Lakhimpur Khiri Politics: Priyanka और Rahul ने सपा और बसपा को पीछे छोड़ा!

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लखीमपुर खीरी। रविवार को किसानों की भीड़ पर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे की गाड़ी से मारे गए चार किसानों के बाद भड़की हिंसा का राजनीतिक लाभ में प्रियंका गांधी ने सबको पीछे छोड़ दिया। इस कोशिश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र शर्मा पिछड़ गए। इसके बाद राहुल गांधी ने जिस तरह लखनऊ एयरपोर्ट पर मोर्चा संभाला उससे UP में कांग्रेस के नम्बर बढ़ गए।

UP की राजनीति को इस मुद्दे ने गरमा दिया है। अब तक राज्य में कमजोर दिख रही कांग्रेस को एक तरह से इस मामले ने राजनीतिक संजीवनी दे दी। 2017 से ही प्रियंका गांधी को पश्चिमी उत्तरप्रदेश (Western UP) का प्रभारी बनाया गया था। तब से ही वे इस इलाके में सक्रिय थीं। पर, पहली बार दिखा कि वे मजबूती के साथ चर्चा में हैं। प्रियंका गांधी को लखीमपुर जाने से रोकने, गिरफ्तार करने की भी देशभर में चर्चा हुई है। महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी से लेकर कश्मीर में महबूबा मुफ्ती तक ने उनका समर्थन किया।

वे पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस को भी एकजुट करने में कामयाब रहीं। पंजाब के नए CM चन्नी से लगाकर छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल तक एक्टिव नजर आए और राहुल गांधी के साथ लखीमपुर खीरी पहुंचे। प्रियंका की सक्रियता ने राहुल गांधी को भी ताकत दी। वे बुधवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो आत्मविश्वास से भरे नजर आए। दो मुख्यमंत्रियों के साथ जब वे लखनऊ एयरपोर्ट पर धरने पर बैठे और अपनी गाड़ी से लखीमपुर जाने की परमिशन पर अड़े तो उनकी हिम्मत दिखाई दी। आखिर उन्हें अपनी गाड़ी से जाने की परमिशन मिल भी गई।

लखीमपुर खीरी में कांग्रेस के सक्रिय होने की एक वजह दो राज्यों में फायदा मिलने की संभावना भी है। लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, बहराइच और हरदोई समेत तराई इलाके के कई जिलों में सिखों की अच्छी खासी आबादी है। कार से कुचलकर मरने वाले किसान भी सिख समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में कांग्रेस लखीमपुर में सक्रिय रहकर यह संदेश देना चाहती है, कि वे सिख समुदाय के हितों के लिए तत्पर है। यही वजह है कि उसने अपने पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को भी साथ लिया। यहां तक कि पंजाब सरकार ने मारे गए किसानों के परिजनों के लिए 50 लाख रुपए के मुआवजे का भी ऐलान किया है। इतनी ही रकम देने की घोषणा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने भी की है।

चूक गए अखिलेश
एक तरफ लखीमपुर मामले से प्रियंका UP की सियासत में अचानक चर्चा में आई, तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कही जाने वाली समाजवादी पार्टी और उसके नेता अखिलेश यादव माहौल बनाने में नाकामयाब दिखे। इससे यह संदेश भी जा सकता है कि अखिलेश यादव आम लोगों के हितों के लिए सड़क पर उतरने में बहुत आगे नहीं हैं। यही स्थिति BSP के साथ भी रही। अब भाजपा के नजरिए से देखें तो UP में यह उसके लिए फायदे में ही है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस के पास मजबूत संगठन नहीं है और वह चर्चा में रहने के बाद भी माहौल को इतने वोटों में तब्दील नहीं कर पाएगी कि जीत हासिल कर सके। जो भी वोट वह हासिल करेगी, उससे सपा का ही नुकसान होगा। अब देखना है कि लखीमपुर की राजनीति किसे कितना फायदा देगी।