

Lag in Revenue Collection : राजस्व वसूली में परिवहन विभाग पिछड़ा, 2024-25 में लक्ष्य से ₹730 करोड़ की कम वसूली!
स्टाफ की कमी के कारण परिवहन विभाग राजस्व वसूली नहीं कर सका, अधिकांश पद खाली पड़े!
Bhopal : प्रदेश के सबसे कमाऊ विभागों में शामिल परिवहन विभाग अब राजस्व वसूली में लगातार पिछड़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2022-23 में टारगेट से अधिक राजस्व संग्रह करने वाला परिवहन विभाग इस बार लक्ष्य की पूर्ति में पिछड़ गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार ने परिवहन विभाग को 5,500 करोड़ रूपए के राजस्व वसूली का लक्ष्य दिया था। लेकिन, विभाग 4,770 करोड़ रूपए ही वसूल पाया। विभाग का कहना है कि स्टाफ की कमी के कारण लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है।
पिछले वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च में परिवहन विभाग ने अपना राजस्व का टारगेट पूरा करने के लिए चैक पोस्ट पर सख्ती बढ़ाई थी। साथ ही पुराने वाहनों से टैक्स वसूली के नोटिस दिए गए, ताकि राजस्व बढ़ सके। आरटीओ, उड़नदस्ता प्रभारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए। लेकिन, विभाग विभाग पूरा करने में ₹730 करोड़ रूपए से पिछड़ गया। संयुक्त परिवहन आयुक्त प्रशासन विनोद भार्गव का कहना है कि वित्तीय वर्ष में मिले 5,500 करोड़ 99 रुपए के राजस्व लक्ष्य की पूर्ति के पूरे प्रयास किए गए, लेकिन 4,770 करोड ही राजस्व वसूला जा सका। जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। विभाग में अधिकांश पद खाली पड़े हैं। इस कारण काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारी वसूली से ज्यादा वेतन ले गए
ये बात जगजाहिर है कि परिवहन विभाग का मैदानी अमला हर महीने करोड़ों रुपए की अवैध वसूली करता है, वहीं शासन हित में राजस्व वसूली के प्रति पूरी तरह उदासीन बना रहा। राजमार्गों पर शमन शुल्क के रूप में वसूली गई राशि का आंकड़ा बताता है, कि चेकपोस्टों पर नियम विरुद्ध संचालित वाहनों से जितना राजस्व वसूला गया, उससे कई गुना अधिक यहां अवैध वसूली हुई।
राजस्व वसूली में कभी रुचि नहीं ली
पिछले दिनों पकड़े गए परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके दोनों साथियों से पूछताछ के बाद लोकायुक्त पुलिस ने अब परिवहन विभाग के मैदानी अमले से भी अवैध वसूली के बारे में पूछताछ शुरू कर दी। इस पूछताछ में परिवहन विभाग की हर महीने की करोड़ों की वसूली की परतें एक-एक करके खुल रही हैं। विभाग के वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 45 जिलों में विभाग के मैदानी अमले ने शमन शुल्क के रूप में वसूली को लेकर कभी गंभीरता नहीं बरती। आंकड़ा बताता है कि अधिकारी कर्मचारियों ने राजस्व वसूली में कभी रुचि भी नहीं ली।