रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट
Ratlam: पूज्य आचार्य श्री बंधु बेलड़ी जिन-हेमचन्द्रसागरसूरी जी म.सा. के शिष्यरत्न तपस्वी युवा मुनिराज श्री मनकचंद्रसागरजी म.सा. की वर्धमान तप की 65 वी ओली की पूर्णाहुति पर नीमवाला उपाश्रय में पोहावाला परिवार द्वारा तप अनुमोदना महोत्सव रखा गया।श्रद्धालुओं ने तप त्याग से जीवन बनता कुंदन..तपस्वी मुनिराज को कोटि कोटि वंदन..के जयघोष के साथ ताप की अनुमोदना की।
तप वैभव गुणानुवाद
कार्यक्रम में मालव मार्तंड आचार्य श्री मुक्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के सुशिष्य पूज्य श्री पावनसागरजी म.सा. एवं साध्वी श्री शुचिप्रज्ञाश्रीजी म.सा.आदि ठाणा की निश्रा एवं आशीर्वचन हुए।यहां चतुर्विध श्री संघ की उपस्थिति में मुनिराजश्री ने तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जी के तप वैभव का गुणानुवाद किया।
अनुपम आगम वाचना
उन्होंने कहा कि जिनशासन में भावपूर्वक तप, त्याग, गुण वैभव की अनुमोदना होती है। नैमित्तिक तप की श्रंखला से शुरू होकर आयम्बिल तप जो सदैव मंगलकारी होता है, उसकी ओली नित्य तप में सम्मिलित हो जाती है।मुनिराज श्री ने बताया कि पू.श्री आनंदसागरसूरीश्वर जी म.सा.द्वारा रतलाम सहित पूरे भारतवर्ष में आगम वाचना प्रदान की गई।उन्होंने आगम उद्धार एवं संरक्षण किया।
वहीं आचार्य देव श्री राजेंद्रसूरीश्वरजी म.सा. ने अभिधान राजेंद्र कोष का निर्माण कर आगम व्याकरण को सरल कर जन-जन तक पहुंचाने का श्रेष्ठतम कार्य किया।मालव भूषण तप सम्राट आचार्य देव श्री नवरत्नसागर सूरीश्वर जी म.सा. मालवा में सर्वप्रथम सपरिवार दीक्षित बने। मुनिराजश्री ने आचार्य देव श्री जिनहेमचन्द्रसागरसूरीश्वर जी म.सा.,आचार्य देव श्री चंद्ररत्नसागरसूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य श्री नयचंद्रसागर सूरीश्वर जी म.सा.आदि उपकारी गुरु भगवंत की तप आराधना का पावन स्मरण करते हुए उससे प्रेरणा लेने की बात कही।
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इस अवसर पर पोहावाला परिवार के श्रेणिक,प्रकाशचंद्र, विनय,शैलेश,संदीप चौहान पोहावाला परिवार की ओर से तप अनुमोदना गुरुदेव को कामली वहराई गई।
कार्यक्रम में कबीर साहब मंदिर ट्रस्ट सचिव हेमंत कोठारी, खरतरजैन श्रीसंघ सचिव जितेंद्र चोपड़ा सहित जैन श्रीसंघ के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
450 किमी का उग्र विहार
ज्ञात रहे मुनिराज श्री विगत 26 मई को रतलाम में आयोजित तीन दीक्षा महोत्सव के निमित्त 65 वी ओली की तपस्या में 45 डिग्री की भीषण गर्मी में नंगे पैर कोई 450 किमी का उग्र विहार कर मात्र 13 दिन में गुजरात के श्री शंखेश्वर महातीर्थ से रतलाम पधारे थे।
कार्यक्रम का संचालन प्रदीप डांगी ने किया।