ज्ञान-महाकुंभ:शिक्षा, संस्कृति एवं भारत बोध के समागम की पहल
– प्रो नीलिमा गुप्ता
भारतीय सांस्कृतिक विरासत में मेले का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। लाखों-करोड़ों की आस्था का प्रतीक कुंभ, मेले के रूप में प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, और उज्जैन में आयोजित कर उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि यहां स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। एक तरह से यह आत्मशुद्धि का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। यह मेला हिंदू धर्म की एकता और भारतीय सांस्कृतिक विकास का प्रतीक माना जाता है।
कुंभ मेले का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना है। भारतीय ऋषि-मुनि नदियों के किनारे एकत्रित होकर धार्मिक अनुष्ठान किया करते थे। भारतीय संस्कृति और सभ्यता में गंगा नदी के प्रति आस्था अक्षुण्ण है। यहाँ होने वाले अनुष्ठान का सांस्कृतिक महत्व है। इस वर्ष प्रयागराज संगम पर आयोजित होने वाला महाकुंभ 12 वर्ष के पश्चात हो रहा है। महत्वपूर्ण बात यह कि यह पूर्ण महाकुम्भ है, जो 144 साल बाद आयोजित हो रहा है। इसका अर्थ यह हुआ कि व्यक्ति को अपने जीवन में केवल एक बार ही पूर्ण महाकुम्भ में शामिल होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। प्रयागराज महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। प्रयागराज, गंगा, यमुना तथा सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है इसलिए इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। आम भाषा में यह ‘संगम स्नान’ के नाम से संबोधित किया जाता है।
इस अवसर पर ‘ज्ञान महाकुंभ’ के माध्यम से भारतीय परंपरा को शिक्षा जगत में समाहित करने का एक अनूठा प्रयास प्रख्यात शैक्षिक संगठन ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ द्वारा किया जा रहा है। इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को आधार बनाकर भारतीय शिक्षा की पुनर्स्थापना हेतु ‘ज्ञान महाकुंभ’ का आयोजन 10 जनवरी से 10 फरवरी तक किया जा रहा है। इस महाकुंभ की संकल्पना है कि भारत केन्द्रित शिक्षा का एक अभियान चलाकर, सामूहिक रूप से भारत केन्द्रित शिक्षा की पुनर्स्थापना करने में सफल हों।
इस आयोजन में ‘हरित महाकुंभ’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन, ‘एक राष्ट्र का नामः भारत’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी और ‘भारतीय शिक्षाः राष्ट्रीय संकल्पना’ पर विस्तृत राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं। इसमें देश भर के कुलपति, निदेशक, शिक्षाविद, आचार्य, शासन-प्रशासन एवं निजी शैक्षिक संस्थानों से जुडे़ महानुभाव, शिक्षा जगत में उल्लेखनीय कार्य कर रहे संत-महात्मा, शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे उद्योग जगत के सेवाभावी महानुभाव सम्मिलित होंगे।
ये सभी भारतीय शिक्षा की नींव को सशक्त करते हुए और एक नया रुप देकर भारतीय शिक्षा का पुर्ननिर्माण करने हेतु दिशा देने का प्रयास करेंगें। इस आयोजन में दिनों दिन बढ़ती निजी शिक्षा संस्थानों की भारतीय शिक्षा में भूमिका, छात्र, महिला तथा आचार्य सम्मेलन, शासन-प्रशासन की शिक्षा में भूमिका, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय भाषा तथा शिक्षा से आत्मनिर्भरता जैसे ज्वलंत विषयों पर गहन चर्चा होगी। ज्ञान महाकुंभ एक अद्वितीय आयोजन है जो ज्ञान, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर केंद्रित है।
ज्ञान महाकुंभ का उद्देश्य ज्ञान का आदान-प्रदान, शिक्षा और सांस्कृतिक विकास, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के बीच संवाद तथा युवाओं को प्रेरित करके उन्हें ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ाना है। इस महाकुंभ में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी, जिनमें व्याख्यान और सेमिनार, पैनल चर्चाएँ, कार्यशालाएँ, प्रदर्शनी और प्रदर्शन, तथा संस्कृति से जुडे़ कार्यक्रम शामिल हैं। शिक्षा के भारतीयकरण, भारतीय ज्ञान परंपरा, विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना, मूल्य शिक्षा, भाषा जैसे महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार-विमर्श इस आयोजन के केंद्र में होंगे।
यह महत्वपूर्ण आयोजन न केवल ज्ञान, शिक्षा और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देगा बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और विद्वानों के ज्ञान और अनुभवों का साझा मंच बनेगा। इस अनूठे आयोजन में सहभागी होकर हम भारतीय नागरिक, भारतीय संस्कृति तथा भारतीय शिक्षा से परिपूर्ण होकर एक नए भारत का निर्माण करने में अवश्य सफल होंगे। इस अवसर का हम अवश्य लाभ उठाएँ और भारतीय संस्कृति तथा भारतीय शिक्षा को जोड़ने हेतु ज्यादा संख्या में भाग लें।