ाई करते। उन्होंने घंटों से ज्यादा पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान दिया।
राम भजन का कहना सही भी था कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं था, मेरे पास सामने अवसर ही अवसर थे। इसी बात ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनके परिवार ने बहुत साथ दिया। हर बार असफल होने पर बुरा लगता था, लेकिन उन्होंने निराश होने में समय बर्बाद नहीं किया। असफलता के बाद अपनी गलतियों में सुधार किया और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान दिया। यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए रामभजन ने सब कुछ त्याग दिया। परिवार से दूर रहकर पढ़ाई की। पुलिस की नौकरी में निकाला। वे किसी भी बात से विचलित होने के बजाए पूरा ध्यान पढ़ाई पर देते थे। छुट्टी वाले दिन भी कहीं बाहर नहीं जाते थे और अपने समय का सदुपयोग करते हुए पढ़ाई करते। लगातार 8 प्रयासों का नतीजा ये रहा कि सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 667वी रैंक के साथ सफलता मिली। अब रामभजन सीधे ग्रेड- ए अधिकारी बनेंगे। यूपीएससी रैंक के अनुसार उन्हें इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस की पोस्ट मिली है। हालांकि, रैंक सुधार के लिए वह इस साल दोबारा परीक्षा में शामिल होंगे।
सिविल सेवा परीक्षा पास करने पर रामभजन की मां बहुत खुश हुई। उनकी मां का कहना था कि मेरे बेटे ने बहुत दुख झेला है। मजदूरी करके अपने परिवार का पालन किया और अब भगवान ने उसे उसकी मेहनत का फल दिया। रामभजन की पत्नी अंजली का संघर्ष भी कुछ कम नहीं है। शादी होने के बाद अंजली ने ही राम भजन के परिवार को संभाला।