राजौरा के राजतिलक की तैयारी में कुमार, कंसोटिया बाहर…बस सुलेमान बाकी…
मध्यप्रदेश में नए मुख्य सचिव की ताजपोशी को लेकर पूर्ववर्ती तैयारियां तेज हो गई हैं। एक्सटेंशन पर चल रही वर्तमान मुख्य सचिव 1988 बैच की अफसर वीरा राणा को टेंशन भले ही न दिया जाए, पर बाकी को तो तनाव मिलना तय था और 27 जून 2024 के देर रात निकली सूची ने यह काम पूरा कर दिया है। वीरा राणा को टेंशन न देने में परोक्ष तौर पर यह हित अवश्य सधेगा कि 1988 बैच के ही वरिष्ठतम आईएएस अफसर संजय बंदोपाध्याय भी अगस्त 2024 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद 1989 बैच के आईएएस अफसरों की गिनती शुरू होती है। इसमें छह अफसर हैं, एक राजीव रंजन रिटायर हो चुके हैं और पांच शेष हैं। इनमें सबसे पहला नाम है अनुराग जैन का, जिन्हें अगस्त 2025 तक सेवा में रहना है। वह डेप्युटेशन पर हैं और वहीं रहकर सेवाकाल पूरा कर लेंगे। एक और अफसर आशीष उपाध्याय भी डेप्युटेशन पर रहकर सितंबर 2024 में रिटायर होकर विदाई ले लेंगे। वहीं मई 2025 में रिटायर होने वाले विनोद कुमार और अगस्त 2025 में रिटायर होने वाले जय नारायण कंसोटिया को फिलहाल मंत्रालय से बाहर का रास्ता दिखाकर यह संदेश दे दिया गया है कि नीतिगत मर्यादा का पूरा पालन करने की दिशा में कदम बढ़ गए हैं। इसके बाद बस एक ही नाम बाकी बचा है वह है मोहम्मद सुलेमान का। तो लंबे समय से सूबे की सेहत संभाल रहे सुलेमान की सेहत का ख्याल मध्यप्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव को रखना है, सो नीतिगत मर्यादा में जितना संभव होगा वह जल्दी ही सामने आना भी तय है। हो सकता है कि वह सेहत की बेहतरी के लिए डेप्युटेशन चुनकर सितंबर के बाद रिटायर होने में बचे दस माह प्रेम से गुजारना ज्यादा पसंद करने का विकल्प चुन लें या फिर विकल्प तो सूबे में भी कई बाकी हैं। तो यह सब पुख्ता संकेत हैं कि 1990 बैच के मध्यप्रदेश कैडर में पहले पायदान पर विराजे डॉ. राजेश राजौरा का राजतिलक अगले प्रशासनिक मुखिया के रूप में होना है और अब उसके मुताबिक मंत्रालय की जमावट आकार ले रही है।
बात अगर मध्यप्रदेश कैडर के 1990 बैच के आईएएस अफसरों की करें तो सात अफसरों की इस माला में राजौरा पहले नंबर पर हैं। वहीं प्रशासनिक मुखिया की दावेदारी में शामिल इस बैच के दूसरे नंबर के अफसर शिव नारायण मिश्रा को जनवरी 2025 में रिटायर होना है और यह अल्प अवधि भी उनकी राह में बाधा बनी है, यह माना जा सकता है। तीसरे नंबर पर अश्विनी राय मई 2024 में रिटायर हो चुके हैं, तो चौथे नंबर पर मलय श्रीवास्तव इसी साल नवंबर में रिटायर हो जाएंगे। पांचवे नंबर पर अजीत केसरी फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त होंगे तो छठवें क्रम पर पंकज राग अक्टूबर 2024 में रिटायर होंगे। इस बैच में आखिरी पायदान पर अलका उपाध्याय का नाम आता है, जो इस बैच में डॉ. राजेश राजौरा से एक साल पहले मई 2026 तक सेवा में रहेंगीं। खैर 1990 बैच के आईएएस अफसर इस बात की ही खुशी मना सकते हैं कि उनका बैचमेट मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव की कुर्सी पर लंबे समय तक रहेगा। कम से कम अधिकारपूर्वक कोई भी मुद्दा उससे साझा किया जा सकेगा और बात मानने पर पूरा जोर भी डाल सकेंगे। पर अभिशप्त अगर माना जाएगा तो मध्यप्रदेश के आईएएस कैडर का 1989 बैच, जिसमें काबिल अफसर भी मुख्य सचिव की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाए। अनुराग जैन और मोहम्मद सुलेमान की बात करें या फिर विनोद कुमार और जय नारायण कंसोटिया की। चाहे समय बाधा रहा हो या फिर काल और परिस्थितियां, पर अपने राज्य के इस सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर पहुंचने की ख्वाहिश तो सबके मन में पूरे सेवाकाल में पलती और बढ़ती ही है कि सेवा करने का सर्वोच्च अवसर हासिल हो। आखिर सेवा में ही तो जीवन की मेवा भी है, संतुष्टि भी है और सफलता भी छिपी है।
हालांकि यह तय है कि 1991 बैच को मुख्य सचिव की कुर्सी तक पहुंचने का सौभाग्य मिल सकता है, यदि हालातों ने 1989 बैच के अफसरों की तरह उनके साथ लुकाछिपी का खेल नहीं खेला तो। पर यदि 1991 बैच में पहले क्रम पर मनोज गोविल या 1992 में पहले क्रम पर पंकज अग्रवाल पर यह कुर्सी मेहरबान हुई, तब 1993 बैच तक के अफसरों को भी इस कुर्सी पर बैठने के ख्वाब से मुंह मोड़ना ही पड़ेगा। तब बात 1994 बैच के पाले में पहुंच जाएगी। बाकी सारी स्थितियां और परिस्थितियां, नियति के नियंत्रण में हैं…सो हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश सब विधि के हाथ में रही है, है और रहेगी। पर फिलहाल तो यही महसूस हो रहा है कि मोहन के मन में राजौरा हैं और राजौरा के राजतिलक की तैयारी में कुमार, कंसोटिया मंत्रालय से बाहर हो गए हैं…और डॉक्टर राजेश को प्रशासनिक मुखिया बनाने की सर्जरी में बस मोहम्मद सुलेमान ही मंत्रालय में बाकी हैं…।