
किस्सा ए खास: 35 साल पहले विधानसभा के सदन में गूंजी थी पत्रकारों को नाग पंचमी पर पिलाये गए दूध की चर्चा
*प्रलय श्रीवास्तव*
आज से ठीक 35 साल पहले वर्ष 1990 की बात है। तब मध्य प्रदेश में पटवा सरकार सत्तारूढ़ थी । भाजपा का बहुमत था । अगस्त में वर्षाकालीन सत्र चल रहा था और इस दौरान बीच में एक दिन का अवकाश था, क्योंकि नाग पंचमी का त्यौहार था। तब भाजपा की एक मुखर तत्कालीन विधायक श्रीमती नेहा सिंह ने नागपंचमी के अवकाश और त्यौंहार का लाभ लेते हुए कुछ अपने पत्रकार मित्रों को विधायक विश्राम गृह स्थित अपने फ्लैट पर स्वल्पाहार पर आमंत्रित किया था। करीब दो दर्जन पत्रकार पहुंचे थे ,उनके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए। पत्रकार मित्रों को तब आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उनके सामने दूध से भरी कटोरियां रख दी गई । हंसी- मजाक का दौर था… सबने जोरदार ठहाके लगाए । बाद में विधायक महोदया ने गरम-गरम समोसे, जलेबी, पकोड़े आदि का नाश्ता कराया । सब कुछ हंसी मजाक में हुआ लेकिन इसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेजी से फैल गई थी । दूसरे दिन सदन की बैठक थी। उस दौरान अविभाज्य मध्य प्रदेश था । इसलिए विपक्ष(कांग्रेस) के विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा ने यह मामला शून्यकाल में हंसी मजाक में उठाया कि सत्तारूढ़ दल की एक माननीया विधायक ने नाग पंचमी पर मीडिया जगत के कुछ साथियों को बुलाकर त्यौहार मनाया और उन्हें कटोरी में रखकर दूध दिया गया । सदन में जोरदार ठहाके लगे। हो सकता है कि यह कार्रवाई मध्य प्रदेश विधानसभा के रिकॉर्ड में दर्ज हो, लेकिन उस दिन विधानसभा में इस प्रसंग पर अच्छी खासी चर्चा हुई और सबने उसे चर्चा में भाग लिया।
तब तत्कालीन स्पीकर प्रोफेसर बृजमोहन मिश्रा थे, जो अपनी त्वरित टिप्पणी के लिए मशहूर हुआ करते थे। उन्होंने भी चुटकिले अंदाज में अपनी टिप्पणी व्यक्त की थी।
विधानसभा का यह वह दौर हुआ करता था, जब सदन में हास परिहास अक्सर हुआ करते थे और आपसी संवाद भी हुआ करता था । शेरो- शायरी, कविताओ की बारिश हुआ करती थी । 1990- 92 की यह ऐसी एकमात्र विधानसभा थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा के अलावा तीन भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी निर्वाचित होकर विधानसभा के सदस्य के रूप में सदन में पहुंचे थे। जिनमें सर्व श्री अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, पंडित श्यामा चरण शुक्ल थे। नागपंचमी पर पत्रकारों को स्वल्पाहार पर आमंत्रित करने वाली उक्त विधायक बाद में 1993 चुनाव हार गई थी और बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन पकड़ लिया था।
प्रलय श्रीवास्तव
लेखक एवं पूर्व संयुक्त संचालक जनसंपर्क विभाग





