के बेटे आशीष मिश्रा (Aashish Mishra) ‘मोनू’ के खिलाफ FIR दर्ज हो गई, फिर भी वो पुलिस की पकड़ से दूर है! विपक्ष से लेकर किसान संगठन और स्थानीय लोग भी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों ने भी कहा ही के जब तक मोनू गिरफ्तार नहीं होता, उन लोगों को न्याय नहीं मिलेगा। कुछ चैनल्स का दावा है कि आशीष मिश्रा गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भाग गया है।
आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को कुछ दिनों पहले तक तक उत्तर प्रदेश (UP) के कुछ लोग ही जानते थे। वे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं। कभी निघासन विधानसभा सीट से BJP की टिकट का दावा कर रहे आशीष मिश्रा को कुछ स्थानीय लोग जानते थे। UP के कुछ लोग उन्हें मंत्री पुत्र के रूप में ही पहचानते थे। पर, आज पूरा देश उन्हें जानने लगा है। लेकिन, यह छवि किसी नायक की नहीं बल्कि खलनायक की बन चुकी है। लखीमपुर घटना में पुलिस के सामने आशीष की आज 10 बजे तक पेशी होनी थी, पर वह अब नहीं आए हैं।
लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Khiri) में गाड़ियों के काफिले ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया। इस काफिले में सबसे आगे थार चल रही थी। सबसे पहले थार किसानों को कुचलते हुए तेजी से आगे बढ़ी और फिर पीछे से अन्य दो गाड़ियां निकलीं। किसानों का आरोप है कि यह थार अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा ही चला रहा था। आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री के छोटे बेटे हैं। 2012 में पिता को विधायक का टिकट मिलने के साथ ही वे राजनीति में एक्टिव हो गए थे। साथ ही पिता के पेट्रोल पंप और राइस मिल वगैरह का बिजनेस भी देखते थे।
आशीष मिश्रा कैसे पिता के छत्रछाया में BJP के बड़े नेताओं के करीब आते गए। उनके सोशल मीडिया अकाउंट को देखें, तो 2018 से पहले आशीष आमतौर पर अपने पिता के काम ही करते थे। धीरे-धीरे वे न सिर्फ BJP नेताओं के करीब आते चले गए, बल्कि इस विधानसभा चुनाव में टिकट के तगड़े दावेदार के तौर पर भी उभरे।
जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले अजय मिश्र टेनी को 2012 में BJP ने लखीमपुर खीरी की निघासन सीट से टिकट दिया था। उस वक्त उनके चुनाव प्रचार का जिम्मा बेटे ने संभाला। दोनों की कड़ी मेहनत और अजय मिश्रा की लोकप्रियता के बदौलत यहां BJP की जीत हुई थी, जबकि सरकार सपा की बनी।
पिता के विधायक बनने के बाद क्षेत्र में आशीष मिश्रा का रुतबा बढ़ता गया। विधायक के रूप में अजय मिश्रा के कामकाज को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया और 2014 में लखीमपुर से सांसद का टिकट दिया। इस बार भी बेटे आशीष ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली और पिता को लोकसभा पहुंचाने में मदद की।