Lawyer’s Met CJI : स्टेट बार के प्रतिनिधिमंडल को CJI ने राहत का भरोसा दिलाया!
New Delhi : मध्यप्रदेश स्टेट बार काउंसिल के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ के साथ करीब डेढ़ घंटे तक विचार-विमर्श किया। स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन प्रेम सिंह भदौरिया की अगुवाई में पदाधिकारियों और सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली गया ये प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के करीब एक लाख वकीलों की और से चर्चा करने गया था। वकीलों का पक्ष सुनने के बाद जजों ने भरोसा दिलाया कि वकीलों कि भावनाओं की कद्र होगी। वकीलों को बहुत जल्दी राहत मिलेगी।
स्टेट बार काउंसिल के प्रतिनिधिमंडल में चार सदस्य इंदौर से भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि चीफ जस्टिस के सभाकक्ष में हुई यह बैठक 4 बजे से साढ़े 5 बजे तक हुई। बैठक में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जितेंद्र माहेश्वरी, संजय कौल, जेबी पारदीवाला और पीएस नरसिम्हा शामिल हुए।
आज बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में बार कौंसिल ऑफ़ मप्र के सदस्यों का सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य मुख्य न्यायाधिपति एवं अन्य न्यायाधिपति गर्ण से सकारात्मक भेट हुई। धन्यवाद न्यायाधिपतिगर्ण इस सम्मान के लिए। pic.twitter.com/ZYLbskdrCr
— Vivek Tankha (@VTankha) March 29, 2023
वकीलों के विरोध का कारण हाईकोर्ट का एक आदेश था जिसमें सभी न्यायालयों से कहा गया था कि वे हर तीन माह में 25 चिह्नित प्रकरणों का अनिवार्य रूप से निराकरण करें। वकील इस आदेश का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस आदेश की वजह से न्यायालयों का ध्यान चिह्नित प्रकरणों के निराकरण में लग गया है। न्यायालय के नियमित कामकाज प्रभावित हो रहे हैं।
वकीलों का यह भी कहना है कि किसी भी प्रकरण को समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता। इस आदेश के चलते प्रकरणों में निर्णय तो हो रहा है, लेकिन न्याय नहीं हो रहा। राज्य अधिवक्ता परिषद ने भी वकीलों की समस्या को देखते हुए उनसे कार्य से विरत रहने का आह्वान किया था। इसके चलते वकील 23 मार्च से ही न्यायालयों में पैरवी नहीं कर रहे थे। वकीलों की हड़ताल से हाईकोर्ट की जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर बेंच में भी अदालती कामकाज प्रभावित हो रहा था।
हाईकोर्ट के आदेश का 5 दिन विरोध
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने भी स्टेट बार काउंसिल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को बातचीत से समस्या को सुलझाने का सुझाव दिया था। उन्होंने पत्र लिखकर कहा था कि आंदोलन वापस लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों से वार्ता कर समस्या का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने खुद भी अपनी तरफ से पहल करने और हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया था।