Legal Or Illegal Promotion : 31 अगस्त को अवकाश के दिन हुए रिटायर, उसी दिन डॉ आरके मेहिया का प्रमोशन!
अब इस गलती को सही बताने के लिए पशुपालन विभाग में कुतर्क गढ़े जा रहे!
Bhopal : अफसर चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं। जो उनके फायदे का मामला होता है, उसके लिए नियम तक हाशिए पर रख दिए जाते हैं। फिर वे जो करते हैं, उसके पक्ष में तर्क भी जुटा लेते हैं। कुछ ऐसा ही पशुपालन विभाग में हुआ। जो अफसर 31 अगस्त को रिटायर होने वाला था, उसका उसी दिन प्रमोशन आर्डर निकाल दिया गया।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संयुक्त संचालक डॉ आरके मेहिया जो प्रभारी संचालक थे, उन्हें उस दिन प्रमोट किया, जिस दिन वे रिटायर होने वाले थे। ये कैसे और क्यों हुआ इसे लेकर भारी असमंजस है। अब विभाग के ही अधिकारियों ने ही इस पर आपत्ति लेते हुए शिकायत की है। बताया गया है कि उन्हें पहले गलत प्रमोशन देकर संयुक्त संचालक बनाया और रिटायरमेंट वाले दिन उनको सीधे संचालक पद पर पदोन्नत कर दिया गया।
डॉ आरके मेहिया के रिटायरमेंट (31 अगस्त) छुट्टी के दिन पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने उनका प्रमोशन कर संचालक की पदस्थापना का आदेश जारी किया। पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ प्यार सिंह पटेल को संचालक के पद पर प्रमोट करने का आदेश अगले दिन यानी एक सितंबर को जारी हुआ।
पशुपालन विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रहे डॉ के एस तोमर ने तो इस मामले की सीबीआई से जांच कराने तक की मांग की। सामान्य अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था ‘सपाक्स’ ने पशुपालन विभाग में संचालक और अन्य पदों पर पदोन्नति के मामले की मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव जीएडी और पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव से शिकायत कर जांच की मांग की है।
खाली पद भरने के लिए प्रमोशन
रिटायरमेंट वाले दिन प्रमोशन देने पर पशुपालन विभाग के एक सीनियर अफसर का कहना है कि डॉ आरके मेहिया के रिटायरमेंट के बाद नए संचालक को उस पद पर लाने के लिए ऐसा करना पड़ा। डॉ मेहिया को संयुक्त संचालक से संचालक के पद पर प्रमोशन देकर रिटायर करने के बाद संयुक्त संचालक को प्रमोट करते हुए डॉ प्यार सिंह पटेल को संचालक बनाया गया। प्रमोशन को लेकर सभी नियमों का पालन किया गया है। विभागीय समितियों की अनुशंसाओं के बाद फैसले लिए गए हैं।
यह पूरा मामला जिस पर बवाल हुआ
पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ आरके मेहिया संचालक के प्रभार में थे। उनका 31 अगस्त को रिटायरमेंट था। उसी दिन डॉ मेहिया को संयुक्त संचालक के पद से सीधे संचालक के पद पर पदोन्नत करने के आदेश जारी हुए। विभाग के ही अधिकारियों ने इस पर आपत्ति ली और शिकायत दर्ज कराई। उनका कहना है कि नियम के अनुसार यदि रिटायरमेंट के दिन अवकाश रहता है, तो रिटायरमेंट के एक दिन पहले वाले दिन को वर्किंग-डे माना जाता है। ऐसे में डॉ मेहिया की सेवानिवृत्ति 30 अगस्त को माना जा सकता है। लेकिन, पशुपालन विभाग ने 31 अगस्त को आदेश जारी कर डॉ आरके मेहिया को संयुक्त संचालक से पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक पद पर पदोन्नत कर दिया। यह आदेश शासकीय नियमों के विपरीत है।
‘सपाक्स’ संगठन के अध्यक्ष और पशुपालन विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डॉ केएस तोमर ने इस मामले की शिकायत की है। तोमर ने बताया कि मैंने कमेटी से शिकायत की है। जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में यथास्थिति रखने का आदेश दिया था। यानी इनको न तो प्रमोशन दिया जा सकता है और न मूल पद पर भेजा जा सकता है। आशय यह कि जिस अफसर को डिमोट होना चाहिए था, उसे प्रमोट कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए उन्हें पदोन्नति दे दी गई। एक व्यक्ति को गलत प्रमोशन देकर संयुक्त संचालक बनाया। रिटायरमेंट के बाद उन्हें सीधे डायरेक्टर के पद पर पदोन्नत कर दिया। इस मामले की सीबीआई से जांच होना चाहिए।
तोमर ने कहा कि प्रदेश में लाखों कर्मचारी अधिकारी जी पद पर आते हैं इस पद पर सेवा निवृत हो रहे हैं। कहां एक अधिकारी को डिवोशन किए जाने थे उसके स्थान पर उल्टे पदोन्नति दे दी गई। इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी की गई। डॉ पी एस पटेल को जो संचालक बनाया गया है वह संयुक्त संचालक पद पर प्रोविजनल थे। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें मूल पद पर डिमोशन किया जाना था। उनसे जो वरिष्ठ अधिकारी हैं,उन्हें सुपरसीड किया गया है।
डॉक्टर मेहिया, जो स्वयं संयुक्त संचालक थे, वह दूसरे संयुक्त संचालक की CR कैसे लिख सकते हैं? यह भी एक खोज का विषय है। यदि इस सबकी सीबीआई जांच की जाए तो बहुत सी परतें उखड़ेगी।
इस मामले को कांग्रेस ने भी मुद्दा बनाया
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन और विधायक नितेंद्र सिंह राठौर ने ‘एक्स’ पर लिखा कि पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ आरके मेहिया को 31 अगस्त 2024 को रिटायर होना था, लेकिन 31 अगस्त को शासकीय अवकाश होने के चलते नियम अनुसार वे 30 अगस्त को रिटायर माने गए। विभाग ने उनके रिटायरमेंट की तारीख अगले दिन (यानी रिटायर) होने के बाद उन्हें डायरेक्टर पद पर प्रमोशन दिया, यह नियम अनुसार गलत है और मध्यप्रदेश का एक अनूठा मामला है। एक तरफ युवा नौकरी पाने के लिए परेशान हैं, दूसरी तरफ ऐसे आदेश देकर अपनों को उपकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।