Carbide Gun से झुलसे मासूमों से मिले नेता प्रतिपक्ष Umang Singhar

बोले- “₹200 की गन ने 292 आंखों की रोशनी छीन ली, मगर सरकार की आंखें अब भी बंद हैं”

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Carbide Gun से झुलसे मासूमों से मिले नेता प्रतिपक्ष Umang Singhar

BHOPAL: दीपावली की खुशियां इस बार कई घरों में दर्द और अंधकार में बदल गईं। प्रदेश के 11 जिलों में कार्बाइड एयर गन से हुए हादसों ने 292 बच्चों की आंखों की रोशनी छीन ली। इन मासूमों का दर्द देखने आज नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भोपाल के हमीदिया अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने झुलसे और घायल बच्चों से मुलाकात की तथा उनके परिजनों से बातचीत की।

उमंग सिंघार ने अस्पताल में बच्चों की स्थिति देखकर गहरी चिंता व्यक्त की और सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “₹200 की इस खतरनाक गन ने न जाने कितने घरों में अंधेरा कर दिया, लेकिन सरकार की आंखें अब भी बंद हैं। दीपावली पर जहां बच्चों के हाथों में खुशियां होनी चाहिए थीं, वहां अब पट्टियां और आंसू हैं।”

उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से 292 बच्चों के घायल होने की जानकारी सामने आई है, जिनमें कई की आंखों की रोशनी स्थायी रूप से चली गई है। अधिकतर घटनाएं उन जगहों पर हुईं, जहां बच्चों ने बाजारों से खरीदी गई कार्बाइड एयर गन का उपयोग आतिशबाजी के रूप में किया। ये गन स्टील या पीवीसी पाइप में कैल्शियम कार्बाइड भरकर चलाई जाती हैं, जिससे तेज धमाका और आग की चिंगारी निकलती है।

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सिंघार ने कहा कि यह दुर्घटना प्रशासन की लापरवाही और निगरानी की कमी का नतीजा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि-

–सभी जिलों में इस तरह की गन के निर्माण, विक्रय और उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए

–घायलों के परिवारों को उचित मुआवजा और मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाए

–दोषी दुकानदारों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई हो।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को पहले से सतर्क रहना चाहिए था, क्योंकि पिछले वर्षों में भी ऐसे हादसे हो चुके हैं। “जब त्योहार बच्चों की मुस्कान का प्रतीक है, तब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी त्रासदी दोबारा न होने दे,”

हमीदिया अस्पताल प्रशासन के अनुसार कई बच्चों का इलाज जारी है, जिनमें कुछ की आंखें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं। चिकित्सक लगातार निगरानी में हैं, परंतु कई मामलों में दृष्टि लौटने की संभावना कम बताई जा रही है।

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प्रदेश भर में इस दर्दनाक हादसे को लेकर जनाक्रोश भी बढ़ रहा है। नागरिक संगठनों ने मांग की है कि सरकार ऐसी ग़ैर-कानूनी वस्तुओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगाकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे, ताकि आने वाले समय में कोई भी बच्चा “त्योहार की खुशी” की कीमत अपनी रोशनी से न चुकाए।