
Krishna Kumar Janu Expelled: भाजपा प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित – सत्यपाल मलिक और धनखड़ का समर्थन करने पर मिली सजा
नई दिल्ली: भाजपा ने राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। कारण आधिकारिक बयान में अनुशासनहीनता और पिछले कुछ वक्त में की गई टिप्पणियों को बताया गया है।
जानू ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की विदाई पार्टी और सरकार के रवैया पर सार्वजनिक आलोचना की थी। सोशल‑मीडिया पर वायरल हुई टिप्पणियों ने संगठन में बहस छेड़ दी। इसके बाद पार्टी ने अनुशासन कायम रखने के नाम पर कड़ा पक्ष अपनाया।
राजस्थान भाजपा के प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। पार्टी ने यह कार्रवाई जानू के उन सार्वजनिक बयानों और सोशल‑मीडिया पोस्टों के आधार पर की, जिनमें उन्होंने पूर्व राज्यपाल के अंतिम संस्कार और उसके बाद दिखाई गई कथित अनदेखी- यानी ‘तिरस्कार’ पर तीखी टिप्पणी की। इसके अलावा जानू ने हालिया घटनाक्रम पर पार्टी नेतृत्व और सरकार की नीति की आलोचना करते हुए जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर भी टिप्पणी की थी। पार्टी ने इन बयानों को अनुशासनहीनता, संगठन के संदेश के विपरीत और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया।
*घटना‑क्रम:* जवाबदेही प्रक्रिया के तहत जानू को शोकाज़ नोटिस जारी किया गया और उनका जवाब संतोषजनक न मानते हुए राज्य अनुशासन समिति ने निष्कासन का आदेश दिया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जानू के वीडियो और सार्वजनिक पोस्ट ने स्थानीय संगठन के स्तर पर असंतोष फैलाया और सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की नीतियों के खिलाफ भ्रम पैदा किया। जानू के शब्दों में इस्तेमाल हुए “तिरस्कार” जैसे भावनात्मक और संवेदनशील आरोपों ने मामला और बढ़ा दिया।
*प्रतिक्रिया और राजनीतिक असर:* भाजपा सरकार और संगठन के समर्थक इस कदम को अनुशासन बनाए रखने और संगठनात्मक एकरूपता की रक्षा के रूप में देख रहे हैं। दूसरी ओर आलोचक इसे मतभेद दबाने और भीतर की आलोचनात्मक आवाजों को खामोश करने का संकेत मान रहे हैं। जानू के समर्थक और कुछ सामाजिक‑राजनीतिक नेटवर्क उनकी बातों को व्यक्ति की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के दायरे में रखकर देख रहे हैं।
*निहित संकेत और आगे का परिदृश्य:* यह कार्रवाई दर्शाती है कि पार्टी नेतृत्व सार्वजनिक मंचों पर किसी भी तरह की खुली आलोचना को सहन नहीं करना चाहता और अनुशासनहीनता पर सख्त कदम उठाने को तैयार है। जानू के निष्कासन से पार्टी के भीतर वैचारिक मतभेदों और संवाद के स्वर दबने का खतरा भी उभरता है। आगे अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जानू विरोध या समर्थन में क्या कदम उठाते हैं और इससे पार्टी‑राजनीति पर क्या असर पड़ सकता है!




