शिवराज जी से सीखिये कमलनाथ जी

702
CM SHIVAJ (mediawala)
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कद भारतीय राजनीति में कितना भी बड़ा हो, लेकिन मप्र की जनता की नब्ज पहचानने, जनता के मूड को भांपने और जनता की इच्छानुसार स्वयं को ढालने के मामले में शिवराज सिंह चौहान ने सभी दलों के नेताओं को कोसों पीछे छोड़ दिया है। मप्र में राजनीति करने वालों और सपने में भी कुर्सी देखने वालों को शिवराज सिंह चौहान से यह गुण सीखना चाहिए।
मप्र में विधानसभा उपचुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को अहसास हुआ कि पिछड़ा वर्ग कुछ नाराज है, उन्होंने तत्काल ओबीसी लाईन थाम ली। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की पहल बेशक कमलनाथ सरकार में हुई, लेकिन उसका पूरा श्रेय लेने शिवराज सिंह चौहान मैदान में आ गये। बेशक फिलहाल यह मुद्दा कोर्ट में फंसा है, लेकिन जब भी इसकी बात होगी तो इसका श्रेय शिवराज लेते नजर आएंगे।
मप्र के मालवा निमाड में युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) की सक्रियता ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को हैरान कर दिया था। उपचुनाव की तैयारी के दौरान ही शिवराज सिंह चौहान  को अहसास हो गया था कि मप्र का आदिवासी तबका भाजपा से दूर हो रहा है। उपचुनाव खत्म होते ही शिवराज ने आदिवासियों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर ले लिया।
आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने के लिये शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित कर लिया है। शायद पहली बार बिरसा मुंडा को सरकारी दस्तावेज में भगवान घोषित किया गया है। आदिवासियों को साधने में कोई कसर न रह जाए, इसलिये देश के पहले विश्व स्तरीय रेल्वे स्टेशन का नाम हबीबगंज के स्थान पर रानी कमलापति कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को भारत सरकार ने कुछ घंटे में ही स्वीकृति भी दे दी है। मप्र की राजधानी को जनजातिमय कर दिया गया है।
शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) यहीं रूकने वाले नहीं हैं। 2023 के पहले वे सभी वर्गों को साधने का प्रयास करेंगे। ओबीसी और एसटी के बाद उनका अगला कदम बनिया ब्राह्मण हो सकता है, क्योंकि भाजपा के मप्र प्रभारी मुरलीधर राव के बयान के बाद इन दोनों वर्गों में तीखी नाराजगी की खबरें आ रही हैं। इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता में एससी वोट बैंक भी है। इस बार वे “माई का लाल” शब्द का उपयोग किये बिना एससी को अपने पाले में करने की तैयारी कर रहे हैं।
जनजाति गौरव दिवस के दो दिन पहले शिवराज सिंह चौहान ने सोची समझी रणनीति के तहत आदिवासी वेषभूषा में स्वयं व पत्नि का फोटो ट्वीट कर स्वयं को आदिवासी संस्कृति के नजदीक होने का संदेश देने की कोशिश की है। मप्र में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान की पारी अभी जारी है। भाजपा में फिलहाल उनका कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस के कमलनाथ जी को तो भोपाल में लगातार रहकर शिवराज जी से जनता की नब्ज थामे रहने का प्रशिक्षण लेना चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र जैन की फेसबुक वॉल से)