Kodinhi, Kerala: जुड़वाँ बच्चों का अद्भुत और चमत्कारी गाँव: यह वह अनोखा गाँव है जहाँ लगभग हर घर में जुड़वाँ बच्चे जन्म लेते हैं

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Kodinhi, Kerala:जुड़वाँ बच्चों का अद्भुत और चमत्कारी गाँव: यह वह अनोखा गाँव है जहाँ लगभग हर घर में जुड़वाँ बच्चे जन्म लेते हैं

डिजायगोटिक जुड़वाँ  और मोनोजायगोटिक जुड़वाँ

डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास 
जुड़वाँ बच्चों का अद्भुत और चमत्कारी गाँव: कोडिन्ही केरल के मलप्पुरम जिले में बसा हुआ कोडिन्ही गाँव विश्वभर में अपनी अद्वितीयता के लिए जाना जाता है। यह वह अनोखा गाँव है जहाँ लगभग हर घर में जुड़वाँ बच्चे जन्म लेते हैं। विश्व के कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शोधकर्ता यहाँ के रहस्य का अध्ययन करने आते हैं। इस गाँव की यह विशेषता इसे “जुड़वाँ

गांव” या “ट्विन टाउन” के नाम से विश्व प्रसिद्ध कर देती है।कोडिन्ही की आबादी लगभग 2,000 परिवारों की है, परन्तु इसमें जुड़वाँ बच्चों की संख्या सामान्य स्तर से कई गुना अधिक है। जहाँ सामान्यतः विश्व में 1000 में 4 से 9 जुड़वाँ बच्चे जन्म लेते हैं, वहीँ कोडिन्ही में यह संख्या 45 तक पहुँच जाती है। यह गाँव जुड़वाँ बच्चों की उत्पत्ति के क्षेत्र में एक प्राकृतिक प्रयोगशाला की तरह है जहाँ वास्तविकता और चमत्कार साथ साथ चलते हैं।

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जुड़वाँ बच्चों के प्रकार:

डिजायगोटिक एवं मोनोजायगोटिक.

डिजायगोटिक जुड़वाँ (द्विपुटी जुड़वाँ) — भ्रातृ जुड़वाँ :यह जुड़वाँ दो अलग-अलग अंडांडों (ओवा) के दो अलग-अलग शुक्राणुओं द्वारा निषेचित होने से उत्पन्न होते हैं।प्रत्येक बच्चा अपने अद्वितीय जीन सेट के साथ अलग होता है, जैसे कि सामान्य भाई-बहन होते हैं।दिखने में ये जुड़वाँ बच्चे समान भी हो सकते हैं और भिन्न भी। इनका जन्म सामान्यतः दो अलग प्लेसेंटा और अम्निओटिक सैक (गर्भाशय की झिल्लियाँ) होते हुए होता है, यानी प्रत्येक बच्चे का पोषण व विकास स्वतंत्र प्लेसेंटा से होता है।इन्हें भ्रातृ या फ्रैटरनल जुड़वाँ भी कहा जाता है।

मोनोजायगोटिक जुड़वाँ (एकपुटी जुड़वाँ)

समान जुड़वाँ यह जुड़वाँ एक ही अंडे से उत्पन्न होते हैं, जो निषेचन के बाद विभाजित होकर दो Embryo का विकास करता है।इसलिए ये जुड़वाँ बच्चे जीन की दृष्टि से पूरी तरह समान होते हैं, अर्थात् डीएनए लगभग पूरी तरह मेल खाता है। बनावट, लिंग, एवं आनुवंशिक गुण गहन रूप से समान होते हैं।

मोनोजायगोटिक जुड़वाँ के प्लेसेंटा संरचना भिन्न हो सकती है — कभी-कभी दोनों बच्चें साझा प्लेसेंटा साझा करते हैं तो कभी अलग-अलग। इन्हें आइडेंटिकल जुड़वाँ भी कहा जाता है।

कोडिन्ही के जुड़वाँ बच्चों का वैज्ञानिक रहस्य

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कोडिन्ही में जुड़वाँ बच्चों का जन्म दर अन्य किसी भी स्थान की तुलना में अत्यंत अधिक है, और यह तीन पीढ़ियों से जारी है।वैज्ञानिकों द्वारा इस घटना का कारण जानने के लिए डीएनए, पर्यावरणीय परीक्षण, खाद्य-पानी के विश्लेषण तथा सामाजिक भौतिक कारणों का गहन अध्ययन किया गया।अभी तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण या कारण सामने नहीं आ पाया है, कि क्यों इस गांव में इस प्रकार का असामान्य जुड़वाँ जन्म होता है।कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह एक अनुवांशिक विशेषता हो सकती है, जो यहां की माताओं के गर्भाधान में विशेष प्रकार से हस्तक्षेप करती है।कोडिन्ही का यह रहस्य विश्व के लिए एक जीवंत पहेली है, जो अनुवांशिकी तथा विकासशास्त्र के क्षेत्र में अध्ययन का केंद्र बना हुआ है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

गाँव के निवासियों के लिए जुड़वाँ बच्चों का जन्म सौभाग्य और ईश्वरीय आशीर्वाद माना जाता है।जुड़वाँ बच्चों के परिवारों को तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक सहायता के लिए “ट्विन्स एंड किन एसोसिएशन” नामक संस्था भी स्थापित की गई है।कोडिन्ही अब एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध हो रहा है, जहाँ लोग इस अनोखे प्राकृतिक चमत्कार को देखने आते हैं।

कोडिन्ही के जुड़वाँ बच्चों का यह पर्वतारोही रहस्य

विकासशास्त्र एवं आनुवंशिकी में एक महत्वपूर्ण विषय है। डिजायगोटिक तथा मोनोजायगोटिक जुड़वाँ अपने आप में मानव जीवविज्ञान की दो अपूर्व अभिव्यक्तियाँ हैं, और कोडिन्ही उनका अनुपम नमूना है, जहाँ प्रकृति की जटिलताओं और मानव विज्ञान के संसाधनों के मध्य एक अद्भुत संगम देखा जाता है।

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