बालिका सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हुई लाडली लक्ष्मी योजना

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बालिका सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हुई लाडली लक्ष्मी योजना

 

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को बालिका सशक्तिकरण के उद्देश्य से मनाया जाता है। सही मायने में बालिका दिवस को हम बालिकाओं को बेहतर शिक्षा, स्वावलंबी बनाकर, रूढ़िवादी सोच से मुक्त रखते हुए एक बेहतर जीवन देकर सार्थक कर सकते हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने बालिका सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की है, जिसमें से एक लाड़ली लक्ष्मी योजना जो बालिका सशक्तिकरण में मील का पत्थर सिद्ध हुई है। इन्दौर संभाग में 8 लाख 40 हजार 390 से अधिक लाड़ली लक्ष्मियाँ सशक्तता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। शासन की यह योजना बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ आगे बढ़ने, नेतृत्व और आत्मरक्षा के लिए प्रोत्साहित करने वाली सिद्ध हुई है। इस योजना से जुड़ने के बाद से बालिकाओं की शिक्षा के स्तर पर तेजी से वृद्धि हुई तथा समाज में बालिका शिक्षा के प्रति सोच में बदलाव आया है। आज इस योजना के लाभ से जुड़ी बालिकाएं आत्मनिर्भर भारत की सुदृढ़ सहभागी बन कर उभर रही है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के विविध आयाम हैं। जिससे बालिकाओं में शिक्षा और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है। बाल विवाह को रोकने में भी यह योजना कारगर सिद्ध हुई है। परिवार में दो संतान होने की अपरिहार्यता ने छोटे परिवार को प्रोत्साहित किया है। समग्र रूप से देखें तो छोटा परिवार, बालिकाओं की शिक्षा और बाल विवाह पर रोक इस योजना के ऐसे पहलू हैं, जो उन्हें मिलने वाली आर्थिक सहायता से सुनिश्चित होते हैं।

*संभाग में 8 लाख 40 हजार से अधिक लाड़ली बालिकाएं है पंजीबद्ध*

इन्दौर संभाग में योजना प्रारंभ से लेकर अब तक 8 लाख 40 हजार 390 से अधिक लाड़ली लक्ष्मी पंजीबद्ध हुई है। इसमें इन्दौर जिले में 2 लाख 8 हजार 120, धार जिले में 1 लाख 57 हजार 987, अलीराजपुर में 49 हजार 525, बड़वानी जिले में 82 हजार 142, खंडवा जिले में 94 हजार 255, खरगोन जिले में 1 लाख 22 हजार 201, झाबुआ जिले में 73 हजार 792 एवं बुरहानपुर जिले में 52 हजार 369 बालिकाएं पंजीबद्ध है।

*लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत बालिका को मिलता है इस तरह से लाभ*

लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत पात्रता अनुसार पंजीकृत प्रत्येक बालिका को प्राथमिक से स्नातक स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने तक कुल 1 लाख 43 हजार रुपये का आर्थिक लाभ मिलता है। योजना अनुसार कक्षा 6वी में प्रवेश लेने पर 2 हजार रुपये, कक्षा 9वी में प्रवेश लेने पर 4 हजार रुपये, कक्षा 11वी में प्रवेश लेने पर 6 हजार रुपये, कक्षा 12वी में प्रवेश लेने पर 6 हजार रुपये, स्नातक अथवा व्यावसायिक पाठ्यक्रम (न्यूनतम अवधि 2 वर्ष) में प्रवेश लेने पर 25 हजार रुपये दो किश्तों में मिलते है तथा 21 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर एक लाख रुपये परंतु यह कि लाभ शासन द्वारा विहित आयु पूर्ण हो जाने के पश्चात विवाह करने और कक्षा बारहवीं की परीक्षा में सम्मिलित होने के अध्यधीन होने पर प्रदान किया जाता है।

*योजना के मुख्य उद्देश्य*

• बालिका भ्रूण हत्या को रोकना: इस योजना के माध्यम से बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करके बालिका भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को रोकने का प्रयास किया जाता है।

• बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करना: योजना के तहत बालिकाओं की प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

• बालिकाओं के विवाह की उम्र बढ़ाना: योजना के तहत बालिकाओं के विवाह की उम्र बढ़ाने पर जोर दिया जाता है।

• बालिकाओं के आर्थिक सशक्तिकरण: योजना के तहत बालिकाओं को विवाह के समय एकमुश्त राशि प्रदान की जाती है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

*योजना के लाभ*

• बालिकाओं का स्वास्थ्य: योजना के तहत बालिकाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

• शिक्षा में सुधार: योजना के तहत बालिकाओं की शिक्षा में सुधार आया है।

• लिंगानुपात में सुधार: योजना के कारण लिंगानुपात में सुधार हुआ है।

• समाज में महिलाओं का सशक्तिकरण इस योजना के माध्यम से समाज में महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है।

*योजना के लिए पात्रता*

• जन्म तिथि: योजना का लाभ उन बालिकाओं को मिलता है जिनका जन्म योजना के लागू होने की तारीख के बाद हुआ हो।

• निवास: लाभार्थी परिवार योजना लागू होने वाले राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए।

• आर्थिक स्थिति: परिवार की आर्थिक स्थिति योजना के निर्धारित मानदंडों के अनुसार होनी चाहिए।

*योजना के तहत मिलने वाली सहायता*

• जन्म के समय: बालिका के जन्म के समय एकमुश्त राशि प्रदान की जाती है।

• शिक्षा के लिए: बालिका की प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए विभिन्न चरणों पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

• विवाह के समय: बालिका के विवाह के समय एकमुश्त राशि प्रदान की जाती है।

*निष्कर्ष*

लाडली लक्ष्मी योजना भारत में बालिकाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना ने बालिकाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।

*योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप अपने राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग से संपर्क कर सकते हैं।*

*(लेखक आईएएस अधिकारी एवं वर्तमान में संभागायुक्त, इंदौर संभाग है)*